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 यूरोप और अमेरिका में लोगों का ईसाइयत से मोहभंग हो रहा है । आये दिन पादरियों द्वारा ननों , बच्चो से किये जा रहे ब्लात्कार इसकी एक मुख्य वजह है । एक रिपोर्ट के अनुसार 80% पादरी समलैंगिक हैं । भारत में भी ऐसे समाचार अक्सर सुनने को मिल जातें हैं । पहले चर्च ऐसे समाचारों को दवा देता था लेकिन अब सोशल मीडिया के ज़माने में सच बाहर आ ही जातें हैं । इसलिये विदेशों में अब ईसाईयत को मानने वाले बहुत ही कम बचे है । मिशनिरों द्वारा अब यूरोप और अमेरिका आदि में चर्च चलना फायदे का सौदा नहीं रहा । इसलिये कई चर्च चलने वाली कंपनियां ( मिशनरियां) अब यूरोप और अमेरिका में चर्च बेचकर वहाँ पर निवेश कर रहीं है जहाँ पर आमदनी होने की अधिक सम्भावना है और वह है भारत । एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले पंजाब में इस समय ईसाइयों की 14 कंपनियां पंजाब में निवेश कर रहीं हैं । क्योंकि पंजाब में सिख प्रचारकों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं का इतना crticisim और विरोध किया जा रहा है कि पंजाब में गांवों नास्तिकता पैदा हो रही है जिससे एक वैक्यूम उत्तपन्न हो रहा है जिसको भरने के लिये ईसाई मिशनरी जो कि एक मल्टी नेशनल कंपनियों की तरह चलती है
 सनातन धर्म पुनर्जन्म को मानता है जबकि इस्लाम ईसाइयत पुर्नजन्म को नहीं मानते।  इसलिए सनातन की पुर्नजन्म की अवधारणा पर समय समय पर bollywood द्वारा प्रहार किया जाता है । जिंदगी मिलेगी ना दोबारा , नामक bollywood फिल्में इसी कारण बनाई जाती हैं । क्योंकि अगर पुर्नजन्म की अवधारणा लोगों के अंदर बैठ गई तो इस्लाम और ईसायत की चूल्हें हिल जाएंगी । इसलिए जब भी अब को पुर्नजन्म का कोई समाचार मिले इसका प्रचार जरूर करें । बॉलीवुड का यह नैरेटिव हमें तोड़ना होगा । 
 एक धारावाहिक बना था उपनिषद गंगा ,चन्द्रप्रकाश द्विवेदी की कालजयी कलाकृति । सनातन धर्म को इतनी सरलता और रोचक तरीके से समझया है चन्द्रप्रकाश द्विवेदी जी ने कि पूछो ही मत । हर हिन्दू को एक बार यह उपनिषद गंगा नाम का धारावाहिक पूरा जरूर देखना चाहिए । वेदों का सार है उपनिषद  । और इस धारावाहिक में उपनिषदों को क्या मजेदार ढंग से प्रस्तुत किया7 है । सनातन धर्म की धरोहर है यह । अगर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना है तो यह उपनिषद गंगा मील का पत्थर साबित होगा । अगर आप भी सनातन धर्म का क ग घ समझना चाहतें हैं तो you tube में इसको अवश्य देखें । 54 प्रकरण हैं । हर एक नायाब है । जैसे जैसे देखते जाएंगे ज्ञान ,रोमांच के सागर में उतरते जाएंगे। 
कंपनियां आपको कैसे मूर्ख बनाती हैं । 1.बड़े बड़े अक्षरों में लिखा रहेगा' FORTUNE कच्ची घाणी का शुद्ध सरसों का तेल' और पीछे छोटे छोटे अक्षरों में लिखा होगा इसमें कुछ कच्ची घाणी का तेल नहीं है । 2. नाम रखा जाएगा BAJAJ ALMOND OIL यानि बादाम का शुद्ध तेल और पीछे अवयवों की सूची में लिखा होगा कि बादाम का तेल है केवल 29% बाकि है सरसों का तेल । 3. विज्ञापन चलेगा आंवले के तेल का और बोतल में सब घटिया MINERAL OIL , PALM OIL भरा रहेगा । यह सब तो उदहारण है आपको कि आपका उल्लू कैसे खिंचा जाता है और आप उल्लू बन भी जाते हो । यह जो आपने अंग्रेजी स्कूल में जो दस साल अंग्रेजी माता की गोद में पढ़ाई की उसका जरा उपयोग तो करो । विकल्प:- स्थानीय आपकी आंखों के सामने निकला तेल ,आटा ,नमक ,मिर्च, मसाला ,मक्खन ,घी ,बेसन हल्दी ,ताज़ा दूध बिना पैकेट वाला । बस इतनी ही सूची है।अगर यह आठ दस चीज़ें आप अपनी पिसवा लो या तैयार कर लो ,सरकारी certified मिलावट के जहर से आप बच सकते हो ।
