सनातन धर्म को हम इस समय चार चीजों से आगे बढ़ा सकतें हैं पहला है योग ,दूसरा है आयुर्वेद , तीसरा है आध्यत्म और चौथा है भक्ति । इनमें से जिसकी जो शक्ति हो उसके माध्यम से सनातन को आगे बढ़ाए । जैसे कई सनातनी मित्र एलोपैथी के दवाइयों के कैम्प लगाते हैं उनसे मैं कहना चाहूंगा कि वह अगर एलोपैथी के स्थान पर आयुर्वेद के कैम्प लगाएं तो सनातन अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा । आप अपने शहर में योग की प्रतिदिन की शाखा शुरू कर सकतें हैं । अध्यात्म में गीता का वितरण हो सकता है । सबसे अंत में है भक्ति । इससे सबसे अधिक सनातन का प्रचार हो सकता है । इस्कॉन ने कई इस्लामिक और ईसाई देशों में भक्ति के माध्यम से लाखों लोगों को सनातन धर्म में परिवर्तित किया है । भक्ति पर बहुत काम होने वाला है । रामानंद जी भक्ति आंदोलन से संनातन धर्म मे पुनः जान फूंक दी थी । ईसाई मिशनरी का मुकाबला इस भक्ति नाम के शस्त्र से हो सकता है । जरूरत है हर गरीब अमीर को भक्ति से जोड़ने की । भक्ति में आपार शक्ति है । अगर सनातन प्रेमी जगराते भजन मंडलियों द्वारा गरीब बस्तियों में 2 घण्टे का भजन गायन का कार्यक्रम किसी गरीब व्यक्ति के घर मे रखें तो मजाल है कि ईसाई मिशनरी वहां पर अपने कदम जमा सकें । अगर कोई सनातन की सेवा करना चाहता है तो इनमें से कोई मार्ग चुन लें ।

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