जो लोग उच्च तकनीक में सरकारी पूँजीवाद यानि communism को स्वदेशी के नाम पर डिफेंड कर रहें हैं उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि राफाल को फ्रांस सरकार की कोई सरकारी कंपनी नहीं बनाती ।अगर ऐसा होता तो फ़्रांस का हाल भी भारत की तरह होता । यह भारत देश भी अजीब ह ै zero तकनीक के उत्पाद साबुन ,शैम्पू जो कि लघु उद्योगों के लिये आरक्षित होने चाहिये उनको बड़ी निजी कंपनियों के लिये छोड़ा हुआ है । जो उच्च तकनीक के उत्पाद हैं जो निजी कंपनियों के पास होना चाहिये वह सरकारी कंपनियों के पास है । उदहारण हवाई जहाज । जो चीज़ सरकारी कंपनियों के पास होनी चाहिये जैसे currency प्रिटिंग , बैंकिंग ,insurance ,mutual fund आदि वह निजी पूंजीपतियों के पास है ।
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सरकारी पूँजीवाद निजी पूँजीवाद से अधिक खतरनाक है । क्योंकि सरकारी पूंजीवादी कंपनियों में पैसा जनता का लगा होता है और मलाई मंत्री ,बड़े अफसर चाटते हैं । air india ,bsnl सरकारी पूँजीवाद का उदहारण हैं । air india जब 25000 करोड़ घाटे में जाती है तो यह 25000 करोड़ आम जनता का खून चूसकर सरकार जो टैक्स एकत्र करती है उन टैक्स से इस घाटे की भरपाई होती है और यह जो 25000 करोड़ घाटे के होते हैं वह मंत्रियो, सेक्रेटरी , directors और सरकारी अफसरों की जेब में जाते हैं । यानि का माल जनता का औऱ कमाई मंत्रियो ,और सरकारी अफसरों की । सरकारी पूँजीवाद तब तक कुछ लाभ की अवस्था में रहता जब तक इनकी monopoly होती है । उदहारण के लिये bsnl । यह bsnl के कर्मचारियों की गुंडागर्दी तब तक चली जब तक कम्पटीशन में और कंपनियां नहीं आई । साल 2014 तक मेरे पास ब्रॉड बैंड का कनेक्शन था एक सप्ताह में 2 बार खराब रहता था । जब मुझे विकल्प मिला मैंने लात मार कर बाहर कर दिया । यह जो कई विद्वान ' मैं देश नहीं विकने दूंगा ' आत्म निर्भर भारत के नारों के साथ हमेशा तंज कसते रहते है उनके पास कायदे से bsnl का connection होना चाहिये । अग
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Apmc act से किसानों का शोषण कैसे होता है । ---------------------- सन 1960-70 के आसपास देश में सभी सरकारों ने एक कानून पास किया जिसका नाम था apmc act । इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी मंडी में ही बेच सकता है । इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता । और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो apmc act में registered हो, दूसरा नही। इन registered person को देशी भाषा में कहते हैं आढ़तिया यानि commission agent । इस सारी व्यवस्था के पीछे कुतर्क यह दिया गया कि व्यापारी किसानों को लूटता है इस लिये सारी कृषि उपज की खरीद बिक्री सरकारी ईमानदार अफसरों के सामने हो । जिससे सरकारी ईमानदार अफसरों को भी कुछ हिस्सा पानी मिलें । इस एक्ट आने के बाद किसानों का शोषण कई गुना बढ़ गया । इस एक्ट के कारण हुआ क्या कृषि उपज की खरीदारी करनें वालों की गिनती बहुत सीमित हो गई । यह मार्किट का नियम है कि अगर अपने producer का शोषण रोकना है तो आपको ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसमें buyer की गिनती unlimited हो । apmc act से हुआ क्या कि अगर क
