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 राम साक्षात धर्म का विग्रह हैं। जब सनातन समाज स्वयं को निर्बल पाए तो राम की तरफ देख ले। भगवान के पास क्या था जिससे वह रावण के विरुद्ध डट गए थे । अनट्रेंड बंदर ,भालू ,दूसरी तरफ रावण के पास well trained ,well equipe professional army। रावण लड़ने लिए रथ ( fighter plane ) में आया था जबकि भगवान पैदल । विभीषण को यह देख कर दया आ गई कि भगवान आप बिना रथ के इस लालच की चरम सीमा रावण का कैसे मुकाबला करोगे ।तो राम ने जवाब दिया कि जिस रथ से जीत प्राप्त होगी वह रथ दूसरा है ।जिसके सोरज और धीरज दो पहिए हैं  । जिसकी ध्वज पताका शील और सत्य दो भाग हैं । मैं सच का एक बाण मारूंगा और रावण का काम तमाम कर दूंगा ।  सीता माता धरती का प्रतीक है और राम सच का प्रतीक है। धरती की ,धर्म की रक्षा सच से ही हो सकती है इसलिए धरती ने सीता के रूप में जन्म लिया ,संस्कृत में कृषि भूमि को सीता ही कहा जाता है और सच ने राम ने राम के रूप में जन्म लिया । राम रूपी सच ने सीता रूपी धरती की रक्षा की ।  आज भी हम धर्म ,धरती ,और अपनी रक्षा सच के अचूक रामबाण से कर सकते हैं । सच का एक बाण कॉरपोरेट द्वारा फलाए गए भ्रम जाल को ऐसे जलाकर खाक
 जहां चाह वहां राह , बहुत दिन से मन में यह बात उठ रही थी ,कि जब तक गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था की वापसी नहीं होती ,हिंदुओं के बच्चे नैतिक रूप से बच नहीं सकते । पंजाब में रहते है, जहां गुरुकुल व्यवस्था का नामो निशान तक नहीं । इस समस्या का समाधान निकाला गया कि क्यों ना ट्यूशन से हटाकर बच्चे को संस्कृत सीखने के लिए किसी संस्कृत के अध्यापक के पास डाल दिया जाए l वैसे भी ट्यूशन से लाभ कम और हानि अधिक हो रही है।  जो भी बच्चा स्कूल में पढ़ता है वही जाकर ट्यूशन में फिर से पड़ता है ,इससे बच्चे बोर भी हो रहे हैं और वह पढ़ने से कतराने लगे हैं । हमारे नगर में एक शास्त्री जी हैं जोकि स्वयं गुरुकुल से पढ़े हुए हैं । उनके पास अब मेरा बेटा 5:00 से 6:00 तक संस्कृत, धर्म और संस्कृति की शिक्षा लेने जाता है । जहां एक तरफ वह ट्यूशन जाने के लिए आनाकानी करता था अब शास्त्री जी के पास भाग कर जाता है ।  हर रोज ने मंत्र और  संस्कृत सीखकर आता है ।स्कूल में तथाकथित आधुनिक शिक्षा प्राप्त करता है और शाम को 1 घंटा वेद उपनिषद आदि की शिक्षा ग्रहण करता है।  मेरा व्यक्तिगत तौर पर मारना है कि आने वाले समय में हिंदुओं के बच्चों
 पंचनद (पंजाब) में हमारे नगर के निकट श्री रणकेश्वर महादेव का मंदिर । इस स्थान पर विराजमान स्वयम्भू शिवलिङ्ग है । कुरुक्षेत्र के रण को कूच करते समय पांडवों ने योगेश्वर श्री कृष्ण सहित यहां महादेव के अराधना की थी इसलिये इसका नाम रणकेश्वर महादेव पड़ गया । इस प्रचीन मंदिर में एक दिन मैं परिवार सहित माथा टेकने गया । तो वहां पर चोटी धारी विद्यार्थियों को देखा तो मन प्रश्न हो गया ।पूछने पर पता चला कि इस मंदिर के तत्वावधान में एक गुरुकुल भी चल रहा है जिसमें वेद शास्त्र की पढ़ाई होती है । वहां के मुख्य डेरेदार के कक्ष में मैं उसको नमन करने चला गया । थोड़ा सा पास से पैर छूने लगा तो उसने मुझे बहुत बदतमीजी से कहा दूर रह । मैंने उस सेवादार से पूछा कि क्या मैं सँस्कृत सीख सकता हूँ ।तो उसने पूछा किस जाति से हो तो मैंने उससे कहा बनिया जाति से हूं तो उसने कहा पहले ब्राह्मण के पेट से पैदा होना फिर बात करना । यह सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया और दुख भी हुआ । उस दिन पहली बार छुआछूत का अहसास हुआ कि जब यह लोग बनिया समाज से इतनी नफरत कर सकतें हैं जो इस मंदिर को अकूत दान देतें हैं तो दलित समाज की क्या हालात होगी । 
