हिन्दू कौन है | who is hindu ?

मित्रो धर्म को जानने के लिए हम धर्मों को दो भागों में बाँट सकते हैं 

अब्रहमिक धर्म

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१. यहूदी 
२.इसाई 
३. इस्लाम 

भारतीय (हिन्दू )धर्म

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१. सनातन धरम
२. जैन 
३. बोद्ध

५. सिख 
५. और अन्य भारतीय धर्म
मित्रो धर्मों का ये बिभाजन पुर्नजनम में आस्था , और आत्मा की श्रेष्ठता के आधार पर किया गया है 
‪#‎अब्रहमिक_धर्म‬ जेसे यहूदी ,इसाई और इस्लाम धर्म पुर्नजनम को नहीं मानते और ये मानते हैं की शरीर पवित्र है और आत्मा से श्रेष्ठ है इसलिए ये शरीर को सम्भाल कर रखते हैं अर्थात शारीर को दफनाया जाता है .दूसरा ये मानते हैं के जानवरों में कोई आत्मा नहीं होती इसलिए जानवरों को मारने से कोई पाप नहीं लगेगा . ये धर्म बाले लोगो शारीरक सुख अधिक से अधिक चाहते हैं क्योकि इनके लिए शारीर सर्वश्रेष्ठ है इनकी संस्कृति भी भोग की संस्कृति है ये लोग अधिक से अधिक शारीरक सुख चाहतें जेसे अधिक से अधिक व्यक्तिओं / औरतों के साथ सेक्स , शराब , और भोतिक सुख आदि 
‪#‎भारतीय_धर्म‬_(हिन्दू_धर्म)जेसे सनातन ,जैन ,बोद्ध आर्य समाज आदि ये मानते है व्यक्ति का बार बार तब तक पुर्नजनम होता है जब तक उसमे कोई इच्छा शेष न रह जाये . भारतीय धर्मों को मनाने वाले आत्मा को सर्वश्रेष्ठ मानते है और शारीर को नश्वर मानते है इसलिए शारीर को जलाया जाता है . ये मानते है कि सब जीव जन्तुऔ में आत्मा का वास है और हमको भी किसी भी प्रकार के जीव जन्तुओं में पुर्नजनम मिल सकता सकता है इसलिए किसी भी जीव जंतु की हत्या करना पाप है . भारतीय धर्म वाले मानते है की मनुष्य शारीरक सुख से अधिक आत्मिक शांति चाहिए और वो आत्मिक शांति त्याग और दूसरों का भला करने से आती है भारतीय धर्म वाले कहते है है कि परात्मा एक है पर उसको पाने के रास्ते अलग अलग हो सकते है जिसको जो मार्ग अच्छा लगता उसको चुन सकता ,पर ये अवधारणा भारतीय धर्मो के संधर्भ में कही गयी है न कि अब्रहमिक धर्मों के संधर्भ में क्योकि अब्रहमिक , भारतीय धर्मों की विल्कुल विपरीत है जेसे हम मानते है आत्मा सर्वश्रेष्ठ है विदेशी या अब्रहमिक धर्म शारीर की श्रेष्ठता मानते है . हम मानते हैं की आत्मा का पुर्नजनम होता है पर अब्रहमिक धर्म पुर्नजनम को नहीं मानते हमारी संस्कृति त्याग की संस्कृति लिकेन अब्रहमिक धर्म वालों की संस्कृति भोग की है .हमारे यहाँ त्यागी मनुष्य की इज्जत होती लिकेन विदेशी धर्मों में भोगी या अम्रीर मनुष्य की इज्जत होती है 
मित्रो आज हम क्यों दुखी कियोकी हम विदेशों की संस्कृति अपना रहें है जो की हमारे लिए सही नहीं है 
धन्यबाद

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