मैक्स वीवर और कार्ल मार्क्स परिवार व्यवस्था को तोडना क्यों चाहते थे

 वर्तमान में जो पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का जो मॉडल चल रहा है वह एक प्रोटेस्टेंट ईसाई मैक्स वीवर के सिद्धांतों पर आधारित है । यह मैक्स वीवर यह मानता था कि परिवार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के विकास और जीडीपी के रास्ते में रुकावट है । अगर सनातन परिवार व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया जाए तो फ़र्ज़ी जीडीपी का आंकड़ा कई गुणा बढ़ जाएगी जिसको विकास का नाम देकर आपकी थाली में परोस दिया जाएगा ।

प्रश्न :-परिवार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के रास्ते की रुकावट कैसे है?
उत्तर:- उदाहरण के लिये अगर आपका परिवार ना हो आपको दो वख्त की रोटी भी खरीद कर खानी पड़ेगी । अकेला आदमी भोजन नहीं बना सकता । अगर ऐसा हो जाए तो जमोटो swaigy जैसी कंपनियों की पों बारां हो जाएगी । इनके शेयर दम दम करने लगेंगे । देश की जीडीपी कई गुणा बढ़ जाएगी ।
पहले सनातन भारत में सयुंक्त परिवार व्यवस्था चलती थी । वर्ष भर का गेहूं सीधा किसान से खरीद कर घर में स्टोर कर लिया जाता था । फिर जरूरत के अनुसार चक्की पर पिसवा लिया जाता था । इस व्यवस्था में पैकेटवन्द मिलवाटी आटा बेचने वाली ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड पूंजीवादी कंपनियों की कोई आवश्कता नहीं थी । धीरे धीरे पूंजीवादी व्यवस्था ने सनातन सयुंक्त परिवार को तोड़ कर अब nuclear family कर दिया । अब इस nuclear फैमिली में वर्ष भर में आटे आदि की इतनी खपत होती नहीं कि वर्ष भर का अनाज खरीद कर स्टोर कर लिया जाए । इसलिये अब पैकेटवन्द आटे का प्रचलन बढ़ रहा है । जिससे पूंजीवादी कंपनियों की बिक्री आसमान छू रही है । इससे फ़र्ज़ी जीडीपी का आंकड़ा कई गुना बढ गया है । यही सिद्धान्त घर में प्रयोग होने वाली अन्य चीज़ों जैसे , हल्दी ,नमक ,मिर्च मसाले ,तेल आदि पर भी लागू हो रही है ।
इस सारी पूँजीवादी व्यवस्था को प्रमोट करने के लिये सरकार और बिकाऊ मीडिया ने 'छोटा परिवार सुखी परिवार 'का अभियान चलाया । जिसके मकड़जाल में फंस कर अपने सदियों से चली आ रही सनातन सयुंक्त परिवार व्यवस्था को तिञ्जली दे दी और nuclear familyअपना ली । अब पूँजीवादी बाजार की आंख आपकी बची खुची परिवार व्यवस्था पर है तांकि आपका भोजन जोमाटो swiggy से आये ,आपके बच्चे क्रेच में पलें ,सामाजिक सुरक्षा और बुढापे के लिये आप परिवार के स्थान पर insurance कंपनियों पर निर्भर हो जाएं ।

इस तरह हमने देखा कि कैसे आपका परिवार टूटने से पूंजीवादी कंपनियों को कितना लाभ होता है और जीडीपी का फ़र्ज़ी आंकड़ा कैसे grow करता है ।

मैक्स वीवर की तरह कार्ल मार्क्स भी परिवार व्यवस्था के विरुद्ध था । कार्ल मार्क्स महिलाओं की nationalization का पक्षधर था । इसलिये अपने देखा होगा कि कॉमरेड अधिकतर नारी मुक्ति के फ़र्ज़ी नारे उछलाते रहते हैं । नारी मुक्ति के नारे के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य आपकी परिवार व्यवस्था पर प्रहार करना है । तांकि आप पूरी तरह पूंजीवादी बाजार के आधीन हो जाएं ।

अब यह आपने तय करना है कि आप के लिये क्या जरूरी है आपका परिवार या पूंजीवादी बाजार की ग़ुलामी । इस सारे दुष्चक्र को तोड़ने के लिये आप अधिक से अधिक संनातन व्यवस्थाओं जैसे कि सनातन home storage , local production और small scale production के सिद्धान्त पर आधारित सनातन स्वदेशी processing systems जैसे चक्कियों ,तेल के कोहळू ,आदि को बढ़वा दें । अपना पैसा निजी पूंजीवादी और सरकारी पूंजीवादी कंपनियों जैसे Banks , Insurance ,Mutual funds ,Share market आदि को देनें के स्थान सनातन निवेश व्यवस्था शुद्ध स्वर्ण में निवेश करें । और मैक्स वीवर और कार्ल मार्क्स का जबड़ा तोड़ने में सनातन भारत की मदद करें ।

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