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एक नंबर में रिश्वत लेने का सबसे अच्छा तरीका है एक NGO बनायो । उसमे सारे परिवार के सदस्य भरवा लो । फिर सारी रिश्वत donation के नाम पर एक नंबर में उसमें डलवा लो । रिश्वत देने वाले को 80G में rebate मिल जाती है । रिश्वत लेने वाले की इनकम भी taxfree होती है । सबको फायदा ही फायदा रिश्वत देने वाले को भी लेने वाले को भी । ना कानून कुछ उखाड़ सकता है ना अदालत सब कानून सही है । उदाहरण पप्पू के पिता की फॉउंडेशन । अलग अलग अधर्मगुरु भी इसी NGO के नाम पर गोरखधंधा करते हैं । कोई टैक्स नही कोई डर नही । यही है रिश्वत की आधुनिक तकनीक । रिश्वत वह 50 रुपये ही नही होती जो चौहरे पर खड़ा ट्रैफिक हवलदार लेता है यह रिश्वत समाज और देश को घुन की तरह खा रही है । सारे NGO की मान्यता सरकार को रद्द कर देनी चाहिये । पूरा टैक्स लेना चाहिये पब्लिक SERVENT या उसके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा NGO की MEMBERSHIP लेने पर पूरी रोक लगनी चाहिये ।
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दही से नहाने के लाभ । 1. शैम्पू की कोई जरूरत नहीं, 2. कंडीशनर की कोई जरूरत नही 3. हेयर आयल की कोई जरूरत नहीं 4. साबुन की कोई जरूरत नहीं 5.body lotion की कोई जरूरत नहीं 6 .face cream की कोई जरूरत नहीं 7. Hair dye की कोई जरूरत नहीं क्योकि शैम्पू ,कंडीशनर और hair oil के बिना बाल उम्र से पहले सफेद हो ही नहीं सकते । प्रयोग की विधि ---------------- पहले दही सिर में लगा लें फिर धीरे धीरे मुहं पर मालिश करें फिर सारे शरीर पर मालिश करें । फिर नल के नीचे बैठ जाएं और ॐ का उच्चारण करें । शरीर साफ होने के साथ आपको मानसिक शांति भी मिलेगी
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मोदी जी स्वच्छ भारत के लिये फोकट में सलाह ------------ प्लास्टिक का प्रयोग अधिक क्यों होता है क्योंकि यह सस्ता है । भारी मात्रा में प्लास्टिक टैक्स लग जाये तो प्लास्टिक का प्रयोग कम हो जाये और सरकार को अच्छी आमदन भी हो सकती है । जब 10 रुपये की गोभी के साथ 10 रुपये का प्लास्टिक का देना पड़ेगा तो थैला तो छोड़िये सिर पर उठा कर लेकर जाएंगे ।
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अगर किसी छोटे शहर में रहते हैं और आपका केस किसी बड़े शहर की हाई कोरट में लग गया जोकि आपके शहर से 200 किलोमीटर दूर है और आपको एक टुच्चे से केस के लिये महीने में चार बार कार में बैठकर एक्सप्रेस highway पर जाना पड़ा तो विकास क्या है कार ,एक्सप्रेस हाईवे ,या आधुनिक कानून । जिस पर चक्कर लगाते लगाते आप की आधी उम्र निकल जाएगी । विकल्प:- सनातन स्थानीय न्याय व्यवस्था । जिसको पूंजीवादी भोंपू ने मध्ययुगीन व्यवस्था कहकर कूड़े के ढेर में फेंक दिया । जिसमें बिना वकील ,बिना किसी कागज़ पत्र के , बिना दमड़ी खर्च करे त्वरित न्याय मिल जाता था । जोकि सारे समाज के सामने होता था । जबकि कोरट कचहरी के चक्कर काट काट कर कई लोग तो बिना फैसले के चल बसे । पाषण युग की न्याय व्यवस्था कौन सी है आजकल की न्याय व्यवस्था जिसमे न्याय के अतिरिक्त आपको सबकुछ मिलता है ,वकील ,दलील ,तारीख पर तारीख ,धक्के ,ना उम्मीदी । दूसरी तरफ सनातन स्थानीय न्याय व्यवस्था जिसमे त्वरित,निष्पक्ष, निशुल्क न्याय की गारण्टी है । सरकार को छोटे मोटे मुकदमे स्थानीय न्याय व्यवस्था पर छोड़ देने चाहिये । कोरट आदि को कत्ल ,आदि के मुकदमे ही देखने चाहिये ।
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। आजकल की consumption based economic मॉडल के लिय और जीडीपी ग्रोथ के लिए यह बहुत जरुरी है कि आपके ऊपर अधिक से अधिक loan चढ़े । यह debt based economy का मॉडल है । जितना आप पर कर्ज अधिक होगा उतनी कंपनियों के products जैसे tv फ्रिज कार आदि की demand अधिक होगी उतनी इन कंपनियों की बिक्री अधिक होगी ।इसलिये तो कंपनियों के उत्पाद के लिए चुटकियां में loan हो जाता है जैसे car loan ,मोबाइल l oan आदि ।2008 में मनमोहन सिंह ने 36 लाख करोड़ का पैकेज मने कर्ज़े बांटा था जिससे जमीन के दामों में बेहतशा बृद्धि हुई । जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लाभ कई गुना अधिक हो गए थे जीडीपी छलांगे मारने लगी थी । लेकिन आम आदमी को जो घर पहले 15 लाख में मिलता था जीडीपी ग्रोथ की वजह से 60 लाख का मिलने लगा । इसको कहते हैं असली विकास। इस सब कवायद से नई जमीन आसमान से उतर आई थी । बैंक reserve financing के method से खुद currency create कर लेते हैं । बैंक की books of accounts में केवल एक entry से मुद्रा का निर्माण हो जाता है ।यह 20 लाख करोड़ भी ऐसे ही reserve financing की मदद से खुद create कर लेगा और देश के लोगों पर 20 लाख
