राम साक्षात धर्म का विग्रह हैं। जब सनातन समाज स्वयं को निर्बल पाए तो राम की तरफ देख ले। भगवान के पास क्या था जिससे वह रावण के विरुद्ध डट गए थे । अनट्रेंड बंदर ,भालू ,दूसरी तरफ रावण के पास well trained ,well equipe professional army। रावण लड़ने लिए रथ ( fighter plane ) में आया था जबकि भगवान पैदल । विभीषण को यह देख कर दया आ गई कि भगवान आप बिना रथ के इस लालच की चरम सीमा रावण का कैसे मुकाबला करोगे ।तो राम ने जवाब दिया कि जिस रथ से जीत प्राप्त होगी वह रथ दूसरा है ।जिसके सोरज और धीरज दो पहिए हैं । जिसकी ध्वज पताका शील और सत्य दो भाग हैं । मैं सच का एक बाण मारूंगा और रावण का काम तमाम कर दूंगा ।
सीता माता धरती का प्रतीक है और राम सच का प्रतीक है। धरती की ,धर्म की रक्षा सच से ही हो सकती है इसलिए धरती ने सीता के रूप में जन्म लिया ,संस्कृत में कृषि भूमि को सीता ही कहा जाता है और सच ने राम ने राम के रूप में जन्म लिया । राम रूपी सच ने सीता रूपी धरती की रक्षा की ।
आज भी हम धर्म ,धरती ,और अपनी रक्षा सच के अचूक रामबाण से कर सकते हैं । सच का एक बाण कॉरपोरेट द्वारा फलाए गए भ्रम जाल को ऐसे जलाकर खाक कर सकता है जिस्प्रकार अग्नि की एक चिंगारी वन को जला डालती है।
यह तो रहा सिद्धांत अब इसको आजकल की उदाहरण देकर समझा जाए । सरकार और कॉरपोरेट के षड्यंत्र के तहत ड्रॉप सी नामक सीड का भ्रम जाल फैला कर सरकार और कॉरपोरेट ने कोहलू वाले सरसों के स्थान पर प्राणघातक रिफाइंड ऑयल को घर घर पहुंचा दिया । मेडिकल माफिया ने फफोला ऑयल वालों से पैसे खाकर फफोला को हार्ट ऑयल बना दिया ।दिन रात मीडिया के द्वारा दिन रात टीवी पर advertisement चलाई गई । करोड़ों रुपए खर्च कर घटिया रिफाइंड ऑयल को हार्ट ऑयल बनाकर जमकर चांदी कुटी गई ।
एक व्यक्ति उठा ,राजीव दीक्षित उसने पैरों में सौ रुपए की चप्पल डाल कर और चार सो रुपए का कुर्ता पजामा डालकर सच का एक बाण मारा और रिफाइंड करोड़ों का साम्राज्य तहस नहस कर डाला । राजीव भाई ने घड़ी की सुई देखकर 2 मिनट के भाषण ने आजकल रावण कंपनियों के मायाजाल नाश कर डाला ।
इस तरह राजीव भाई दीक्षित के सच बोलने से धरती की रक्षा हुई कि नहीं हुई? धर्म की रक्षा हुई कि नहीं हुई ?आप की रक्षा हुई कि नहीं हुई ?
कंपनियां आजकल की रावण है। इनके द्वारा फैलाए गए मायाजाल को सच के एक बाण द्वारा काटा जा सकता है । इसलिए आपको हमेशा सच बोलना चाहिए ताकि धर्म की रक्षा हो ,धरती की रक्षा हो और आपकी रक्षा हो ।
इसलिए शास्त्रों का उद्घोष है
' सत्यमेव जयते '
संस्कृत का सबसे बड़ा अपशब्द सत्यानाश ही है । अगर आपके सत्य का नाश ही हो गया तो बचाने के लिए कुछ बचता ही नहीं।
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