वर्ण वयवस्था का सच

अगर आर्य बाहर से आए थे तो शूद्र समुदाय के गोत्र ब्राह्मण समाज में कैसे मिलते हैं जैसे गौतम गोत्र ब्राह्मण समाज में भी है और शूद्र समाज में भी है । इससे पता चलता है की प्राचीन भारत में जब मनुस्मृति के अनुसार सामाजिक व्यवस्थाएं चलती थीं जिसके अनुसार वर्ण जन्म के आधार पर नहीं अपितु काम के आधार पर होता था । जो गौतम गोत्र के व्यक्ति पढ़ाने या चिकित्सा का कार्य करते थे वह ब्राह्मण वर्ण में आ जाते थे जो service सेक्टर , manufacturing sector में गौतम गोत्र के व्यक्ति गए वह शूद्र वर्ण के हो जाते थे । इस्लाम के आने के बाद जब मनुस्मृति के स्थान पर इस्लामिक कानून शरिया भारत पर लागू किया क्या तो वर्ण जन्म के आधार पर के दी गई । इसी व्यवस्था को अंग्रेजों ने बढ़वा दिया ताकिं हिन्दू समाज एक ना हो जाए । अंग्रजों के बाद कांग्रेस ने भी संविधान के माध्यम से जन्म के आधार पर caste system जारी रखा । जो आज तक चल रहा है। जब 1000 साल से मनुस्मृति चल ही नहीं रही तो मनुस्मृति को क्यों कोसा जाता है समझ में बात आती नहीं

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