पंजाब में सनातन धर्म को अब प्रवासी हिन्दुओं ( महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश ,बिहार ) द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है । पंजाबी हिन्दुओं ने अपनी सारी संस्कृति और धर्म को मौज मस्ती और fun में परिवर्तित कर लिया है । मकर संक्रांति की पूर्वसंध्या पर लोहडी जो की सूर्य उपासना का पर्व है उसको पंजाबी हिन्दुओं द्वारा शराब और लचर गीतों के ऊपर अश्लील नाच गाने पर बदल दिया गया है । आज पंजाब में बसंत पंचमी का उत्सव जो की माँ सरस्वती की आराधना और हवन यज्ञ आदि का पर्व है उसको पंजाबी हिन्दुओं द्वारा लचर गीतों के ऊपर केवल पतंगबाजी करके मनाया जाता है । माँ सरस्वती के बारे में पंजाबी हिन्दुओं को कुछ नहीं पता । आशा की किरण केवल प्रवासी हिदुओं द्वारा दिख रही है । महाराष्ट्र के हिंदुओं द्वारा गणेश उत्सव अब पंजाबी हिन्दुओं द्वारा भी जोर शोर से मनाया जाने लगा है । इसी तरह दुर्गा पूजा के पंडाल भी लगने लगे हैं और छठ पर्व भी शुरू हो चुका है । लेकिन इनमें पंजाबी हिन्दुओं की समुलियात ना के बराबर होती है । बसन्त पंचमी के उपलक्ष्य में भी प्रवासी हिन्दुओं द्वारा सरस्वती पूजन और हवन के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ।
पंजाबी हिन्दुओं को चाहिये अपनी जड़ों को पहचाने । किसी और पंथ के हाथों जलील होने से अच्छा है कि सनातन धर्म को पंजाब में पुनर्जीवित करने का प्रयास करें । जितना तुम अपने धर्म की इज्जत करोगे दूसरा भी आपकी इज्जत करेगा । और पन्थो सम्प्रदायों से छित्तर खाने से अच्छा है अपने हीरो जैसे वीर हक्कीत राय , पोरस ,हर्षवर्धन ,महाऋषि बालमीक , महाऋषि वेदव्यास ,लव कुश , आदि को बनाएं । और प्रवासी हिन्दुओं द्वारा किये जा रहे धर्म स्थापना को सहयोग करें ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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