कृषि संबंधित तीन कानूनो के कारण देश को ,किसान को ,उपभोक्ता को ,ग्रामीण स्वदेशी सनातन अर्थव्यवस्था को , निम्नलिखित लाभ होगें । 1. किसान अपनी कृषि उपज का मूल्य स्वयं तय कर सकेगा । किसान को यह स्वतंत्रता होगी कि वह देश के किसी भी व्यक्ति को ,संस्था को अपना सामान बेच सकेगा । किसान अपनी उपज की फ़ोटो किसी online trading साइट जैसे olx पर डाल सकता है जिससे होगा क्या कि उपभोक्ता और किसान का सीधा संपर्क हो जाएगा । बीच के बिचौलिए जो मार्जिन खा जाते थे उससे किसान और उपभोक्ता दोनों का बचाब होगा । ‌2. इससे पूंजीवादी एक फ़सली खेती के स्थान पर सनातन मिश्रित खेती को बढ़ावा मिलेगा । मिश्रित खेती से de urbanization , जैव विविधता , जल सरक्षण , जीव जंतुओं की सुरक्षा ,छोटे उद्योगों को बढ़वा , कृषि मशीनरी में कमी ,खेत मजदुरो को वर्ष भर रोजगार ,यातायात में कमी , पूंजीवादी भंडारण के स्थान पर सनातन गृह भंडारण , किसानों पर कर्ज में कमी , बाजारवाद ,globalization आदि पर चोट होगी । इन विषयों पर अधिक जानने के लिए हमारा यह ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com 3. चाणक्य के अनुसार कृषि अर्थव्यवस्था का आधार है । जैसे कृषि का मॉडल होगा वैसे ही अर्थव्यवस्था का मॉडल होगा । अगर एक फ़सली कृषि होगी तो अर्थव्यवस्था का मॉडल पूंजीवादी होगा या साम्यवादी होगा । अगर कृषि का मॉडल मिश्रित खेती वाला होगा तो अर्थव्यवस्था का मॉडल संनातन मॉडल होगा जिसको कई स्वदेशी या ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मॉडल कहते हैं ।

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