अगर किसी छोटे शहर में रहते हैं और आपका केस किसी बड़े शहर की हाई कोरट में लग गया जोकि आपके शहर से 200 किलोमीटर दूर है और आपको एक टुच्चे से केस के लिये महीने में चार बार कार में बैठकर एक्सप्रेस highway पर जाना पड़ा तो विकास क्या है कार ,एक्सप्रेस हाईवे ,या आधुनिक कानून । जिस पर चक्कर लगाते लगाते आप की आधी उम्र निकल जाएगी । विकल्प:- सनातन स्थानीय न्याय व्यवस्था । जिसको पूंजीवादी भोंपू ने मध्ययुगीन व्यवस्था कहकर कूड़े के ढेर में फेंक दिया । जिसमें बिना वकील ,बिना किसी कागज़ पत्र के ,बिना दमड़ी खर्च करे त्वरित न्याय मिल जाता था । जोकि सारे समाज के सामने होता था । जबकि कोरट कचहरी के चक्कर काट काट कर कई लोग तो बिना फैसले के चल बसे । पाषण युग की न्याय व्यवस्था कौन सी है आजकल की न्याय व्यवस्था जिसमे न्याय के अतिरिक्त आपको सबकुछ मिलता है ,वकील ,दलील ,तारीख पर तारीख ,धक्के ,ना उम्मीदी । दूसरी तरफ सनातन स्थानीय न्याय व्यवस्था जिसमे त्वरित,निष्पक्ष, निशुल्क न्याय की गारण्टी है । सरकार को छोटे मोटे मुकदमे स्थानीय न्याय व्यवस्था पर छोड़ देने चाहिये । कोरट आदि को कत्ल ,आदि के मुकदमे ही देखने चाहिये ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेस...
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