social media और आयातित लोकतंत्र ने इतने शक्तिशाली देश अमेरिका को बांट कर रख दिया है । अमेरिका में गृह युद्ध अभी नहीं तो एक दो साल में निश्चित ही है । social media और आयातीत लोकतंत्र ने समाज में नफ़रत के बीज बो दिये हैं । अमेरिका की परिस्थिति भारत से कहीं बेहतर है । भारत की दोनों सीमाओं पर दुश्मन बैठा है । अमेरिका के दोनों पड़ोसी उसके शत्रु नहीं हैं । nation state की अवधारणा के लिये यह आवश्यक है कि information system और education system सरकार के नियंत्रण में रहे और देश के लोगों की सोच को सरकार के दिशा निर्देश में एक direction में हाँका जाए । social मीडिया ने इस information system पर सरकार का नियंत्रण समाप्त कर दिया है और लोगों की सोच अब सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गई है । social मीडिया के आने के बाद समाज का एक तबका जिसे हीरो मानता है दूसरा उसे विलेन मानता है । जैसे भारत मे जब तक सोशल मीडिया नहीं आया था तब तक देश के अधिकतर लोग औरंगजेब को नफरत करते थे । लेकिन अब सोशल मीडिया के आने के बाद औरंगजेब भारत सरकार के विशेष समुदाय का हीरो है औऱ हिन्दू उसे विलेन मानते हैं । दूसरा सोशल मीडिया के आने से दुश्मन देश चीन पाकिस्तान कुछ करोड़ रुपये खर्च करके fifth generation warfare को अंजाम दे सकते हैं । जिसमें समाज को अंदर से तोड़ा जा रहा है । तीसरा सोशल मीडिया के tools विदेशी हाथों में बिक जाते हैं । जिसमें सरकार विरोधी content को आपके आगे रखा जाता है । भारत सरकार ने अगर देश को बचाना है तो इस information system को नियंत्रित करे ,नहीं तो भारत की हार तय है ।
आयातित लोकतन्त्र में भी सुधार होना चाहिये । वोटिंग पावर परीक्षा के द्वारा दी जानी चाहिये । तभी देश इस संकट से बच सकता है ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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