खुशबू vs बदबू
---------------
आपकी नाक एक perfect judge है कि आपके खाने के लिये क्या सही है क्या गलत । उदहारण के लिए ।
1.चीनी की मिल के नजदीक इतनी बदबू होती है कि वहां पर खड़ा रहना भी दुष्कर होता है जबकि गुड़ के कुल्हाड के पास इतनी अच्छी खुशबू आती है कि पूछो मत ।
2. रिफाइंड आयल की फैक्ट्री में बदबू की भरमार होती है जबकि तेल के कोहळू के अगर आप एक बार बैठ जाओ तो उठने का मन नहीं करता ।
3. जब कहीं रिफाइंड में पुड़िया आदि तले जाते हैं तो आपकी आंखें जलने लगती है । एक अजीब सी बैचनी होती है । जबकि किसी उत्सव पर हमारे घरों में शुद्ध सरसो के तेल में पूड़ियाँ तली जाती हैं तो दूसरी गली के लोगों के पास भी स्वर्ग की अनुभूति होती है ।
4. अगर आप घर पर देशी कली चुना करवायो तो खुशबू आएगी । लेकिन अगर प्लास्टिक पेंट आदि करवायो तो कई दिन आंखे जलती रहती हैं ।
ऐसा क्यों होता है
यह बदबू हमें बताती है कि अंदर कुछ गलत चल रहा है । किसी हानिकारक केमिकल का प्रयोग हो रहा है ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें