आपातकाल में स्वदेशी ही काम आती है विदेशी नहीं । globlazation की अवधारणा कितनी खोखली है यह चीन ने और कोरोना ने बता दिया । भारत को सही अर्थों में localization अर्थात स्वदेशी का मॉडल अपनाना होगा जिसमें transportation ना के बराबर हो तांकि तेल पर निर्भरता कम हो ,प्लास्टिक की जरूरत ना हो तांकि प्रदूषण ना हो , banking की जरूरत कम हो ,केमिकल्स की जरूरत ना हो , और गरीबी उन्मूलन के लिये धन की समान बांट हो । urbanization कम हो ,सब को त्वरित और निःशुल्क न्याय मिले , निःशुल्क शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था हो , भूमि बहुत कम कीमत में उपलब्ध हो तांकि सब गरीब अमीर अपना घर बना सकें । यह है सम्पूर्ण स्वदेशी की अवधरणा जो कि केवल महाराज विक्रमादित्य के सनातन मॉडल जोकि localization की अवधरणा पर आधारित था । अर्थात local consumption local production ,local control, local taxation ,local judiciary ,local education system । localization में आपकी आवश्यकता की हर वस्तु और सेवा 15 km की परिधि के भीतर मिलती है । जिससे आपकी जिंदगी आज की तरह झंड होने से बच जाती थी । आजकल के पूंजीवादी मॉडल में आपकी जिंदगी का 25% हिस्सा ट्रैफिक में diseal और petrol के धुएं में ही निकल जाता है और आप इस ट्रैफिक को ही विकास मान लेते हो 

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