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 सनातन भारत में हम लोगों को अपना भोजन स्वयं process करने के लिये कहतें हैं जैसे कि सरसो का तेल स्वयं निकलवाओ , नमक ,हल्दी , मिर्च मसाला ,आटे की प्रोसेसिंग अपनी आँखों के सामने करवाओ । तांकि पूंजीवादी व्यवस्था की जड़ पर प्रहार हो सके । लेकिन west अब इस मामले में हमसे एक कदम आगे चल पड़ा है वहाँ पर लोगों को अपना भोजन स्वयं उगाने का एक अभियान चल पड़ा है । लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा कि अपना lawn ,food forest में बदल डालो । जो चीज़ आपके बगीचे में अधिक हो रही वह पड़ोसी को दे दो बदले जिस चीज़ की आपको आवयश्कता है वह आपके पास स्वयं आ जायेगी । इस को कहते हैं असली समाज । जो पूरी तरह जीवंत है । indendent होने की  फ़र्ज़ी अवधारणा को अब नकारा जाने लगा है जो आपको केवल अकेलापन देती है । power to give यानि देने की ताकत को पहचानिए इससे ही रिश्तों का निर्माण होता है । पहले हमारे समाज मे हर अवसर पर रिश्तेदारों और पड़ोसियों को कुछ ना कुछ दिया जाता था । और यह होता था आपके यहाँ उगने वाली चीज़े जैसे सब्ज़ियाँ ,अनाज ,फल आदि , आपके घर तैयार होने वाली वस्तुएं जैसे कपड़ा , मुरब्बा आदि । कालांतर में इस ...
 एक बिल्कुल फेल इंसान जिंदगी में निष्काम सेवा से कैसे उठ खड़ा हुआ ।  यहां बात हो रही है 65 वर्षीय राज की । फर्मासिस्ट । जिंदगी में बिल्कुल हार चुका इंसान । जिंदगी में कोई  नाम नहीं कमाया ना ही एक धेले की कमाई की । पत्नी उसके मकान में ही अलग रह रही है और बेटियों कभी बुलाया नहीं । कोई अपने पास बैठने नहीं देता फटकने तक नहीं देता । कोई रिश्ता नहीं केवल अकेलापन ।  अचानक राज योग की कक्षा में जाने लगता है । धीरे धीरे योग में प्रगान्त होकर लोगों को निःशुल्क योग सीखने लगता है और श्री कृष्ण के बताए निष्काम कर्म के मार्ग पर डटकर आगे बढ़ने लगता है । समाज मे इज्जत बढ़ने लगती है । अब राज निष्काम कर्म से पीछे नहीं हटता । पिछले दिनों संघ के एक दिवसीय बाल शिविर में राज ने डटकर मोर्चा संभाला । सबसे पहले गया और सबसे अंत तक डटा रहा । अब तक बिल्कुल नाकामयाब राज अब लोगों की नज़रों ने हीरो बन चुका है । केवल अपनी निष्काम सेवा के कारण राज अब उठ खड़ा हुआ है । THE RISE OF FAILED MAN BY DOING HIS DUTY  TOWARDS SOCIETY । सार:- जो इज्जत केवल पैसे की कुत्ता RACE से हासिल नहीं की जा सकती , निष्काम ...
 अगर मुद्राओं के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड फिर से वापिस आता है  यानि कि RBI उतने ही नोट छाप सकता है जितना कि उसके पास सवर्ण भण्डार है तो इससे दुनिया एक दम बदल जाएगी ।  1.महंगाई बढ़ना बहुत कम हो जाएगी ।  वर्तमान में महंगाई का सबसे बड़ा कारण फ़िएट करेंसी और बैंकों द्वारा रिज़र्व फाइनेंसिंग की मदद से मनचाही  मुद्रा छाप लेना है । पहले किसी भी नोट के बदले आप  RBI से निश्चित मात्रा में स्वर्ण ले सकते थे इसको ही गोल्ड स्टैण्डर्ड कहा जाता था । मान लो आप 5000 रुपये RBI को वापिस कर देते हो तो RBI आपको 1 ग्राम सोना देने का वचन देता है तो इसको गोल्ड स्टैंडर्ड कहतें हैं । इससे होता क्या है कि रुपये की कीमत कभी कम नहीं हो सकती , अगर बाजार में रुपये की कीमत कम होती है तो आप RBI से जाकर 1 ग्राम सवर्ण ले लोगे । कालांतर में इस स्वर्ण देनें की गारंटी को समाप्त कर दिया गया । अब कोई भी केंद्रीय बैंक जैसे भारत मे RBI कितनी भी मुद्रा छाप सकता है । इसको ही FIAT CURRENCY कहतें हैं । इसी कारण हर वर्ष महंगाई बढ़ जाती हैं ।  2.गोल्ड स्टैण्डर्ड के लागू होने के कारण CONSUMPTION और DEBT BASED ...
