किसान पूंजीवादी और सरकारी बिचौलियों को निपटा कर कैसे अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचा सकता है।
1. सबसे पहले किसान को सनातन मिश्रित खेती के मॉडल को अपनाना पड़ेगा । जिसका मूलमंत्र है कि किसान अपने घर की जरूरत का अधिकतर समान जैसे दाल,सब्जी आदि खुद ही बीजे । और जो फसल अधिक हो उसे बेच दे। इस कारण किसान का आर्थिक शोषण बहुत ही कम होगा ।
दूसरी और आजकल पूंजीवादी कंपनियों और सरकार द्वारा प्रयोजित खेती का मूल मंत्र है ,कि किसान अपनी सारी की सारी फसल बाजार में बेचे ।और अपनी जरूरत का सारा समान बाजार से खरीदे ।जैसे कि अगर किसान धान और गेहूं बेचता है। तो उसको सब्जी,दालें,सरसों का तेल,मूंगफली,ज्वार बाजरा,मक्की आदि बाजार से खरीदने पड़ते हैं ।
2. अपनी उपज को सीधा उपभोक्ता तक पहुँचना होगा । तांकि किसान का शोषण कम से कम हो सके या बिल्कुल ना हो सके ।जो चीज़ किसान मंडी में सरकारी और पूंजीवादी बिचौलियों को कौड़ियों के दाम पर बेचता है वही चीज़ उपभोक्ता को सोने के दाम पर मिलती है । Apmc एक्ट की समाप्ति के बाद अब किसान अपनी उपज सीधे उपभोक्ता को बेचने के लिये स्वतंत्र है । इसके लिए किसान के लिये सबसे उत्तम उपाय यह कि वह अपनी उपज को राष्ट्रीय राजमार्गों और दूसरी व्यस्त सड़कों के किनारे उपभोक्ता के लिये उपलब्ध करवाए । इन सड़कों पर प्रतिदिन लाखों कारों , ट्रकों आदि का आवा गमन होता है जिसमें असली उपभोक्ता यात्रा करता है । अगर किसान अपनी उपज को सड़कों के किनारे उपलब्ध करवा दे तो सरकारी और निजी पूंजीवादी बिचौलियों का अंत तय समझो और उपभोक्ता और किसान दोनों का शोषण खत्म । इस सड़क पद्धति पर अपनी उपज रखने के किसानों को निम्नलिखित लाभ होंगे ।
1. सबसे पहले अगर किसान मंडी में अपनी फसल लेकर जाता है तो उसकी उपज पर कम से कम 10% के टैक्स आदि पड़ते हैं । यह पैसा सीधा किसान की जेब में जायेगा ।
2. मंडी में किसान की फसल की जो चोरी और बर्बादी होती थी उससे किसान को निजात मिलेगी ।
3. इस माध्यम से सीधी बिक्री करने पर अनाज,सब्ज़ियों और अन्य कृषि उपज पर जो transportation का मोटा खर्च होता था वह शून्य हो जाएगा । जैसे उपभोक्ता अपनी कार ,ट्रक आदि पर किसी अन्य काम से आया है वह अगर बोरी दो बोरी आदि ले जाएगा उसको transportation की लागत शून्य पड़ेगी ।
4. इससे किसान को अपनी उपज तय करने की आज़ादी मिलेगी । मंडी में जब किसान अपनी मेहनत की कमाई को निजी और सरकारी बिचौलियों के सामने ढेरी करता है तो भाव तय करने की मर्ज़ी उनकी होती है । इस प्रकार सड़कों आदि पर अपनी उपज रखने पर मर्ज़ी किसान की होगी । इस माध्यम से किसान को अपनी फसल का अधिकतम मूल्य मिलेगा ।
5. अगर किसान एक दो छोटी मशीन जैसे कि अट्टा ,हल्दी ,बेसन ,मिर्च आदि की मशीन भी चला सके तो सोने पे सुहागा । जो उपभोक्ता साबुत चीज़ लेने से कतराता है वह इन अपने आँखों के सामने पिसी हुई चीज को हाथों हाथ लेगा । उपभोगता को अब मिलावट की इतनी मार पड़ चुकी है कि पैकेटबंद चीजों से तंग आ चुका है ।
अपनी उपज को सीधा उपभोक्ता तक पुहंचने का दूसरा सबसे अच्छा तरीका है family उपभोक्ता । किसान भाईयो इसके आपको ऐसे 20 - 50 उपभोक्ता ऐसे चाहिये जो आपकी उपज को आपसे सीधे ही खरीद सकें । ऐसे उपभोक्ता ढूढ़ने का सबसे अच्छा उपाय है । देशी गाएँ का अमृत समान दूध । पैकेटबंद कंपनियों के द्वारा पांच दिन पुराने केमिकल युक्त दूध से अब उपभोक्ता ऊब चुका है । अगर किसान दूध को सीधे उपभोगता तक उपलब्ध करवाये तो उपभोक्ता किसान से शहद ,आयुर्वेदिक दवाईयां , मक्खन , दही ,पनीर ,देशी घी ,गेंहू ,चावल ,बेसन ,मिर्च आदि सीधे खरीद सकता है । यह फैमिली किसान और फैमिली उपभोक्ता की जोड़ी विश्व की बड़ी से बड़ी निजी या सरकारी कंपनी को जमीन सूंघा सकती है। यह निजी और सरकारी पूंजीवादी कंपनियां ना केवल किसान और उपभोक्ता दोनों को लूटते है बल्कि अपना घटिया समान केवल मार्कटिंग और पैकिंग के दम पर बेचते हैं ।
किसानों के पास अपनी उपज सीधा उपभोक्ता तक पहुँचने का तीसरा तरीका है । ऑनलाइन । आजकल facebook पर market place पर ,olx आदि फ्री वेबसाइट पर किसान अपनी फसल की फ़ोटो आदि खींच कर डाल सकता है । इस माध्यम से आप अपनी फसल को तैयार होने से पहले भी बेच सकते हैं । कई बहुमूल्य फसलों ,जड़ी बूटियों जैसे चंदन आदि को बेचने का यह बहुत ही अच्छा उपाय है ।
किसान भाइयों आप किसी मसीहा के आने का इंतजार मत करो कि वह आपके दुख दूर करेगा । आपको स्वयं ही पुरुषार्थ करना पड़ेगा ।
जय किसान जय उपभोक्ता
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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