अगले दस वर्षों में हिंदुओं का पतन निश्चित है जो कांटे 1980 के दशक में बोए गए थे dowry act ,domestic violence act ,women empowerment, के रूप में उनका अब रुझान आना शुरू हो गया है। बॉलीवुड और सरकार मिलकर स्त्री जाति को यह समझाने में कामयाब रही है कि पति केवल अमीर होना चाहिए , माध्यम वर्ग को परिवार का स्वप्न लेना बंद कर देना चाहिए । आज 50% हिंदू लड़के लड़कियों के विवाह नहीं हो रहे और जिन 50% के विवाह हो रहें हैं उनमें से केवल 10% ही बच पा रहें हैं कम से कम महानगरों के गंदे वातावरण में यह हो रहा है । छोटे नगरों और गावों में यह गंदा वातावरण बहुत तेजी से फैल रहा है । लेकिन मुस्लिम समाज को इस सरकारी षड्यंत्र से मुक्त रखा गया है । अगर इसको रोका नहीं गया तो हिंदुओं की अगली पीढ़ी जो 20 साल से कम की है उनका परिवार शायद ही बच पाए । कुल का नाश क्या होता है हिंदुओं की वर्तमान पीढ़ी को इसका रस्वादन होकर रहेगा । बहुत जल्द ही इस पर बहुत विस्तार से लेख लिखा जायेगा जिसमें कारण और निदान दोनों लिखे जायेंगे ।लेकिन हिंदू समा इस समस्या को लेकर कान में तेल डालकर सोया पड़ा है ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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