 आज कसूरी मेथी की जो चार गुटी धूप में सुखाई थी वह तैयार हो गई । बाई गोट इतनी खुसबू थी कि खुदा की जन्नत भी फीकी लगने लगी । कोई mdh की मेथी इसके आस पास भी नहीं फटकती । लगा क्या कुल जमा 80 रुपये । efforts ना के बराबर । चार गुटी बिना तोड़े पानी मे डाल कर धो लें । देशी चारपाई पर कपड़ा डाल कर दिन चार दिन धूप में पड़ी रहने दो । पत्ते पते सुख कर झड़ जायेगें । इसको इक्क्ठा कर डिब्बे में भर लें और वर्ष भर जीभ का स्वाद लें । लेकिन सावधान इससे कंपनियों की जीडीपी कम होगी । आगे चार गुटी धनिया जो केवल चालीस रुपये का मिला है उसको डाल दिया है सूखने ।
 खाने पीने की चीज़ों में तीन तरह के हानिकारक केमिकल डाले जातें हैं ।  1. खेत में पड़ने वाले रासायनिक उर्बरक , और कीटनाशक जहर । 2. भंडारण के समय पड़ने वाले केमिकल्स  जहर जैसे सल्फास आदि । 3. प्रोसेसिंग के समय पड़ने वाले रसायनिक जहर  जिससे इनमे लंबे समय तक बैक्टेरिया ,फंगस आदि नहीं पनपते । क) खेत मे डलने वाले जहर को आप जैविक उपज सीधे किसान से खरीद कर नियंत्रित कर सकतें हैं ।   ख ) भंडारण के समय सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा   हानिकारक केमिकल जैसे सल्फास आदि को आप सनातन home स्टोरेज द्वारा नियंत्रित कर सकतें हैं जिसमे वर्ष भर के चावल , गेहूँ  आदि घर पर स्टोर कर कीट आदि को नीम ,पारद टिकियों आदि से नियंत्रित किया जा सकता है ।  ग) प्रोसेसिंग के समय होने वाली मिलावट और जहरीले रासायनिक प्रयोग को आप सनातन processing system के द्वारा नियंत्रित कर सकतें हैं जिसमें आप इन चीज़ों की प्रोसेसिंग अपनी आंखों के सामने करवाते हो । सबसे आदर्श स्थिति यह है कि आप सीधे किसान से खरीद कर home storage करें औऱ अपनी प्रोसेसिंग स्वयं करवाये । लेकिन अगर सारे step संभव नहीं तो ...
 अमेरिका महान जोकि विश्व का सबसे अधिक बीमार देश है वहां पर शुद्ध खाने पीने पर प्रतिबंध है और मिलावटी खाना  legal है । जैसे अमेरिका में आप ताज़ा दूध बेच नहीं सकते । अमेरिका में केवल थैली वाला पांच छह दिन पुराना दूध ही बिक सकता है जिसमे केमिकल मिला होता है । खाने के लिये केवल केमिकल युक्त ब्रेड आदि ही उपलब्ध है इसलिये अमेरिका में विश्व के सबसे अधिक कैंसर , मधुमेह के मरीज हैं । नीचे दुनिया के सबसे अधिक बीमार देश बताए गए हैं। भारत भी अब धीरे धीरे इस लिस्ट में ऊपर बढ़ रहा है क्योंकि यहां भी सब कुछ अब पैकेटबंद मिलने लगा है जिसमें थूक , केमिकल सब मिला होता है । क्या दूध हो ,क्या तेल हो , क्या आटा हो सब में केमिकल मिलाये जातें है  । अगर हम आटा , दूध ,मक्खन ,देशी घी , हल्दी मिर्च मसाला ,नमक , तेल आदि अपना पिसवायें या ताज़ा लें तो हम अमेरिका की तरह बीमार होने से बच सकतें हैं ।
 कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी है । इससे होगा क्या ,केवल हिंदुओं की आबादी कम होगी जो already बहुत कम हो रही है । किसी देश की आबादी को स्थिर रखने के लिये जन्म दर 2.1 चाहिये लेकिन भारत मे यह कम होकर 2 रह गई है इसमें से हिंदुओं की जन्म दर 1.5 के आसपास होगी यानि कि हिंदुओं की आबादी अगर आज 100 करोड़ है तो वह अगले 10 वर्षों में कम होकर  95 करोड़ भी रह सकती है दूसरी और मुस्लिम जन्म दर लगभग 4 के पास है जिससे 25 करोड़ की मुस्लिम आबादी अगले 10 वर्षों में 30 35 करोड़ हो जाएगी । देश में एक वर्ग की आबादी बढ़ रही है लेकिन उनपर कोई जनसंख्या नियंत्रण नहीं होता । हाई कोर्ट के अनुसार मुस्लिम महिला प्राइवेट प्रॉपर्टी पर बाल आने पर निकाह कर सकती है यानि 14 साल में भी कर सकती है 17 साल में भी कर सकती है । जनसंख्या नियंत्रण की blanket apporach घातक होगी । हिंदुओं की आबादी अब % में तो कम हो ही रही है संख्या में भी कम हो रही है । बाबजूद इसके हिन्दुओ की जनसंख्या को और कम करने के प्रयास किये जा और बेवकूफ हिन्दू दिन रात जनसंख्या नियंत्रण का राग अलाप रहें हैं...