दो जन्मदिन 

अगर हमने सनातन संस्कृति को अपने बच्चों में सफलता पूर्वक हस्तांतरित करना है तो हमें दो बार जन्मदिन मानने का तरीका अपनाना ही पड़ेगा। 

एक जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से और दूसरा विक्रमी पंचांग के अनुसार । 


हम अपने बच्चों को अगर यह सुझाव दें कि वह केक बगैरा काट कर अपना जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर से मना लें और दूसरी बार जन्म दिन सनातन परंपरा के अनुसार विक्रमी पंचांग के अनुसार मना लें । विक्रमी पंचाग के अनुसार जन्मदिन मनाने के निम्नलिखित लाभ होंगे 

1.  आपके बच्चे का जन्म पूर्णतय वैज्ञानिक और शास्त्रों के अनुसार मनाया जाएगा । क्योंकि सारे ग्रह नक्षत्र अपनी सही स्थिति में होंगे । 

2. इस दिन आप हवन करवाएं , गऊ माता को बच्चे के हाथ से चारा डलवाएं , घर में बढ़िया व्यंजन बनाए । मंदिर में , गौशाला ,गुरुकुल में जाएं । ऐसा करने से आपके घर की भी शुद्धि होगी और मन की भी ।और बच्चो को गऊ माता और देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा ।धीरे धीरे बच्चा और आप सनातन संस्कृति से जुड़ जायेगा । 

3.धीरे धीरे अंग्रेजी जन्मदिन को dilute करतें रहें । जैसे उपहार आदि सनातन जन्मदिन के समय अधिक दें । अंग्रेजी जन्मदिन पर भी मोमबती बुझाने के स्थान पर देशी घी का दिया जलाएं। 


केवल और मत पंथ  को कोसने से सनातन संस्कृति नही बचेगी । आपको स्वयं आगे बढ़ कर प्रयास करने होंगे । 

 

मेरी संस्कृति  मेरा धर्म, रक्षा करना मेरा कर्म

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