जो कहा वो ही हुआ जैसे कि आप जानते हैं कि जब सरकार ने 20 लाख करोड़ का पैकेज (ऋण) की घोषणा की थी उसी समय हमने बता दिया था कि इससे महंगाई में बेहताशा वृद्धि होगी । वो बात आज सच हो रही है । जमीन की कीमतों में उछाल आ रहा है । सभी खाने पीने की वस्तुओं की कीमत में वृद्धि देखने को मिल रही है । ऐसा क्यों हो रहा है जानने की कोशिश करते हैं । सरकार का तर्क था कि जैसे ही सरकार 20 लाख करोड़ का ऋण देगी । उससे लोगों के पास धन आएगा जिससे demand generate होगी demand , पैदा होने से उत्पादन होगा । उत्पादन से रोजगार पैदा होगा । लेकिन इस 20 लाख करोड़ के loan से कितने नए लोगों को रोजगार मिला है वह कह नहीं सकते लेकिन आम व्यक्ति की जिंदगी बहुत मुश्किल होने वाली है । सरकार ने सभी बैंकों से कहा था कि जिनके loan already चल रहे हैं बैंक उनको 20% अतिरिक्त loan तुरंत sanction कर दे । अब मान लो एक रिफाइंड तेल बनाने वाली मिल को पहले 2000 करोड़ का लोन मिला हुआ था । अब उसका बैंक ने loan बढ़ा कर कर दिया 2400 करोड़ । अब यह 400 करोड़ उस मिल को देनें से लोग रिफाइंड अधिक तो खाना नहीं शुरू कर देंगे । ना ही वह मिल कोई हवाई जहाज बनाने लग जायेगी । अब इस अतिरिक्त 400 करोड़ की या तो जमीन खरीद कर hord कर लेगा या फिर किसी जरूरी चीज जैसे आलू, प्याज ,सरसों चावल ,गेहूँ आदि का स्टॉक कर लेगा जिससे मार्केट में इन चीज़ों की कमी होगी जिससे भाव आसमान छूने लगेंगे । जैसे 5 रुपये किलो आलू खरीद कर अब वह 50 रुपये किलो में बेचेगा । इस सब में रोजगार कहाँ से पैदा होगा । दूसरा वह मिल मालिक या 400 करोड़ की नई तेल मिल लगा लेगा और 4000 छोटे तेल उत्पादन करने वाले कोहळू को बेरोजगार कर देगा । इस सारी प्रक्रिया में देश की जीडीपी बढ़ जाएगी क्योंकि मंहगाई कई गुना बढ़ जाएगी । यह सारी तिगडम मनमोहन सिंह ने भी लड़ाई थी । तब सरकार ने 36 लाख करोड़ के लोन बड़े बड़े कॉरपोरेट्स को बांटे थे । तब जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी थी । जो घर पहले 5 लाख का आता था अब 25 लाख का आने लगेगा । इससे होगा क्या पहले आप अपनी जिंदगी की पांच साल की कमाई से घर खरीद लेते थे अब वोही घर 25 साल की कमाई से खरीदना पड़ेगा । लेकिन आप चिंतित मत होना real state sector तो grow कर रहा है ना । देश का विकास हो रहा ना । जीडीपी बढ़ रही है कि नहीं । इस सारी व्यवस्था को पूंजीवादी debt based economy मॉडल कहा जाता है । इससे देश के आम लोगों पर 20 लाख करोड़ का कर्ज चढ़ जाएगा । इसका विकल्प है सनातन saving based economy modal । जिसको अपना कर महाराज विक्रमादित्य ने समस्त प्रजा का कर्ज उतार डाला था और फिर विक्रमी पंचाग चलाया था । यह आज भी सम्भव है । सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर है । कि वह जीडीपी जैसे फ़र्ज़ी आंकड़ों को नकार कर देश को सही दिशा दे सकती है या नही ।

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