सुना है चीन ने कृत्रिम सूर्य बना लिया है । अब चीन में रात में भी दिन की तरह चमक होगी । कई लोग इसको विकास की इंतहा कहकर लहलाहोट हो रहें हैं और इसको विज्ञान का चमत्कार कह रहें हैं । जबकि सच्चाई कुछ और ही है , वायु प्रदूषण ,ध्वनि प्रदूषण , जल प्रदूषण के बाद पेश है प्रकाश प्रदूषण । बड़े शहरों में प्रकाश प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोग अंधेरे को अब तरस रहें हैं । रात को सोने के लिये , आंखों को आराम देनें के लिये अंधेरे की अत्यधिक आवश्कता है । पेड़ पौधों ,कीट पतंगों ,जीव जंतुओं की कई प्रजातियों के लिये अंधेरा बहुत आवश्यक है । रात को चलने वाली फालतू लाइट से कई कीट पतंगों की प्रजातियां समाप्ति के कगार पर हैं । अकेले जर्मनी में हर साल लगभग 100 करोड़ कीट पतंगे, जो कि पेड़ पौधों के प्रागण के लिये बहुत आवश्यक है ,वह रात में सड़कों ,होटलों आदि में जलने वाली फालतू लाइट से मर रहें हैं । अब प्रश्न यह उठता है कि रात को इतना प्रकाश क्यों चाहिए । बल्व के आविष्कार से पहले लोग रात को 8 बजे से पहले सो जाते थे और सुबह 4 बजे उठ जाते थे । यानि 8 घण्टे जब अंधेरा होता था तो वह सो जाते थे और सूरज के प्रकाश में काम कर लेते थे । बल्ब के आविष्कार के बाद अब लोग रात को 12 बजे सोतें हैं और सुबह 8 बजे उठ जातें हैं । यानि पुराने लोगों के पास भी दिन में 16 घण्टे प्रकाश था आज के लोगों को भी दिन 16 घण्टे से अधिक प्रकाश नहीं चाहिये । लेकिन आजकल की उपभोग पर आधारित अर्थव्यवस्था में रात का बहुत अधिक महत्व है । होटल रेस्तरां , सिनेमा आदि के लिये रात का बहुत महत्व है । बाकि जितना अधिक देर तक supply होगी उतना अधिक उपभोग होगा । इसलिए चीन में रात को भी प्रकाश देनें के लिए सूर्य बनाया गया है । लेकिन प्रकृति के लिये , जीव जन्तुओं पेड़ पौधों के लिये और आपके लिये अंधेरा बहुत जरूरी है । इसलिये जितना हो सके रात को बहुत कम प्रकाश करें । सरकार को भी रात को 11 बजे के बाद street लाइट्स बन्द कर देनी चाहिये तांकि light प्रदूषण कम से कम हो । धरती पर अंधेरे को बचाएं ऐसा ना हो कि जिस तरह आपको आज साफ पानी ,साफ हवा खरीदनी पड़ रही है । एक दो साल में सोने के लिये ,अनिद्रा ,depression जैसी बीमारियों से बचने के लिए वैद्य जी अंधेरा खरीदने की सलाह दें ।
अंधेरा कायम रहे । अंधेरा बचाएं ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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