अल्पसंख्यक वाद सनातन धर्म को अंदर ही अंदर से घुन की तरह खा रहा है । क्या पंजाब में सिख हों ,क्या कर्नाटका में लिंगयात ,क्या बंगाल में राम कृष्ण मिशन के अनुयायी , क्या वनवासी ,क्या पिछड़े। सब एक ही रट लगा रहें है कि हम हिन्दू नहीं हैं । सारे मत पन्थ सम्प्रदायों , बाबापन्थ वाले ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहें हैं कि हमें अल्पसंख्यक declare करो । कारण अल्पसंख्यक होने से मिलने वाले लाभ । क्या भारत सरकार हो क्या राज्य सरकार सब अल्पसंख्यक तुष्टिकरण इस प्रकार कर रहें हैं जैसे हिंदुओ ने कोई गुनाह किया हो । 700 साल मुस्लिमां ने इस देश पर राज किया 200 साल ईसाइयों ने लेकिन पीड़ित अल्पसंख्यक रहे । इस देश में क्या क्या उल्टी सीधी थेओरी चल रहीं हैं सोच कर दिमाग चक्कर खा जाता है । पंजाब में 35000 हिंदुओं की नसलकुशी हुई लेकिन पीड़ित कौन सिख । मुसलमानों ने तलवार की जोर पर अलग देश ले लिया लेकिन पीड़ित कौन मुसलमान ।
जब तक देश मे अल्पसंख्यक तुस्टीकरण चलता रहेगा । सनातन धर्म ऐसे ही अलग अलग मत सम्प्रदाय में विघटित होता रहेगा । इसको रोकने के लिए या तो अल्पसंख्यक तुस्टीकरण बिल्कुल समाप्त किया जाए । लेकिन अगर आपकी रीढ़ की हड्डी नहीं । और आप अल्पसंख्यक तुस्टिकरण बन्द नही कर सकते ,तो कम से कम बहुसंख्यक तुस्टीकरण ही शुरू कर दो । हिन्दुओ के मंदिरों का पैसा हिंदुओं की भलाई ,गोसेवा ,संस्कृत , गुरुकुलों के उत्थान में ही लगे या हिन्दू होने के कुछ अतिरिक्त लाभ मिलने लग जाएं तो इसमें क्या देश में दंगे हो जायेगें या आपकी विश्व व्यापी सेक्युलर देश की छवि भंग हो जाएगी क्या हो जाएगा । अगर अल्पसंख्यक आयोग बन सकता है तो बहुसंख्यक आयोग क्यों नहीं ।
जब तक यह नहीं होगा हिन्दू धर्म विघटित होता रहेगा ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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