संदेश

अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Bull गेट्स की modus operandi क्या है?

----------------------------------- 1. World unhealthy organization की सबसे अधिक  20% फंडिंग bull गेट्स करता है। इसको बिल गेट्स चैरिटी कहता है। 2. दूसरी तरफ bull गेट्स 10 बड़ी एलोपैथी फार्मा कंपनियों का मालिक है । 3. World unhealthy organisation (bull गेट्स) सरकारों को क्या वैक्सिन देनी है यह बताता है । 4. फिर Bull गेट्स की एलोपैथिक फार्मा कंपनियां वह दवा सरकारों को बेचती हैं । 5. जो bull गेट्स की बात मानता है उसको बड़े बड़े पुरस्कार दिए जाते हैं । World bank ने भारतीय पेड़ों (नीम पीपल बरगद ) को कैसे और क्यों नष्ट किया जानने के लिये हमारा यह ब्लॉग पढें ।https://sanatanbharata.blogspot.com/2020/04/world-bank-50-world-bank-imf-world-bank.html?m=1

nation state की अवधारणा

आधुनिक समय में  सबसे पहले चाणक्य ने globalisation ,nation state ,consitution , consumerism , centralized power ,captalism आदि के आधार पर मौर्य साम्रज्य की नींव डाली और यह nation state की अवधारणा मौर्य काल समाप्त होने के साथ खत्म हो गयी आजकल के समय में nation state ,constitution ,consumerism ,captalism की अवधारणा 1648 में  फ़्रांस की क्रांति के बाद शुरू हुई । और 1945 में UNO बनने के साथ सारे विश्व मे नेशन स्टेट की अवधारणा लागू हो गई । 1992 में सोवियत रूस के टूटने के साथ विश्व भर में CAPTALISM ,GLOBALISATION की अवधारणा पूरी तरह से लागू हो गयी । कुछ समय बाद ,GLOBALIZATION ,CAPTALISM ,CONSTITUTION ,BANKING centralized government system आदि  NATION STATE की अवधारणा के साथ समाप्त हो जाएंगे और फिर से दुनिया मे sanatan localization model of governance लागू होगी । । और अधिक जानकारी के लिये हमारा ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com --------------------------------

जो लोग क्रूड की नेगेटिव कीमत पर नाच रहें हैं

जो लोग क्रूड की नेगेटिव कीमत पर नाच रहें हैं। उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि अगर कच्चे तेल के भाव ऐसे ही नेगेटिव रहतें हैं तो भारतीय रुपये की हालत भी वेंज़ुअला जैसी हो सकती है  क्योंकि कच्चे तेल से डॉलर की कीमित तय होती है । और भारत सरकार के पास 480 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है । 480 बिलियन मतलब 35 लाख करोड़ रुपये । और rbi ने कुल मुद्रा छपाई है वह है लगभग 22 लाख करोड़ । इस का अर्थ है कि भारत की कुल मुद्रा से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है । इस समय जो डॉलर की वैल्यू तभी है जब क्रूड की वैल्यू है । इसलिये डॉलर को पेट्रो डॉलर भी कहते हैं क्योंकि डॉलर सोने की जगह  crude oil से secure है । डॉलर के बदले अमेरिकन सरकार आपको सोना नहीं देगी । अब अगर कच्चे तेल के दाम लम्बे समय तक नीचे रहते हैं तो इसका अर्थ globalization ,पूँजीवाद का अंत है । अगर globaliztaion और पूँजीवाद कमजोर होता है तो अमेरिका कमज़ोर पड़ सकता है । जिससे हो सकता है आने वाले समय में सोना फिर से international ट्रेड की करेंसी बन जाये जैसे 1945 के प्रथम विश्व युद्ध से पहले थी । 

Sanatan model of localisation and small production will replace Capitalistic model of globalization and mass production .

