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सनातन मिश्रित खेती और आज की पूंजीवादी खेती

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नमष्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे ।कि कैसे सनातन मिश्रित खेती पूंजीवादी खेती से हरेक पैमाने पर अच्छी है ।पूंजीवादी खेती की तुलना में मिश्रित खेती किसान के लिए भी अधिक उपयोगी है ।और उपभोक्ता के लिए भी अधिक उपयोगी है। हम चर्चा करेंगे कि क्यों और कैसे पूंजीवादी खेती के कारण किसान केवल और केवल सरकार और पूंजीवादी कम्पनीओं पर निर्भर हो रहा है। और मिश्रित खेती किसान को  कैसे आत्महत्या से  बचा सकती है। और मिश्रित खेती से उपभोक्ता को कैसे सही दाम पर रसायन रहित उत्पादन मिल सकता है | आजकल जो खेती की जा रही है। उसमें एक स्थान पर केवल एक ही तरह की फसल उगाई जाती है ।जैसे कि पंजाब में केवल धान और गेहूं की फसल ही उगाई जाती है ।पूंजीवादी खेती का मूल मंत्र है ।कि किसान अपनी सारी की सारी फसल बाजार में बेचे ।और अपनी जरूरत का सारा समान बाजार से खरीदे ।जैसे कि अगर किसान धान और गेहूं बेचता है। तो उसको सब्जी,दालें,सरसों का तेल,मूंगफली,ज्वार बाजरा,मक्की आदि बाजार से खरीदने पड़ते हैं ।जबकि मिश्रित  खेती में किसान अपने घर की जरूरत का अधिकतर समान जैसे दाल,सब्जी आदि खुद ही बीजता था । और जो फसल अधिक होती थी  उस
 इतनी तीव्र गति के वाहन ,हाईवे , रेलवे आदि के आने के बाद आपके पास समय ही समय होना चाहिए परन्तु हो बिल्कुल विपरीत रहा है । इसका असल कारण क्या है इसको एक उदहारण के माध्यम से समझते हैं । मान लो दो छोटे कस्बे हैं संगरूर और सुनाम दोनों के बीच की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है । पहले जब मोटरसाइकिल इतने सुलभ नहीं थे और सड़कें भी उचित नहीं थे संगरूर के दिहाड़ीदार मजदूर संगरूर में ही दिहाड़ी करते थे और सुनाम के मजदूर सुनाम में ही दिहाड़ी करते थे । फिर आया आजकल का जमाना मजदूरों के पास मोटरसाइकिल आसानी से उपलब्ध हो गए सड़के भी बढ़िया बन गईं । अब इससे हुआ क्या 30 मिनट लगाकर संगरूर का मज़दूर सुनाम जाने लगा और सुनाम का मजदूर 30 मिनट और 50 रुपया खर्च कर संगरूर जाने लगा । इससे काम तो उतना ही रहा और रियल इनकम भी उतनी ही रही लेकिन मजदूरों की जिंदगी में 1 घंटा प्रतिदिन यातायात में व्यर्थ जाने लगा । आजकल जो व्यवस्था चल रही है इसको ग्लोबलाइजेशन का मॉडल कहते हैं इसमें समान और व्यक्ति व्यर्थ ही घूमते रहते हैं जिससे मनुष्य के जीवन में समय का अभाव रहता है ।  इसलिए जैसे जैसे यातायात के साधन और तीव्र गति के होंगे आपके
