जो लोग क्रूड की नेगेटिव कीमत पर नाच रहें हैं

जो लोग क्रूड की नेगेटिव कीमत पर नाच रहें हैं। उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि अगर कच्चे तेल के भाव ऐसे ही नेगेटिव रहतें हैं तो भारतीय रुपये की हालत भी वेंज़ुअला जैसी हो सकती है  क्योंकि कच्चे तेल से डॉलर की कीमित तय होती है । और भारत सरकार के पास 480 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है । 480 बिलियन मतलब 35 लाख करोड़ रुपये । और rbi ने कुल मुद्रा छपाई है वह है लगभग 22 लाख करोड़ । इस का अर्थ है कि भारत की कुल मुद्रा से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है । इस समय जो डॉलर की वैल्यू तभी है जब क्रूड की वैल्यू है । इसलिये डॉलर को पेट्रो डॉलर भी कहते हैं क्योंकि डॉलर सोने की जगह  crude oil से secure है । डॉलर के बदले अमेरिकन सरकार आपको सोना नहीं देगी । अब अगर कच्चे तेल के दाम लम्बे समय तक नीचे रहते हैं तो इसका अर्थ globalization ,पूँजीवाद का अंत है । अगर globaliztaion और पूँजीवाद कमजोर होता है तो अमेरिका कमज़ोर पड़ सकता है । जिससे हो सकता है आने वाले समय में सोना फिर से international ट्रेड की करेंसी बन जाये जैसे 1945 के प्रथम विश्व युद्ध से पहले थी । 

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