1.Sanatan model of localisation and small production will replace Capitalistic model of globalization and mass production . 2.Sanatan model of governance based on localisation will replace todays global governance model . 3.Concepts of nation state ,constituon will vanish and sanatan concepts of rashtra will be re established .  4.Capitalistic model of investment like bank , mutual funds shares will collapsed and sanatan Investment model in gold will prevails . 5.Capitalistic model of agriculture of monoculture will end . Sanatan model of mixed agriculture will sustained . 6. Capitalistic taxation model like gst will collapse and sanatan taxation model like octroi and land revenue will be established . 7. Cost of Living will be almost zero . Most of things will be available at no cost . Milk land ,education , justice ,health will be available free of cost . 8.banking systems and present governance systems of limited power will be collapsed. 9. Corruption , hunger , unemplo

World bank ने भारत की स्वदेशी पेडों कैसे औऱ क्यों नष्ट की ?

चित्र
------- मित्रो आजकल आप जब सड़कों के किनारों पर देखते हो तो आप पाओगे कि सड़कों के किनारों पर सरकार केवल विदेशी और ऐसे पेड़ रोपित करवाती है  जिसको ना तो आप औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते हैं ,ना ही वह कोई फल वाले पेड़ हैं ,ना ही उसमें कोई इमारती लकड़ी मिलती है । इनमें से अधिकतर विदेशी नस्ल के गुणरहित पेड़ हैं । सरकार द्वारा इन पेड़ों की बिजाई ही क्यों की जाती है ? सरकार का उद्देश्य क्या है इन बेकर पेड़ों के पीछे ?  आज से 50 वर्ष पहले सड़कों के किनारे आपने आप उगने वाले स्वदेशी औषधीय पेड़ों जैसे  नीम बरगद पीपल आदि, फलदार पेड़ों  जैसे आम जामुन ,बेर  आदि, इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ जैसे टाहली , सागवान आदि की भरमार होती थी । इन स्वदेशी और गुणों से भरपूर पेड़ों से आम व्यक्ति को उपचार के लिये आयुर्वेदिक दवाइयां , खाने के लिए फल और घर के लिये लकड़ी आदि मुफ्त में प्रकृति से उपलब्ध थीं। फिर भारत सरकार ने world bank ,IMF आदि से मिलकर भारत के विकास की योजना बनाई और  भारत सरकार को world bank ,IMF आदि ने वरक्षारोपन के सस्ता कर्ज़  का जाल उपलब्ध करवाया और साथ में उन पेड़ों की लिस्ट पकडाई जिनको  भारत सरकार के FORE

मोदी जी को आखिर आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन करने के लिए क्यों कहना पड़ा

----------- अगर हैंड सैनिटाइजर के अतिरिक्त भारत सरकार लोगों को  गिलोय ,तुलसी ,अदरक ,हल्दी आदि युक्त आयुर्वेदिक काढ़ा वितरित करती । तो कम्युनिस्ट वायरस को काफी हद तक काबू किया जा सकता है । लेकिन भारत सरकार को केवल एलोपैथी पर विश्वास है । सरकार अपने हेल्थ बजट का 98% एलोपैथी पर खर्च करती है और आयुर्वेद को समाप्त करने के लिये नए नए हथकण्डे अपनाये जाते हैं । नीम पीपल और अन्य औषधि पेड़ों के स्थान पर विदेशी गुणरहित पेडों को बीजा जाता है । आयुर्वेद को झोला छाप की संज्ञा दी जाती है । आयुर्वेद के लिये आवश्यक संस्कृत का मजाक उड़ाया जाता है । जिस एलोपैथी पर सरकार को पूरा विश्वास था अब उसने हाथ खड़े कर दिए हैं । ले देकर मुश्किल से एक दवा HCQ ढूंढ़ी गई है जो मलेरिया की दवा है । इसका क्या कुछ प्रभाव होता है या नही अभी पता नहीं । अन्धेरे में तीर छोड़े जा रहें हैं । यहां एक तरफ एलोपैथी का दिन रात गुणगान किया जा रहा है दूसरी तरफ आयुर्वेदिक दवा की दुकानों पर ताले जड़ दिए गए हैं । एलोपैथी में अधिकतर वायरस जनित बीमारी की कोई दवा नही । जैसे Aids की बीमारी जोकि HIV नामक वायरस से होती है उसकी कोई भी दवा आज 30 सालो