एक जज बैठ कर 140 करोड़ लोगों के भाग्य का फैसला कर लेता है वह भी बिना किसी जबाबदेही के । एक वकील याचिका दायर करता है कि पत्नी अगर चाहे तो पति के विरुद्ध बलात्कार का केस कर सकती है जिसमे पति को बहुत सख्त सजा दी जाए । एक जज इसके में फैसला दे देता है । 140 करोड़ लोगों की जिंदगी नर्क बना दी जाती है । यही है आयातित अन्याय व्यवस्था और लोकतंत्र का ढकोसला । किसी ने आपसे पूछा । हो गया आपकी जिंदगी का फैसला । इन घटिया कानूनों के चलते हिंदुओं की जन्म दर 1.5 से भी कम रह गई है । जिसके कारण अगले 45 सालों में हिन्दुओ की गिनती आधी हो जायेगी यानि लगभग 50 करोड़ ।
जापान में भी इसी तरह घटिया न्याय व्यवस्था के कारण वहां के लोगों की जिंदगी झंड बन गई है 47% लोग विवाह ही करवा रहे ।
विकल्प:- सनातन न्याय व्यवस्था जो महाराज मनु के सिद्धांत पर आधारित है । जिसमें कोई एक जज 140 करोड़ लोगों की जिंदगी का फैसला नहीं कर सकता ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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