जो लोग अफगान और तालिबान को दो अलग अलग कौम मानते हैं वह महामूर्ख हैं तालिवान कोई आसमान से नहीं टपका । 99% अफगानिस्तान के मियां / मियांइन सरिये कानून के पक्षधर हैं यह मैं नहीं कहता । pew नाम की संस्था कहती है। जैसे isis वहावी सलाम को मानता है वैसे तालिवान देवबंदी सलाम को मानता है । कायदे से देखा जाए तो तालिवान की जननी भारत की पवित्र भूमि है । जिस भूमि पर योगेश्वर कृष्ण ने प्राणी मात्र की भलाई के लिये गीता का उपदेश दिया था उसी भारत भूमि पर अब देवबंद ने तालिबान जैसे राक्षस को जन्म दिया है । एक बार पाकिस्तान के जरनल राहिल शरीफ ने भी सलामी आतंकबाद के लिये देवबन्द को दोषी ठहराया था । और इस पर करवाई की मांग की थी । अगर अफगानिस्तान के बाद सबसे अधिक खतरा किसी को है तो वह भारत को है । 25 करोड़ हरे टिड्डे , बाकि जातियों में बंटा हिन्दू समाज , हिन्दुओं की जड़ो को खोखला करते हुए अलग अलग सम्प्रदाय और नकली धर्मगुरु , हिन्दू समाज में हद से अधिक बढ़ता feminism का जहर , झूठ की बुनियाद पर आधारित शिक्षा व्यवस्था यह सब मिलकर भारत को अधिक कमजोर बनाते हैं । जिनको लगता है कि तालिवान बाहर से हमला करेगा और देश की सेना संभल लेगी वह मूर्खो की दुनिया मे रह रहे हैं ,खतरा अंदर से है । ऐसे ही नही योगी जी ने ATS लगाई देवबन्द में । संविधान और हिन्दुओं का वो हर्ष होगा कि जमाना देखेगा । सीमा पर दो तरफ से दुश्मन , अंदर से देवबंदी तालिबान और हद से अधिक मादा पुसती करता हिन्दू समाज जो अब बिल्कुल जर्जर हो चूका है वह क्या मुकाबला करेगा । हिन्दुओं की इसी दशा को देखते हुए संघ को भी पता चल चूका है कि हिन्दू समाज अंदर से खोखला हो चूका है इसमें लड़ने का दम खम नहीं है । गज़वा शुरू होने वाला है भागने का मौका नहीं मिलेगा ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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