आजकल आपने देखा होगा कि बाजार में मिलने वाले अधिकतर फल और सब्जियों में स्वाद बिल्कुल नहीं होता । लेकिन दिखने में वह एकदम लाजवाब होगी जैसे कि जामुन ,टमाटर । हाइब्रिड बीज से तैयार होने वाली जामुन इतनी मोटी मोटी ,गोलमटोल होती हैं कि देखते ही खाने के लिये मुहं में पानी आ जाता है । औऱ देशी जामुन बेचारी देखने में बिल्कुल पतली सी । एक कोने में दुबक कर पड़ी रहती कि कोई हम गरीब का भी मोल डाल दे । लेकिन जब आप hybird जामुन को खायो तो स्वाद बिल्कुल फीका फीका सा बेस्वाद सा होता है। हाइब्रिड मोटी मोटी जामुन गले में एक अजीब तरह की खुश्की करती है । खाने के बाद आपको पानी पीना पड़ता है । दूसरी और देशी जामुन मुहं में रखते सार ही रस घोल देती है ।आनंद आ जाता है कोई गले में खुशकी आदि नहीं होती । देशी जामुन जिनकी किस्मत और समझ अच्छी हो कभी कभार मिल जाती है । आज का दूसरा मुद्दा है टमाटर । अंग्रेजी टमाटर देखने में अंडे जैसे लगते हैं इसलिये मैं इनको अंडे वाले टमाटर कहता हूं । यह अंडे वाले टमाटर खाने में देशी टमाटरों (जोकि बिल्कुल गोल होते हैं ) के मुकाबले बिल्कुल असरदार और स्वादिष्ट नही होते । देशी टमाटर जहाँ
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मोरारी देसाई को निशाने पाकिस्तान मिला । क्योकि उसने raw का गुप्त मिशन पाकिस्तान को बता दिया था जिसमे रॉ के एजेंट्स ने पाकिस्तान के परमाणु प्रयोगशाला को बम्ब से उड़ना था । आज पाकिस्तान परमाणु शक्ति देसाई की वजह से है। दुश्मन देश में जासूसों को deep assets कहा जाता है। एक बार deep assets समाप्त हो जाएं तो मुश्किल से फिर बनाने में वर्षों लग जाते हैं । मोरारजी देसाई ने रॉ के सारे deep assets पाकिस्तान की isi से मरवा दिए थे इसके पुरस्कार में पाकिस्तान ने निशाने पाकिस्तान इनाम से नवाजा था । दूसरी बार रॉ के deep assets महा मूर्ख प्रधानमंत्री गुजराल ने गुजराल डॉक्ट्रिन के नाम पर मरवाये थे
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आपकी नाक शुद्धता की सही पहचान करती है इसका एक औऱ उदहारण ।अमेरिकन सांड से इतनी बदबू आती है कि जैसे सुअर के बाड़े में घुस गए हो और देशी नंदी से कोई बदबू नहीं आती । इससे सिद्ध होता है कि देशी गायें का दूध सर्वोत्तम है । दूसरा देशी गाय समझदार होती है अंगेजी गयें बिल्कुल समझदार नहीं होती । इसलिये अंग्रेजी गायें का दूध आपके बालक को मूर्ख बनाता है एयर देशी गाएँ का दूध आपके बालक को बुद्धिमान ।
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आत्मनिर्भर किसान आत्मनिर्भर भारत ------------------------------------ किसान की जरूरत का अधिकतर समान अपने खेत से , फिर अपने मित्र के खेत से ,फिर गांव के खेत से निकले । और जो बच जाए वह बाजार में जाये तो किसान खुशहाल होगा । आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था यह चाहती है कि किसान अपनी सारी फसल बाजार में बेचें और जरूरत का हर समान बाजार से खरीदे । इसलिये किसान आजकल बाजार पर आश्रित है । जब तक मिश्रित खेती होती थी किसान केवल भगवान पर आश्रित था । आजकल किसान इंसान पर आश्रित है इसलिये किसान और उपभोक्ता दोनों का बुरा हाल है ।
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सबको बधाई पूंजीवादी एक फ़सली खेती के कारण पंजाब में अब कौए खत्म हुए । अब सिर्फ इक्का दुक्का पक्षी ही आसमान में दिखते हैं । पक्षियो की मधुर आवाज़ के बिना अब पंजाब की फिज़ाओं में अब एक अजीब सी नीरसता है। गिद्धों ,मोरों ,चिड़ियों ,गाटॉरों ,तितलियों ,मधुमखियों आदि के ख़ात्मे बाद नकली विज्ञान और नकली विकास की एक और देन । वह दिन दूर नहीं जब धरती पर मनुष्य की लाशें पड़ी होंगी और उनको नोचकर खाने वाला भी कोई नहीं होगा ।
