अंग्रेजों ,कांग्रेस और चर्च ने मिलकर सिख पंथ की जड़ों में ऐसा मट्ठा डाला है कि हिंदुओं की तरह सिख पंथ जड़ें बिल्कुल खोखली हो चुकीं हैं ।और खास बात यह है कि सिखों में सच बोलने वाला कोई नहीं हैं और सिख 1850 के दौर से बाहर नहीं आ पा रहे ।
चर्च के इशारे पर कॉमरेडस ने पंजाब के हर गांव में जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी बना दी है । जिसका मुख्य उद्देश पंजाब में जट्ट सिख और दलित सिखों के बीच पड़ी दरार को और चौड़ा करना हैं ।पंजाब के गांव की शामलात जमीन पर सरकारी कानून के अनुसार दलितों का हक है । यह शामलात जमीन राजे रजवाड़ों ने गौ माता के चारागाह के रूप में छोड़ी थी । अब गाय कौन सा वोट देती है इसलिए यह जमीन पंजाब सरकार ने एक कानून बनाकर दलितों के नाम कर दी । इन अधिकतर शामलात जमीन पर पंजाब के दबंग जट्ट सिख समुदाय का कब्जा है । चर्च समर्थित कामरेडस की जमीन प्राप्त संघर्ष कमेटी हर गांव में इस शामलात जमीन को दलित समुदाय को देने के लिए आंदोलन कर रही है । जिससे जट्ट सिख और दलित सिखों में झगड़े हो रहें हैं । जट्ट सिखों का पंजाब के गुरुद्वारों पर और गांव के शमशान घाटों पर नियंत्रण है अब जट्ट सिख इस जमीन प्राप्ति मुहिम की खुन्नस दलित सिखों की एंट्री गुरुद्वारे और शमशान घाट में रोक लगाकर निकाल रहा है । जिससे तंग होकर दलित समुदाय थोक के भाव में ईसाई बन रहा है । एक गांव में 51 दलित सिखों ने इस बात से तंग होकर ईसाई मजहब में धर्म परिवर्तन कर लिया ।
दूसरी और पिछले 20 वर्षो में सिख प्रचारकों ने ने सिख सिद्धांतो की जड़ पर प्रहार करना जारी रखा है । इन्होंने सनातन धर्म का डर दिखा कर सिखों में से गुरुबाणी के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न कर दी है ।क्योंकि गुरबाणी में बार-बार राम और कृष्ण का नाम आता है और सिख प्रचारको ने राम और कृष्ण को इतना क्रिटिसाइज कर दिया है ,कि अब लोगों को नया भगवान जोकि जीसस के रूप में ईसाई मिशनरियों ने दिया है वह अच्छा लगने लगा है।
इसलिए पंजाब में पंजाब के गांव में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार की अत्यंत आवश्यकता है, और यह अत्यंत संधि है सरल भी है ! अगर कोई संत महात्मा सनातन का प्रचार गांव में करता है जो लोग उसको हाथों हाथ लेंगे। इससे धर्म परिवर्तन भी रुकेगा और पंचनाद की धरती पुनः सनातन संस्कृति से ओतप्रोत हो जाएगी
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