सनातन को आगे बढ़ाने के लिये आयुर्वेद को आगे बढ़ाना क्यों आवश्यक है । ----------------------- ‌1. अगर आप एलोपैथी का उपयोग करतें हैं । तो आपका विश्वास उस देश की धर्म संस्कृति में होगा । जिस देश यह एलोपैथी आई । क्योंकि एलोपैथी इंग्लैंड की देन है । जब लोग एलोपैथी का सहारा लेतें हैं तो अधिकतर लोग इंग्लिश संस्कृति को सनातन संस्कृति से श्रेष्ठ मानने लगते हैं । यह एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव है । इसीलिए पहले अंग्रेजो ने एलोपैथी को promote किया फिर उनकी मानसिक गुलाम सरकारों ने एलोपैथी को promote किया । जिसके लिए 98% बजट एलोपैथी को देकर प्रश्न आयुर्वेद से पूछे गए । गुरु शिष्य परंपरा से जो असली आयुर्वेदिक वैद्य तैयार होते थे जिनको नाड़ी देखने ,धातु मारने , जड़ी बूटियों का ज्ञान था उन पर झोला छाप कहकर प्रतिबन्ध लगा दिया । इसके स्थान पर BAMS को लया गया जिनको ना संस्कृत का ज्ञान है ,ना धातु का ,ना वात पित्त कफ का ,ना जड़ी बूटियों का । अधिकतर BAMS में एक INFERIORTITY COMPLEX होता है क्योंकि इनकी इच्छा MBBS में एडमिशन लेनें की होती है । जब ADMISSION नहीं मिलती तो यह मजबूरन BAMS में आ जातें हैं । इसलिये अधिकतर BAMS अपनी INFERIORITY COMPLEX के चलते एलोपैथी दवाएं लिखते हैं । एलोपैथी द्वारा इलाज करने से इनको एक और लाभ होता है वह है पैसे का । आयुर्वेद में GLUCOSE नाम की हथकड़ी नहीं होती जो एक दिन डॉक्टर का 2500 -3000 रुपये खरा करवाती है । दूसरा अधिकतर आयुर्वेदिक दवाएं सस्ती और घर पर बन जाती हैं । इनके नाम स्मरण जल्दी हो जातें हैं । लोगों को SIDE EFFECT का डर ना होने के कारण दूसरी बार लोग यह दवा खुद लेनें लगते हैं और लोगों को भी बता देतें हैं । आयुर्वेद की दवायों की कोई EXPIRY भी नहीं होती ।जबकि एलोपैथी की दवा कोई डरता मारा आप नहीं ले सकता । सरकार की कारस्तनी देखें,इन्होंने BAMS को एलोपैथी की दवा लिखने की आज्ञा दे रखी है, आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा को छीन कर एलोपैथी को दे दिया ,और कई आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग होने वाली औषधियों पर प्रतिबंध लगा रखा है जैसे भंग ,अफीम आदि । एलोपैथी की promotion के पीछे कारण मेडिकल माफिया को खुश करने के साथ साथ पछिमी संस्कृति और ईसायत को promote करना भी है । 2. अगर लोग आयुर्वेद की दवा लेंगे या योग प्राणायाम करेंगें तो लोगों का विश्वास सनातन संस्कृति और सनातन धर्म पर हो जाएगा । यह एक मानसिक अवधारणा है । एक अंग्रेज को कैंसर था उसको एलोपैथी ने जबाब दे दिया था । उसने योग ,आयुर्वेद जा सहारा लिया और ठीक हो गया । इसके बाद उसकी रुचि भारत में और सनातन में जगी और वह भारत आ गया । उसने सनातन धर्म के ग्रन्थ गीता ,रामायण आदि पढ़ डाले और सनातन धर्म में वापिसी कर ली । यही कारण है जब योग आयुर्वेद की बात होती है तो ईसाई मशीनरी चिढती हैं। जो लोग IMA के मलिक AUSTIN जयलाल का मजाक उड़ा रहें है । वह उसकी बातों का मर्म नहीं समझ रहे । इसलिये वह आयुर्वेद और योग पर प्रहार कर रहें हैं । क्योंकि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने योग और आयुर्वेद को सारी दुनिया में PROMOTE किया है इसलिये इनका टारगेट हमेशा यह रहतें हैं । बाकि मोदी जी तो इनकी आंख में रडकते हैं ही । मोदी जी ने 21 जून विश्व योग दिवस मनवाकर सारे विश्व मे सनातन का डंका बजा दिया है । इससे ही लाखों लोग हर वर्ष ईसायत छोड़ कर सनातन की शरण में आ रहें हैं । मोदी जी ने जब सर्जरी को भी आयुर्वेद को वापिस देनें का साहस किया तो यह ईसाई मशीनरी IMA के बहुत मिर्ची लगी । किसान आंदोलन में GREATA THUNBERGA वाली TOOLKIT षड्यंत्र आपको स्मरण होगा जिसमें उसने भारत की योग ,आयुर्वेद वाली छवि को तोड़ने की बात की थी । क्यों की थी ?आप को समझ आ चुका होगा । 3. अगर लोग आयुर्वेद से ठीक होने लग गए तो आयुर्वेद आचार्य की मांग बढ़ेगी । लोग अपने बच्चों को आयुर्वेद में पढ़ने के लिये कहंगे । जिसके लिये संस्कृत पड़ना जरूरी है । संस्कृत के विस्तार से सनातन का विस्तार होगा । फिर MODERN MOM अपने बच्चे को BALL कहने पर डाँटेगी और कहेगी इसको कंदुकदम बोल । जैसे एलोपैथी ने इंग्लिश भाषा और संस्कृति , ईसाई मत का वैसे ही विकास किया है । वैसे ही आयुर्वेद संस्कृत भाषा का और सनातन धर्म और संस्कृति का विकास करने के लिये नितांत आवश्यक है । सरकार को चाहिये कि 1. वह हेल्थ बजट की बंदरबांट बन्द करे । 98 % बजट एलोपैथी को देने के स्थान पर लोगों के खातों में health subsidy सीधे दे ।तांकि लोगों को मजबूरन एलोपैथी का इलाज ना करवाना पड़े । लोग चाहे एलोपैथी ले ,चाहे आयुर्वेद से उपचार करवाएं ,या होमियोपैथी से ,,या योग से । यह मरीज़ की choice होनी चाहिए ना कि सरकार की । 2 . आयुष्मान भारत मे आयुर्वेदिक उपचार को स्थान दे । 3. health insurance माफिया को कहे कि वह आयुर्वेद को भी अपने पोर्ट folio में स्थान दे । 4. गुरु शिष्य परंपरा पर लगा प्रतिबन्ध हटाये । 5. BAMS द्वारा एलोपैथी उपचार पर तुरंत सज़ा का प्रावधान करे । 5.आयुर्वेद की शल्य चिकित्सा एलोपैथी के डॉक्टरों के स्थान पर आयुर्वेद को वापिस करें । इसका आरंभ हो चुका है । इसको पूर्ण तौर पर आयुर्वेद को देकर एलोपैथी पर सर्जरी करने पर प्रतिबंध लगाए । विश्व में शल्य चिकित्सा को patent करवा कर जो भी रॉयल्टी मिलती है उसको आयुर्वेद और संस्कृत के विस्तार में लगाये । जब इनका सड़ा हुआ coca cola का फॉर्मूला पेटेंट हो सकता है तो सर्जरी क्यों नहीं आयुर्वेद के नाम पर पेटेंट हो सकती । जय आयुर्वेद जय सनातन संस्कृति

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