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हम कानूनों और संविधान को समाप्त करने के पक्ष में हैं | govt के पास केवल रक्षा ,मुद्रा , अंतरराज्यीय परिवहन होने चाहिए | शिक्षा ,चकित्सा आदि समाज के पास ,न्याय पंचायत के पास जो की मुनुसिमृति के अनुसार सब को निशुल्क और त्वरित न्याय दे उसके पास होनी चाहिए | वोट का अधिकार सब के पास ना हो कर ऐसे कुछ व्यक्तिओं के पास होना चाहिए जो चुनाव आयोग द्वारा लिखित या मोखिक परीक्षा पास करें |
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कृषि संबंधित तीन कानूनो के कारण देश को ,किसान को ,उपभोक्ता को ,ग्रामीण स्वदेशी सनातन अर्थव्यवस्था को , निम्नलिखित लाभ होगें । 1. किसान अपनी कृषि उपज का मूल्य स्वयं तय कर सकेगा । किसान को यह स्वतंत्रता होगी कि वह देश के किसी भी व्यक्ति को ,संस्था को अपना सामान बेच सकेगा । किसान अपनी उपज की फ़ोटो किसी online trading साइट जैसे olx पर डाल सकता है जिससे होगा क्या कि उपभोक्ता और किसान का सीधा संपर्क हो जाएगा । बीच के बिचौलिए जो मार्जिन खा जाते थे उससे किसान और उपभोक्ता दोनों का बचाब होगा । 2. इससे पूंजीवादी एक फ़सली खेती के स्थान पर सनातन मिश्रित खेती को बढ़ावा मिलेगा । मिश्रित खेती से de urbanization , जैव विविधता , जल सरक्षण , जीव जंतुओं की सुरक्षा ,छोटे उद्योगों को बढ़वा , कृषि मशीनरी में कमी ,खेत मजदुरो को वर्ष भर रोजगार ,यातायात में कमी , पूंजीवादी भंडारण के स्थान पर सनातन गृह भंडारण , किसानों पर कर्ज में कमी , बाजारवाद ,globalization आदि पर चोट होगी । इन विषयों पर अधिक जानने के लिए हमारा यह ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com 3. चाणक्य के अनुसार कृषि अर्थव्यवस्था का आधार है । जैसे कृष
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आधुनिक पूंजीवादी एक फ़सली खेती का सच ------------ 1960-70 के दशक में कृषि में बहुत घटिया बदलाब हुए । apmc एक्ट के जरिये किसानों को गुलाम बनाने का काम 1960-70 के दशक में शुरू हुआ । हरित क्रांति के नाम देशी बीजों को बदल कर हाइब्रिड बीज कर दिए गए, क्योकि देशी किसमें रासायनिक खाद को नकार रहीं थी । द्वितीय विश्व युद्ध के समय गोला बारूद बनाने के लिये बचा हुआ नाइट्रेट आदि हरित क्रांति के नाम पर भारतीय खेतों में झोंका गया । किसानों को जैविक कृषि से हटा कर रासायनिक खेती करने के लिये किसानों का mind wash करने के लिये स्थान स्थान पर agricultural universities खोली गई । जिसमें कार्यरत कृषि वैज्ञानिकों ने agricutlural कंपनियों से मोटा माल लेकर किसानों को रासायनिक खाद ,कीटनाशक ,हाइब्रिड बीज खरीदने के लिये प्रेरित किया गया । दूरदर्शन पर खेती का बेड़ागर्क करने के लिये कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए । all india radio पर भी नकली वैज्ञानिकों ने किसानों के सदियों के अनुसंधान को नकार दिया औऱ किसानों को रासायनिक खेती की तरफ मोड़ दिया गया । किसानों को पूर्णतयः बाजार के अधीन करने के लिये msp का दुष्चक्