 नारीवाद सरकार द्वारा create की गई फ़र्ज़ी problem है और पुरुषवाद इसकी प्रतिक्रिया है । नारीवाद का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं के परिवार को तोड़ना है और नारियों का शोषण करना जिसमें सरकार बहुत हद तक सफल रही है । हिंदुओ में अब तलाक की दर 50% से ऊपर चल रही है । जैसे जैसे नई पीढ़ी आती जाएगी जिसमें लड़के बिल्कुल बदचलन playboy होंगे और लड़कियां बिल्कुल sex doll , बदचलन होंगी । तब तलाक की 90% तक हो जाएगी । इससे सबसे अधिक नुकसान महिलाओं ,बच्चों ,बजुर्गों को होगा । अगर नारीवाद नहीं रहेगा तो पुरुषवाद नहीं रहेगा । शिव और सती की तरह दोनों एक हो जाएंगे ।  जैसे सरकार ने आरक्षण , sc st एक्ट के माध्यम से हिंदुओं की भिन्न भिन्न जातियों को लड़वाया है । दलितवाद ,पिछडवाद की प्रतिक्रिया अगड़ावाद है ।  इसी तरह वनवासी समाज जो सदियों से सनातनी मान्यता पर चलता है उसको सरकार द्वारा आदिवासी कहकर भड़काया जा रहा है ।  सरकार के इस प्रयास में कॉरपोरेट , कॉमरेड कन्धा से कंधा मिलाकर साथ दे रहें हैं ।राष्ट्र्वादी हिंदुओं की समस्या यह है कि वह कॉमरेडों को तो इन समस्याओं के लिये टारगेट कर रहा है क्योंकि यह सामने आकर इस सबकी पैरवी करते
 कंपनियों की बनाई हुई कोई भी चीज़ सही नहीं । खाने पीने की चीज़ें स्वयं अपनी आंखों के सामने तैयार करवाएं । कंपनियों के माल पर कोई भरोसा नहीं । जिस बिस्कीट को लोग बड़े चाव से अपने बच्चों को ख़िलातें है  उनमें सबसे अधिक केमिकल डाले जातें हैं ।अपनी प्रिय देशी कंपनी parle g का पैकेट उठा कर कभी देख लेना । इन कंपनियों के माल के कारण ही मेडिकल माफिया इतना मजबूत हो रहा है । food माफिया से अगर पीछा छुड़ा लिया जाए तो मेडिकल माफिया से पीछा छूट जाए और जीडीपी से भी । शुद्ध खाओ जीडीपी घटाओ ।  Palm oil, critic acid ,raising agents, emulsifiers बाकी ढेरों केमिकल केवल एक बिस्किट के पैकेट में । जो आप अपने नन्हे मुन्नों को हर रोज़ खिला रहे हो । विकल्प :- आपकी आंखों के सामने तैयार देशी बिस्कुट जिसको नान खताई भी कहतें हैं ।
 जो थोड़े बहुत गुरुकुल है उनमें छात्र जाते क्यों नहीं । 1. गुरुकुलों में डिग्री नहीं मिलती । 2.गुरुकुलों में केवल ब्राह्मण कार्य ही सिखाये जातें हैं जिससे non ब्राह्मण हिन्दू समाज  जाने से कतराता है ।  3.गुरुकुलों डिग्री भी मिलनी चाहिये । और इंग्लिश math science ,सामाजिक ,स्थानीय भाषा की  शिक्षा भी मिलनी चाहिये । 4.कई राज्यों गुरुकुल बिल्कुल नहीं हैं जैसे पंजाब में गुरुकुल शायद ही हो ।  5. बड़े मन्दिरों की सरकारी लूट से सारा माल अल्पसंख्यक तुस्टीकरण के लिये चूस लिया जाता है जिससे गुरुकुलों में funding की कमी के कारण कई गुरुकल हर वर्ष बन्द हो रहें हैं या विद्यार्थी इनमे जातें नहीं ।  6.अधिकतर हिन्दू समाज मे इस प्रणाली का प्रचार नहीं है । हिन्दू समाज का धयान केवल राजनीति के छोटे छोटे मुदों पर रहता है । सोशल मीडिया पर भी राहुल गांधी , केजरीवाल और नरेंद्र मोदी 95% कवरेज बटोरते रहतें हैं बकि 4.99 लोग शशि थरूर की महिलाओं के साथ फोटो शेयर करते रहतें हैं । इससे पता चलता है कि हिंदुओं का मानसिक स्तर बहुत निम्न स्तर पर गिर चुका है ।  7.हिंदुओं के सबसे बड़े संघटन आरएसएस का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है क
 कैसे दहेज प्रथा के बारे में सरकारी दुष्प्रचार ने सनातनी परिवार व्यवस्था को तहस नहस कर दिया इसके बारे में हिन्दुओ को विस्तार में समझना चाहिए। दहेज ,वह उपहार हैं या वह बेटियों का पिता के सम्पति में हिस्सा है ,जो पिता ,भाई और परिवार अपनी मर्ज़ी से ,खुशी से बेटियों को उपहार स्वरूप दे देता था  । लेकिन इस प्रथा को पहले सरकारी भोंपू दूरदर्शन ने यह कहकर बदनाम करना शुरू किया कि इससे पिता पर गैर जरूरी बोझ पड़ता है । इस पर फिल्में बनाई जाने लगी कि कैसे दहेज के कारण हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार होता है । जबकि दूसरी तरफ यही सरकारी दुष्प्रचार हलाला , tripal तलाक , बुरका , बहु निकाह प्रथा , मेहरम आदि के बारे में बिल्कुल मौन रहता है ।  सरकार फिर इसी दुष्प्रचार का सहारा लेकर हिन्दू परिवार व्यवस्था को तोड़ने के लिये दहेज विरोधी कानून लेकर आती है । लेकिन सरकार को अपना हितेषी मानने वाला बेवकूफ हिन्दू चुप रहता है । इस दहेज विरोधी कानून का सरकार द्वारा जमकर दुरूपयोग किया जाता है । पति के सारे परिवार ,बूढ़े माता पिता ,भाई बहन , यहां तक कि दूध मुंहे बच्चों को भी जेल में ठूंस दिया जाता है । इससे हिन्दू युवक विवाह स