पूंजीवादी एलोपैथी चकित्सा व्यवस्था का अंत

एलोपैथी की उम्र बस पांच छह साल और रह गई है एलो पैथी की जान कहे जाने वाले एंटीबायोटिक का प्रभाव अब धीरे धीरे शुन्य हो चला है एक बार अगर एंटी बायोटिक एलोपैथी के हाथ से निकल गए तो एलोपैथी बेकार समझो । अगर आपका छोटा सा ऑपरेशन भी किया जाता है तो इंफेक्शन रोकने के लिए एंटीबायोटिक दिए जाते है। जब एंटीबायोटिक ही ख़त्म हो गए तो छोटे से ऑपरेशन के बाद शरीर में इंफेक्शन फैल जाएगा । जैसे हार्ट सर्जरी के बाद एंटीबायोटिक देने आवश्यक हैं । अगर आपको खांसी हो गई है तो एलोपैथी बिना एंटीबायोटिक दिए आपका इलाज नहीं कर सकती । इस तरह एलोपैथी आपका खांसी का इलाज नहीं कर पाएगी जैसे केजरीवाल की खांसी ठीक नही हुई थी । इस तरह एलोपैथी का किला ढह जाएगा । पूंजीवाद का एक मजबूत मॉडल ध्वस्त हो जाएगा । और लोगो को पुनः सनातन वैदिक चकित्सा पद्धति आयुर्वेद की ओर आना पड़ेगा
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