Plastic के बिना कैप्टालिस्म का मॉडल एक दिन नहीं चल सकता । चाहे पूंजीवादी कंपनियों का दूध हो या कोका कोला या रिफाइंड आयल , अमेज़ॉन हो या फिल्पकार्ट दोनो एक दिन नही चल सकते बिना प्लास्टिक की पैकिंग के । दूसरी तरफ सनातन अर्थव्यवस्था में प्लास्टिक की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि वहां पर local consumption local production और small production होती है । उदहारण के लिये रिफाइंड आयल की बिक्री के लिये प्लास्टिक बहुत जरूरी है क्योंकि उत्पादक और उपभोक्ता के बीच दूरी होती है । दूसरी तरफ सनातन processing सिस्टम जैसे तेल के छोटे कोहलू में क्योकि उत्पादक और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध है इसलिये पैकिंग की कोई जरूरत नही ना ही transport की । प्लास्टिक का हल केवल सनातन मॉडल है । पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के लिये ही प्लास्टिक का अविष्कार हुआ है ।sanatan model localization और capitalist model of  globalization के बारे में अधिक जानकारी के लिये यह ब्लॉग पढें ।https://sanatanbharata.blogspot.com/2019/11/blog-post_5.html?m=1

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