नारीवाद सरकार द्वारा create की गई फ़र्ज़ी problem है और पुरुषवाद इसकी प्रतिक्रिया है । नारीवाद का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं के परिवार को तोड़ना है और नारियों का शोषण करना जिसमें सरकार बहुत हद तक सफल रही है । हिंदुओ में अब तलाक की दर 50% से ऊपर चल रही है । जैसे जैसे नई पीढ़ी आती जाएगी जिसमें लड़के बिल्कुल बदचलन playboy होंगे और लड़कियां बिल्कुल sex doll , बदचलन होंगी । तब तलाक की 90% तक हो जाएगी । इससे सबसे अधिक नुकसान महिलाओं ,बच्चों ,बजुर्गों को होगा । अगर नारीवाद नहीं रहेगा तो पुरुषवाद नहीं रहेगा । शिव और सती की तरह दोनों एक हो जाएंगे । 


जैसे सरकार ने आरक्षण , sc st एक्ट के माध्यम से हिंदुओं की भिन्न भिन्न जातियों को लड़वाया है । दलितवाद ,पिछडवाद की प्रतिक्रिया अगड़ावाद है । 

इसी तरह वनवासी समाज जो सदियों से सनातनी मान्यता पर चलता है उसको सरकार द्वारा आदिवासी कहकर भड़काया जा रहा है । 


सरकार के इस प्रयास में कॉरपोरेट , कॉमरेड कन्धा से कंधा मिलाकर साथ दे रहें हैं ।राष्ट्र्वादी हिंदुओं की समस्या यह है कि वह कॉमरेडों को तो इन समस्याओं के लिये टारगेट कर रहा है क्योंकि यह सामने आकर इस सबकी पैरवी करतें हैं। लेकिन राष्ट्र्वादी हिन्दुओ को यह समझने की जरूरत है । कॉमरेड तो payroll पर हैं असली लाभ तो कॉर्पोरेट को है । कॉरपोरेट ,वामपंथी और मीडिया की मार्फ़त feminism ,जातिवाद , मूलनिवासी ,आदिवासी का पहले प्रोपेगैंडा फैलातें है फिर सरकार को पैसे देकर हिन्दू नारियों को परिवार से मुक्त करवाने के कानून बनवाते हैं ।


मजेदार बात यह है कि सरकार द्वारा मुस्लिम समाज ,ईसाई को नारीवाद ,शिया ,सुन्नी या जाति वाद के नाम पर नहीं बांटा जा रहा । इसका एक कारण ईसाई और मुस्लिम देशों से सरकारी लोगों को मिलने वाला पैसा ,इनाम का लालच शामिल है ।

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