 भारत के लोगों के लिए create किया गया फर्जी आदर्श देश जापान की सरकार ने जापान में शराब के उपभोग को बढ़ाने के लिए एक अभियान चलाया है जिसमें 20 से लेकर 39 वर्ष के लडके लडकियां भ्रस्ट जापानी सरकार के निशाने पर हैं । इसके लिए जापान सरकार यह प्रतियोगिता करवा रही है कि जो लडका लडकी अधिक से अधिक शराब पियेगा वह विजेता रहेगा ।  यह सब शराब माफिया के रिश्वत का कमाल है ,जिनसे पैसा खाकर तथाकथित ईमानदार जापानी सरकार ने यह कदम उठाया है ।  जापान की परिवार और समाज व्यवस्था ,धर्म और संस्कृति  सरकारी षड्यंत्र की भेंट चढ़ गए है । जापान की सरकार का पूरा प्रयास है कि जापान के समाज का बिल्कुल नैतिक पतन हो जाए ताकि  जापान के समाज पर नियंत्रण करना बिल्कुल आसान हो जाए ।इसके लिए समाज को अश्लील वीडियो मुफ्त में उपलब्ध करवाए जातें हैं । शराब और नशों को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। महिलाओं को फेमिनिज्म की मूवमेंट चला कर बढ़काया जाता है और सरकार द्वारा नारी मुक्ति के कानून बना कर नारी को परिवार से निकाल कर सेक्स बाजार में धकेल दिया जाता है । फिर नारी जाति का जमकर शोषण किया जाता है ।जो नारी त्याग की प्रतिमूर्ति
  कई लोगों को लगता है कि इंग्लैंड का अगले अगले दस वर्षों में मियां लैंड बनने के पीछे मियां लोगों का हाथ है । उनसे मैं कहना चाहता हूं पहले जनसंख्या के आंकड़ों पर एक नजर मारे । आज भी मियां पापुलेशन  इंग्लैंड में केवल 8% ही है । जबकि भारत में यह संख्या लगभग 20% के पास है । इंग्लैंड के मियां लैंड बनने में मुख्य भूमिका कारपोरेट द्वारा इंग्लैंड की परिवार व्यवस्था को नारीवाद के आंदोलन , धर्म संस्कृति को नष्ट करने, मियां पॉपुलेशन को सस्ती लेवर के लिए आयात करने मेंके जरिए ध्वस्त करने में अधिक है  ।2011 में यहां ईसाई जनसंख्या 60% थी वह अब घटकर 30% रह गई है । यह 30% पॉपुलेशन भी बूढ़ों की अधिक है, इंग्लैंड के जवान लोग तो पबो और डांस बार में बैठे हैं ।इसके इसका मुख्य कारण कॉरपोरेट्स के इशारे पर कामरेड द्वारा चलाई गई नास्तिकता की मुहिम है जिसने इंग्लैंड की धर्म संस्कृति को जड़ से समाप्त कर दिया गया है ।दूसरी ओर कारपोरेट के इशारे पर सरकार द्वारा समाज का नैतिक पतन कर दिया गया है और  नारीवाद का  आंदोलन चलाकर इंग्लैंड की परिवार व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया दिया है । शक्तिशाली चर्च भी इस ना
  परिवार के अब लोगों का जॉब करने का जो रिवाज चला है । वह परिवार ,बच्चों और स्त्रीयों के लिए अत्यधिक घातक है । इसने अमेरिका , यूरोप में परिवार व्यवस्था का और ईसाइयत का एक प्रकार से अंत कर दिया हैं । यहां अमेरिका एक और 1960-70 के दशक में 60% लोग परिवार में रहते थे अब केवल 10% लोग ही परिवार में रह रहें हैं । इसका एक बड़ा कारण पति और पत्नी दोनो का जॉब करना हैं । इससे परिवार बन नहीं पाता। इसको देखते हुए अब अमेरिका में traditional family system की मांग जोर पकड़ती जा रही है । जिसमें पति कमाता है और पत्नी घर ,परिवार और बच्चे संभालती है । भारत में आज से 30 वर्ष पहले तक स्त्री की कमाई खाना उचित नहीं समझा जाता था केवल बहुत आपातकाल में स्त्री कमाई करती थी वह भी अधिकतर घर पर रह कर । इससे परिवार भी बच्चा रहता था और स्त्री भी सुरक्षित और आराम से रहती थी । प्रकृति ने स्त्री का शरीर नाजुक बनाया है । स्तनपान मां ही करवा सकती है पिता नहीं । मासिक धर्म स्त्री को ही आता है ,पुरुष को नही। स्त्री का शरीर हर दो तीन घंटे के बाद आराम मांगता है जो घर पर ही संभव है । लेकिन कॉरपोरेट को सस्ती लेबर उपलब्ध करवाने क