कल स्थानीय श्मशान घाट कमेटी में संघ के धर्म जागरण मंच की और से सम्पर्क किया गया । जिसमें श्मशान घाट के अधिकारियों के इस बात के लिये आग्रह किया गया कि अंतिम संस्कार की रस्म के लिये सम शान घाट में देशी गाय माता के गोबर से तैयार उपले (कंडे ,पथियाँ ) भी रखें जाएं जाए । तांकि अंतिम संस्कार की रस्म देशी गाय के गोबर के उपलों पर हो सके । श्मशान घाट के अधिकारी इस पर सहमत हो गए । अगर हिन्दू समाज लकड़ी के स्थान पर देशी माता के गोबर के उपलों पर किया जाए तो इसके निम्नलिखित लाभ होंगें। 1. शास्त्रों के अनुसार गाय के गोबर पर अंतिम संस्कार सबसे उत्तम है। 2. इससे करोड़ों पेड़ वर्ष भर में कटने से बच जाएंगे । एक पेड़ को बड़ा होने में कम से कम दस साल का समय लगता है । इससे पर्यावरण संरक्षण होगा । 3. देशी गाय माता से लोगों का जुड़ाव बढ़ जाएगा । 4. देशी गाय माता की गो शाला को अतिरिक्त आमदनी भी हो जाएगी । एक शव पर कम से कम 500 उपलों की जरूरत होगी जिससे 1000 रुपये तक प्रति अंतिम संस्कार गो माता के सेवा के लिये स्वयं अर्पित हो जाएंगे । 5. कई गरीब लोगों को रोजगार मिलेगा । 6.हिन्दू समाज की पर्यावरण सरक्षण की प्र
अल्पसंख्यक वाद सनातन धर्म को अंदर ही अंदर से घुन की तरह खा रहा है । क्या पंजाब में सिख हों ,क्या कर्नाटका में लिंगयात ,क्या बंगाल में राम कृष्ण मिशन के अनुयायी , क्या वनवासी ,क्या पिछड़े। सब एक ही रट लगा रहें है कि हम हिन्दू नहीं हैं । सारे मत पन्थ सम्प्रदायों , बाबापन्थ वाले ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहें हैं कि हमें अल्पसंख्यक declare करो । कारण अल्पसंख्यक होने से मिलने वाले लाभ । क्या भारत सरकार हो क्या राज्य सरकार सब अल्पसंख्यक तुष्टिकरण इस प्रकार कर रहें हैं जैसे हिंदुओ ने कोई गुनाह किया हो । 700 साल मुस्लिमां ने इस देश पर राज किया 200 साल ईसाइयों ने लेकिन पीड़ित अल्पसंख्यक रहे । इस देश में क्या क्या उल्टी सीधी थेओरी चल रहीं हैं सोच कर दिमाग चक्कर खा जाता है । पंजाब में 35000 हिंदुओं की नसलकुशी हुई लेकिन पीड़ित कौन सिख । मुसलमानों ने तलवार की जोर पर अलग देश ले लिया लेकिन पीड़ित कौन मुसलमान । जब तक देश मे अल्पसंख्यक तुस्टीकरण चलता रहेगा । सनातन धर्म ऐसे ही अलग अलग मत सम्प्रदाय में विघटित होता रहेगा । इसको रोकने के लिए या तो अल्पसंख्यक तुस्टीकरण बिल्कुल समाप्त किया जाए । लेकिन अगर आपकी रीढ़
एक जज बैठ कर 140 करोड़ लोगों के भाग्य का फैसला कर लेता है वह भी बिना किसी जबाबदेही के । एक वकील याचिका दायर करता है कि पत्नी अगर चाहे तो पति के विरुद्ध बलात्कार का केस कर सकती है जिसमे पति को बहुत सख्त सजा दी जाए । एक जज इसके में फैसला दे देता है । 140 करोड़ लोगों की जिंदगी नर्क बना दी जाती है । यही है आयातित अन्याय व्यवस्था और लोकतंत्र का ढकोसला । किसी ने आपसे पूछा । हो गया आपकी जिंदगी का फैसला । इन घटिया कानूनों के चलते हिंदुओं की जन्म दर 1.5 से भी कम रह गई है । जिसके कारण अगले 45 सालों में हिन्दुओ की गिनती आधी हो जायेगी यानि लगभग 50 करोड़ । जापान में भी इसी तरह घटिया न्याय व्यवस्था के कारण वहां के लोगों की जिंदगी झंड बन गई है 47% लोग विवाह ही करवा रहे । विकल्प:- सनातन न्याय व्यवस्था जो महाराज मनु के सिद्धांत पर आधारित है । जिसमें कोई एक जज 140 करोड़ लोगों की जिंदगी का फैसला नहीं कर सकता ।
हिंदुओं की परिवार व्यवस्था तोड़ने के लिये कांग्रेस dowry act लाई थी मजेदार बात यह है कि यह dowry act मुसलमां पर लागू नहीं होता । इस dowry act के कारण हिन्दू लोग विवाह करने से डरने लगे हैं जिसके कारण हिंदुओं की आबादी बहुत कम गई है । अगले 45 वर्षो में हिंदुओं की आबादी आधी रह जायेगी । दूसरा तलाक का फैसला हिंदुओं के केस में घटिया अंग्रेजी अन्याय व्यवस्था करती है जिसमे आदमी बूढा हो जाता है लेकिन उसको तलाक नहीं मिलता । इससे हिंदुओ के पुर्नविवाह में बहुत रुकावट आ रही है । जबकि दूसरी और मोमिन लोग तीन तलाक के कारण किसी घटिया अन्याय व्यवस्था के चक्कर में नहीं पड़ते । मोदी सरकार ने केवल instant तीन तलाक पर रोक लगाई है । इससे हलाला जैसी प्रथा इनमें कम हो गई है । एक एक महीने पर तीन तलाक अब भी लागू है । सरकार को dowry act ,domestic violence act ,औऱ हिंदुओं के तलाक के मामले भी हिन्दू समाज पर छोड़ देनें चाहिए जिस तरह सरकार ने मुसलमानों के मामले मुस्कमनी पर छोड़ दिये है ।