पूंजीवादी और कम्युनिस्ट अर्थव्यवस्था का मॉडल आप पर किस प्रकार कर्ज़े चढ़ा रहा है ?
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1मान लो 1-1-2008 में जमीन का रेट है 2 लाख रुपये प्रति बीघा । अब होता क्या है कि एक कंपनी है alok industries । यह कंपनी अपने शेयर गिरवीं रख कर एक सरकारी बैंक से 29500 करोड़ रुपये कर्ज़े ले लेती है । अब alok industries इन 29500करोड़ रुपये जमीन में invest कर देती है । अब जमीन का भाव 8 लाख रुपये प्रति बीघा हो जाता है क्योंकि सारी जमीन एक कंपनी के पास hord कर ली गई है । अब आपको खेती के लिये 4 बीघा जमीन चाहिये ।आपके पिता जी ने बरसों की मेहनत से आपके लिये 8 लाख रुपये बचा रखें हैं। यह 8 लाख रुपये लेकर आप एक दलाल के पास लेकर जातें हैं और उससे कहते हैं कि यह 8 लाख रुपये लेकर मुझे 4 बीघा दिलवा दो । दलाल कहता है कि अब जमीन का रेट बढ़कर 8 लाख रुपये हो गया है । इसलिए आपको 32 लाख रुपये का इंतजाम करना पड़ेगा । आपको अब यह जमीन काम करने के लिए चाहिये ही चाहिये । इसके लिये आप एक सरकारी बैंक में सम्पर्क करतें हैं जो आपको 24 लाख का loan दे देता है । अब आप अपनी saving के 8 लाख और 24 लाख रुपये का loan करवा कर कुल 32 लाख रुपये alok industries को देकर 4 बीघा जमीन खरीद लेतें हैं । अब alok industries वाले 8 लाख रुपये बैंक का वापिस कर देतें हैं और 24 लाख रुपये प्रॉफिट अपनी जेब में डाल लेतें हैं । आपके ऊपर 24 लाख रुपये का कर्ज़े चढ़ गया और alok industries को 24 लाख का profit हो गया । इस सारे घटनाक्रम से हुआ क्या ? ।
1. कोई नई नौकरी पैदा हुई क्या ? नहीं ।
2. भारत में बाहर से कोई जमीन कोई नई आई ? नहीं ।
3. आप पर 24 लाख का कर्जा चढ़ गया । जो आप 20 साल तक आसान किस्तों में भरते रहना।
4. alok industies को 24 लाख का प्रॉफिट हो गया और ऐसे हज़ारों सौदों में उसे अरबो रुपये का लाभ हुआ । जिससे उसके शेयर बढ़ गए जिससे देश की जीडीपी बढ़ गई और चारों तरफ तरक्की ही तरक्की हो गई ।
यह एक छोटा सा उदाहरण है कि पूंजीवादी और कम्युनिस्ट अर्थव्यवस्था का मॉडल आपकी सारी सेविंग चाट कर हर वर्ष आप पर कर्ज कैसे चढ़ा रहा है । इससे हर वर्ष मंहगाई कैसे बढ़ रही है । अगर सरकार पूंजीवादी और कम्युनिस्ट ,कर्ज़े के अर्थव्यवस्था के मॉडल के स्थान पर सनातन saving economy मॉडल को अपना ले तो देश की सारी प्रजा का कर्ज उतारा जा सकता है । जिस किसी ने भी महाराज विक्रमादित्य की तरह सारी प्रजा पर कर्ज उतरना है वह हमसे संपर्क करे l
नोट:-यह उदाहरण सत्य घटनाओं द्वारा प्रेरित है । मेरी कपोल कल्पना नहीं है ।
"Rajiv Kumar "
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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