इतनी तीव्र गति के वाहन ,हाईवे , रेलवे आदि के आने के बाद आपके पास समय ही समय होना चाहिए परन्तु हो बिल्कुल विपरीत रहा है । इसका असल कारण क्या है इसको एक उदहारण के माध्यम से समझते हैं । मान लो दो छोटे कस्बे हैं संगरूर और सुनाम दोनों के बीच की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है । पहले जब मोटरसाइकिल इतने सुलभ नहीं थे और सड़कें भी उचित नहीं थे संगरूर के दिहाड़ीदार मजदूर संगरूर में ही दिहाड़ी करते थे और सुनाम के मजदूर सुनाम में ही दिहाड़ी करते थे । फिर आया आजकल का जमाना मजदूरों के पास मोटरसाइकिल आसानी से उपलब्ध हो गए सड़के भी बढ़िया बन गईं । अब इससे हुआ क्या 30 मिनट लगाकर संगरूर का मज़दूर सुनाम जाने लगा और सुनाम का मजदूर 30 मिनट और 50 रुपया खर्च कर संगरूर जाने लगा । इससे काम तो उतना ही रहा और रियल इनकम भी उतनी ही रही लेकिन मजदूरों की जिंदगी में 1 घंटा प्रतिदिन यातायात में व्यर्थ जाने लगा ।
आजकल जो व्यवस्था चल रही है इसको ग्लोबलाइजेशन का मॉडल कहते हैं इसमें समान और व्यक्ति व्यर्थ ही घूमते रहते हैं जिससे मनुष्य के जीवन में समय का अभाव रहता है ।
इसलिए जैसे जैसे यातायात के साधन और तीव्र गति के होंगे आपके जीवन में समय और काम होगा । जबकि लोगों को लगता है तीव्र गति के वाहनों से उनका समय बचेगा ।
अगर आपने अपना समय बचना है तो राम राज्य में प्रचलित Localisation का मॉडल अपनाना होगा । कम से कम शून्य तकनीक के उत्पाद में जैसे आटा ,बिस्कुट ,भुजिया , तेल नमक आदि । व्यर्थ के globalization से दो बातें होनी पक्का है एक आपके पास समय नहीं रहेगा दूसरा आपके पास पैसा नहीं रहेगा ।
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