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*अगर आप अपने बच्चों को किसी स्पोर्ट्स एक्टिविटी के स्थान पर संघ शाखा में भेजते है तो.......* 👌आपके बच्चे में नेतृत्व के गुण बचपन से ही विकसित होने लगते हैं । संघ शाखा में गट नायक, गण शिक्षक, मुख्य शिक्षक का दायित्व संभालते संभालते आपके बच्चे में नेतृत्व के गुण उभरने लगते हैं । 👌आपके बच्चे बुरी संगत से दूर रहेंगे । आजकल कई बच्चे जल्द ही नशे की लत का शिकार हो जाते है । इसलिए हमारे शास्त्रों में सत्संग पर इतना अधिक जोर दिया गया है । जैसी संगत वैसी रंगत । हमारी क्लास के अधिकतर सहपाठी आजकल नशा कर रहें है जबकि बचपन से ही संघ शाखा में जाने के कारण हम इससे बचे हुए हैं । 👌संघ का संगठन इतना विशाल है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते । संघ के प्रचारक जी खुद आपके बच्चों का ध्यान रखते हैं और स्वयंसेवकों को उनकी क्षमता अनुसार दायित्व सौंपते रहते है । जिससे उनका विकास होता रहता है । पंडित दीनदयाल उपाध्याय , श्याम प्रसाद मुखर्जी , दत्तोपंत ठेंगड़ी , प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कई राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि संघ की शाखा में नित्य जाने वाले स्वयंसेवक हैं । 👌आपके बच्चे में कई नए गुण विकसित होते
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खुशबू vs बदबू --------------- आपकी नाक एक perfect judge है कि आपके खाने के लिये क्या सही है क्या गलत । उदहारण के लिए । 1.चीनी की मिल के नजदीक इतनी बदबू होती है कि वहां पर खड़ा रहना भी दुष्कर होता है जबकि गुड़ के कुल्हाड के पास इतनी अच्छी खुशबू आती है कि पूछो मत । 2. रिफाइंड आयल की फैक्ट्री में बदबू की भरमार होती है जबकि तेल के कोहळू के अगर आप एक बार बैठ जाओ तो उठने का मन नहीं करता । 3. जब कहीं रिफाइंड में पुड़िया आदि तले जाते हैं तो आपकी आंखें जलने लगती है । एक अजीब सी बैचनी होती है । जबकि किसी उत्सव पर हमारे घरों में शुद्ध सरसो के तेल में पूड़ियाँ तली जाती हैं तो दूसरी गली के लोगों के पास भी स्वर्ग की अनुभूति होती है । 4. अगर आप घर पर देशी कली चुना करवायो तो खुशबू आएगी । लेकिन अगर प्लास्टिक पेंट आदि करवायो तो कई दिन आंखे जलती रहती हैं । ऐसा क्यों होता है यह बदबू हमें बताती है कि अंदर कुछ गलत चल रहा है । किसी हानिकारक केमिकल का प्रयोग हो रहा है ।
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जब से यह पिसा हुआ पैकेट बंद आटा आना शुरू हुआ है तबसे हमार भोजन का सत्यानाश हो गया है। हमारे पूर्वज अलग अलग तरह के आनाज जैसे जों , बज़रा ,जवार , चने ,मक्की आदि का प्रयोग अपने आहार में करते थे वह समाप्त हो गया है | आयुर्वेद के अनुसार अगर हमें स्वस्थ रहना है तो गेहूं के अतिरिक्त अन्य अनाजों का अपने भोजन में प्रयोग अवश्य करना चाहिए | आप शुरआत में गेंहूँ के आटे में अलग अलग तरह के आनाज का अट्टा मिला सकते है | उहाहरण के लिए मैंने 2 किलो साबुत चने लिए, 65 रूपए प्रति किलो और उसको चक्की से पिसवा लिया | अब प्रात एक मुट्ठी बेसन घर के पिसे हुए आटे में मिला लेते हैं | जिससे रोटी स्वादिष्ट भी बनती है और पोस्टिक भी | लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना है कि कोई भी अनाज पिसा हुआ ना लें चाहे कितनी भी ब्रांडेड कंपनी का क्यों ना हो |सब branded /Non branded पिसे हुए आटे में से १. चोकर निकाल लिया जाता है | २. इनमे हानिकारक रसायन (PRESERVATIVE ) मिलाये जाते है तभी इन पिसे हुए आटों कभी सुसरी आदि जीव पैदा नहीं होती | ३. इनमे घटिया सस्ता ख़राब गेहूं आदि , मिलाया जाता है | इसलिए खुद का पिसवाया हुआ आनाज ही प्रयोग क