आजकल किसानों को अपनी फसल का सही दाम कैसे मिल सकता है
अगर मिश्रित खेती की अवधारणा लागू हो जाए । तो किसानों को अपनी फसल का सही दाम मिल सकता है । क्योंकि मिश्रित खेती में उपभोक्ता और किसान का सीधा सम्बन्ध होता है । आजकल की पूंजीवादी खेती में एक क्षेत्र में एक ही फसल की खेती की जाती है । जैसे देश के कुल प्याज के उत्पादन का 50% से अधिक केवल महाराष्ट्र के नासिक जिले में होता है ।जैसे पंजाब में प्याज भी उत्पन्न हो सकता है , आम भी और कैला भी । लेकिन पंजाब में कैला महाराष्ट्र से आयेगा ,आम up से और प्याज नासिक से । इस पूंजीवादी खेती के मॉडल ने किसान और उपभोक्ता के बीच दूरी बना दी है । इस दूरी का लाभ पूंजीवादी बिचोलिए उठा कर ले जाते है । वह किसानों को कम दाम देते हैं लेकिन उपभोक्ता से अधिक दाम बसुलते हैं। मिश्रित खेती में एक क्षेत्र में विभिन्न तरीके की फसलें बोई जाती है जोकि उस क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करती इस तरह की खेती मैं किसान और उपभोक्ता के बीच की दूरी बहुत ही कम होती है । दूरी कम होने के कारण किसान और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध होता है। जिस कारण उपभोक्ता अपनी जरूरत का अधिकतम समान सीधा किसान से खरीद सकता है और किसान अपनी उपज सीधे उपभोक्ता तक बेच सकता है यहां पर फसल पर कुछ पूंजीवादी बिचौलियों का अधिकार नहीं होता । इसलिए फसल की कीमत उस पूंजीवादी बचोलिए नहीं कर सकते क्या नहीं कर सकते। किसान और उपभोक्ता को केवल और केवल यह सनातन डिसटीब्यूशन सिस्टम ही बचा सकता है।
अंत में हम जानने की कोशिश करते हैं कि किसान ने वैदिक मिश्रित खेती को छोड़ कार आजकल की पूंजीवादी खेती करना क्यों शुरू कर दिया | इसका सबसे बड़ा कारण है सरकार दुबारा दिया जाने वाला नुयुनतम समर्थन मूल्य (MSP) | नुयुनतम समर्थन मूल्य किसान को किसी एक ही फसल लगातार बीजने पर मजबूर करता है | जैसे पंजाब में केवल गेहूं और धान के MSP के कारण किसान को गेहूं और धान बोने पर मजबूर होना पड़ता है | और किसी फसल की सरकार दुबारा खरीद ना होने के कारण किसान लगातार बार बार बोही फसल बीजता है | किसान को समझना पड़ेगा कीMSP सरकार किसानो को नहीं बल्कि पूंजीपति लोगो को देती है ताकि किसान मिश्रित खेती से दूर रहे और किसान को उर्वरक ,बीज , आदि बाजार से खरीदने पड़े | सरकार अगर किसानो का भला चाहती है तो सरकार को चाहिए जितनी सब्सिडी वह किसानों पर 1 साल में खर्च करती है किसानों के खातों में सीधा ट्रांसफर करें जैसे कि मान लो एक किसान के हिस्से में 10000 रुपए मासिक आते हैं तो बारको चाहिए सरकार को चाहिए कि ₹10000 महीना किसान के खाते में सीधा ट्रांसफर करें और फालतू में किसान को मजबूर ना करें कि वह वही फसलें दीजिए जिससे की सारी सारी कृषि पूंजीवादी कंपनियों पर निर्भर हो जाए जैसे कि आजकल की सारी कृषि पूंजीवादी कंपनियों पर निर्भर है
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सनातन मॉडल के बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमारा ब्लॉग पढें https://sanatanbharata.blogspot.com
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