 दो जन्मदिन  अगर हमने सनातन संस्कृति को अपने बच्चों में सफलता पूर्वक हस्तांतरित करना है तो हमें दो बार जन्मदिन मानने का तरीका अपनाना ही पड़ेगा।  एक जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से और दूसरा विक्रमी पंचांग के अनुसार ।  हम अपने बच्चों को अगर यह सुझाव दें कि वह केक बगैरा काट कर अपना जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर से मना लें और दूसरी बार जन्म दिन सनातन परंपरा के अनुसार विक्रमी पंचांग के अनुसार मना लें । विक्रमी पंचाग के अनुसार जन्मदिन मनाने के निम्नलिखित लाभ होंगे  1.  आपके बच्चे का जन्म पूर्णतय वैज्ञानिक और शास्त्रों के अनुसार मनाया जाएगा । क्योंकि सारे ग्रह नक्षत्र अपनी सही स्थिति में होंगे ।  2. इस दिन आप हवन करवाएं , गऊ माता को बच्चे के हाथ से चारा डलवाएं , घर में बढ़िया व्यंजन बनाए । मंदिर में , गौशाला ,गुरुकुल में जाएं । ऐसा करने से आपके घर की भी शुद्धि होगी और मन की भी ।और बच्चो को गऊ माता और देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा ।धीरे धीरे बच्चा और आप सनातन संस्कृति से जुड़ जायेगा ।  3.धीरे धीरे अंग्रेजी जन्मदिन को dilute करतें रहें । जैसे उपहार आदि सनातन जन्मदिन के समय अधिक दें । अंग्
 हिंदुओं को अपनी लडकियों के अश्लील कपड़ों से अधिक चिंता मुस्लिम औरतों के हिजाब और बुर्के से है । हिंदुओं अपनी ओलादों को संभालो जो पैसे के लिए अश्लील वीडियो बनाकर बेचती हैं । अपना घर सुधारो दूसरों के फटे में टांग मत फसायो ।
 सरकार के पल्ले हिंदुओं को देने के लिए कुछ नहीं है । इनका single point agenda है कि छोटे लोगों को समाप्त कर बड़ी कंपनियों को कैसे सारा व्यापार हस्तांतरित किया जाया और इसको जीडीपी और विकास का नाम देकर आम लोगों को उल्लू बनाया जाए । बड़ी कंपनियों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि इनको transport cost बहुत पड़ती है। जिससे यह कुटीर उद्योगों के सामने टिक नही पाते । अब adani का नकली कच्ची घानी का सरसों का तेल एक तो असली छोटे कोहलू के ठंडे सरसों के तेल के सामने कहीं नहीं टिकता । दूसरा ग्राहक सीधा किसान पीली सरसों के 50 किलो की एक बोरी activa पर डाल कर छोटे कोहलू से निकलवाने लगा है । अब इसमें transport की लागत आई 50 रुपए । अडानी अब सरकार पर दवाब  डाल रहा है कि logistick cost कम करो । इसलिए सरकार अब नई logistic नीति लेकर आई है जिससे कॉरपोरेट को ट्रांसपोर्ट की लागत कम से कम हो जिससे कुटीर उद्योगों की रही सही कमर भी टूट जायेगी । सरकार से यही प्रयास आम आदमी का चूर्ण निकाल रहें हैं लेकिन उनको जीडीपी का और कारों की बिक्री का आंकड़ा देकर चुप करवा दिया जाता है ।