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दही से नहाने के लाभ । 1. शैम्पू की कोई जरूरत नहीं, 2. कंडीशनर की कोई जरूरत नही 3. हेयर आयल की कोई जरूरत नहीं 4. साबुन की कोई जरूरत नहीं 5.body lotion की कोई जरूरत नहीं 6 .face cream की कोई जरूरत नहीं 7. Hair dye की कोई जरूरत नहीं क्योकि शैम्पू ,कंडीशनर और hair oil के बिना बाल उम्र से पहले सफेद हो ही नहीं सकते । प्रयोग की विधि ---------------- पहले दही सिर में लगा लें फिर धीरे धीरे मुहं पर मालिश करें फिर सारे शरीर पर मालिश करें । फिर नल के नीचे बैठ जाएं और ॐ का उच्चारण करें । शरीर साफ होने के साथ आपको मानसिक शांति भी मिलेगी
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पूंजीवादी कंपनियां आपके पर्यावरण से कैसे खेलती हैं । -------- आज से लगभग 30 साल पहले cold drink और पांच दिन पुराना दूध आजकल की तरह प्लास्टिक में ना आकर कांच की बोतल में आता था । जिन बोतलों को इन पूंजीवादी कंपनियों द्वारा recollect करना पड़ता था । फिर इनको धो कर पुनः प्रयोग में लाया जाता था । बार बार प्रयोग से यह बोतलें गन्दी दिखने लगती थी । जिससे इनको पीने से लोग हिचकिचाते थे । कांच की बोतलें भारी भी होती थी और महंगी भी । दुकानदार के पास पहले कांच की बोतलों की security जमा करवानी होती थी जो कि खाली बोतल वापिस होने पर वापिस की जाती थी । कांच की बोतलों का transportation में टूटने का खतरा भी बना रहता था । इन सब परिस्थितियों के बावजूद हमारे पर्यावरण में plastic का गन्द नहीं पड़ा था ।लेकिन इन कंपनियों की बिक्री और profit पर असर पड़ता था । जैसे कि आप जानते हैं कि इन पूंजीवादी दूध और cold drink वाली कंपनियों को आपके पर्यावरण से कुछ लेना देना नहीं । इनका मूलमंत्र है कि इनका profit कैसे अधिक से अधिक हो । अब इस कांच की बोतल के जिन्न से पीछा छुड़ाने के लिये इन्होंने नकली विज्ञान का सहारा लिया औ
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आपातकाल में स्वदेशी ही काम आती है विदेशी नहीं । globlazation की अवधारणा कितनी खोखली है यह चीन ने और कोरोना ने बता दिया । भारत को सही अर्थों में localization अर्थात स्वदेशी का मॉडल अपनाना होगा जिसमें transportation ना के बराबर हो तांकि तेल पर निर्भरता कम हो ,प्लास्टिक की जरूरत ना हो तांकि प्रदूषण ना हो , banking की जरूरत कम हो ,केमिकल्स की जरूरत ना हो , और गरीबी उन्मूलन के लिये धन की समान बांट हो । urbanization कम हो ,सब को त्वरित और निःशुल्क न्याय मिले , निःशुल्क शिक्षा और च िकित्सा व्यवस्था हो , भूमि बहुत कम कीमत में उपलब्ध हो तांकि सब गरीब अमीर अपना घर बना सकें । यह है सम्पूर्ण स्वदेशी की अवधरणा जो कि केवल महाराज विक्रमादित्य के सनातन मॉडल जोकि localization की अवधरणा पर आधारित था । अर्थात local consumption local production ,local control, local taxation ,local judiciary ,local education system । localization में आपकी आवश्यकता की हर वस्तु और सेवा 15 km की परिधि के भीतर मिलती है । जिससे आपकी जिंदगी आज की तरह झंड होने से बच जाती थी । आजकल के पूंजीवादी मॉडल में आपकी जिंदगी का 25% हिस्सा