सनातन मंदिरों के पांच अंग होतें हैं
1.देवता की मूर्ति
2. गुरुकुल
3.गोशाला
4. यज्ञशाला
5. पाकशाला
सरकार जिन मन्दिरों को लूट रही हैं उनमें अधिकतर में केवल मूर्ति को छोड़कर बाकि चारों समाप्त कर दिए क्योकि मूर्ति से आमदनी होती है और बाकि चारों खर्चे का घर हैं । सरकार ने बड़े मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर सनातन व्यवस्था को तबाह कर दिया ।
मन्दिरों द्वारा संचालित इन गुरुकुलों में पढ़े छात्र हिन्दू समाज को सही मार्गदर्शन करते थे । जिनका स्थान अब पाखंडी धर्म गुरुओं ने ले लिया है । आजकल के अधिकांश हिन्दू धर्म गुरुओं ने धर्म की कोई पढ़ाई नहीं की है । गुरुकुलों के बन्द होने से देशी विदेशी सरकारों , मत सम्प्रदायों ने सनातन धर्म में अपने एजेंट बैठा दिये हैं । इसीलिए यह नकली धर्मगुरु हिंदुओं की जड़ें काटने में लगे हुए हैं ।
जिस प्रकार अगर सरकार MBBS की पढ़ाई बन्द करवा दे तो वैक्यूम भरने के लिये नकली MBBS आ जाएंगे और एलोपैथी का सत्यानाश कर देंगे । उसी तरह गुरुकुलों से धर्म की शिक्षा प्राप्त किये बिना यह नकली धर्मगुरु सनातन को पूरी तरह तहस नहस करके छोड़ेंगे ।
कभी आपने सोचा है कि मुस्लिम समाज भी इसी देश में रहता है उनकी लड़कियां क्यों अश्लील कपड़े नहीं पहनती हिन्दू लड़कियां ही क्यों LIVE IN RELATION, पब , जीन्स ,स्कर्ट आदि पहनती हैं ।।
हिन्दू अपने लड़कों को नशे ,शराब और दुराचारी बनने से क्यों नहीं रोक पा रहा ,दूसरी तरफ मुस्लिम नोजवान नशे से काफी हद तक मुक्त हैं ।।
हिंदुओं का हर स्तर पर बुरा हाल है चाहे वह स्वास्थ्य हो या हो चरित्र , ।हिन्दुओ की परिवार व्यवस्था क्यों टूट रही है । हिन्दू क्यों अपने ही देश में हर जगह पिट रहा है ।
इसका एक ही उत्तर है सरकार द्वारा गुरुकुलों का जानबूझकर किया विनाश । जिससे हिन्दुओ को मार्गदर्शन मिलना बिल्कुल बन्द हो गया औऱ हिन्दू समाज अब सम्पति के कगार पर है ।।
दूसरी तरफ सरकार द्वारा मदरसों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई इससे मदरसों से निकलने वाले मौलाना मुस्लिम समाज को सही दिशा निर्देश देतें रहते हैं । इसीलिए मुस्लिम समाज आज 20% होकर भी हिन्दुओ से अधिक मजबूत है ।
हिंदुओं अगर बचना है तो गुरुकुलों को मजबूत करो । सरकार पर दबाब डालो कि मन्दिरों को मुक्त करे और अधिक से अधिक गुरुकुलों का निर्माण हो ।
नए गुरुकुलों को सरकारी चंगुल से मुक्त रखने के लिये इनको SOCIETY REGISTRATION ACT से मुक्त रखना नितांत जरूरी है । उस बारे में विस्तार से चर्चा फिर कभी ।
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