कुंडी में चटनी रगड़ना क्यों जरूरी है । -------------------- भोजन में जो आयरन होता है उसको शरीर में absorb करने के लिये विटामिन c की आवयश्कता पड़ती है । जिस लिये सनातन आयुर्वेदिक वैज्ञानिकों ने चटनी का अविष्कार किया । सनातन आयुर्वेदिक उपकरणों जैसे कुंडी सोटे में रगड़ी गई चटनी को भोजन के साथ खाने से आपको निम्नलिखित लाभ होते हैं । 1. आपको और आपके बच्चों iron के साथ साथ विटामिन c भी मिलता है जिससे आप स्वस्थ रहते हैं ।आपको केमिकल्स से तैयार ऊल्लू पैथी की गोलियां नहीं खानी पड़ती । 2. आपको gym के गन्दी हवा में पसीना बहाने की जरूरत नहीं पड़ती । कुंडी में चटनी रगड़ने से आप की कसरत भी होती रहती है और आपके भोजन का स्वाद भी बढ़ जाता है । 3. चटनी में आप आवश्कता के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों जैसे गिलोय ,कच्चे आम ,पुदीना, धनियां ,काली मिर्च ,अनारदाना , कच्चे प्याज ,मरुआ आदि डाल सकते हैं । 4.जब आप mixer में चटनी बनाते हैं तो कई औषधियों में कई प्रकार के रस होते हैं जो केवल कूटने से निकलते हैं । उदहारण के लिये प्याज में विशेष प्रकार की झिल्ली होती है । जो प्याज पर प्रहार करने पर ही रस छोड़ती है काटने
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भारत मे सेविंग और FD पर ब्याज इसलिये दिया जाता है तांकि लोगों को सोने में निवेश से रोका जा सके । अगर सोने में निवेश होता रहेगा तो भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जायेगा । सोने में निवेश होने से डॉलर की कीमत सोने के विरुद्ध गिरती जाती है । जैसे जैसे सोने की मांग बढ़ती जाएगी डॉलर का अवमूल्यन होता जाएगा । हो सकता है कि एक समय डॉलर के स्थान पर सोना अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मुद्रा बन जाये । इसलिये स्वर्ण में निवेश रोकने के लिये सरकार सेविंग और FDR पर ब्याज देती है । अगर सरकार FDR और सेविंग पर ब्याज ना भी दे तो भी बैंक्स के पास उतना ही रुपया रहेगा जितना बैंक्स के पास 8-10% interest देने पर रहेगा । इसको हम एक उदाहरण लेकर समझते हैं । मान लो आपकी बैंक में 10 लाख रुपये सरकार ने fdr पर interest शून्य कर दिया तो आप बैंक से पैसा निकाल कर सोने निवेश कर दोगे और 10 लाख का cheque किसी स्वर्णकार (जेवेलर) को देकर 10 लाख का स्वर्ण खरीद लोगे अब वह 10 लाख का cheque अपने बैंक में जमा करवा देगा । आपके खाते से निकल कर entry स्वर्णकार के खाते में चली जायेगी । इस तरह बैंकिंग system में उतना ही धन रहेग जितना पहले था
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एक नंबर में रिश्वत लेने का सबसे अच्छा तरीका है एक NGO बनायो । उसमे सारे परिवार के सदस्य भरवा लो । फिर सारी रिश्वत donation के नाम पर एक नंबर में उसमें डलवा लो । रिश्वत देने वाले को 80G में rebate मिल जाती है । रिश्वत लेने वाले की इनकम भी taxfree होती है । सबको फायदा ही फायदा रिश्वत देने वाले को भी लेने वाले को भी । ना कानून कुछ उखाड़ सकता है ना अदालत सब कानून सही है । उदाहरण पप्पू के पिता की फॉउंडेशन । अलग अलग अधर्मगुरु भी इसी NGO के नाम पर गोरखधंधा करते हैं । कोई टैक्स नही कोई डर नही । यही है रिश्वत की आधुनिक तकनीक । रिश्वत वह 50 रुपये ही नही होती जो चौहरे पर खड़ा ट्रैफिक हवलदार लेता है यह रिश्वत समाज और देश को घुन की तरह खा रही है । सारे NGO की मान्यता सरकार को रद्द कर देनी चाहिये । पूरा टैक्स लेना चाहिये पब्लिक SERVENT या उसके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा NGO की MEMBERSHIP लेने पर पूरी रोक लगनी चाहिये ।
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भारत से अधिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अमेरिका के लिये खतरा है । क्योंकि चीन में सरकार के लिये कम्युनिस्टों की तानाशाही वाला मॉडल है और उत्पादन और व्यापार के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का मॉडल चलता है । यह एक घातक combination है दो साँपो का । जबकि अमेरिका में शासन के लिये लोकतंत्र है और उत्पादन के लिये लिये पूंजीवादी व्यवस्था । चीन का मॉडल पूंजीवादी बड़ी बड़ी कंपनियों को बहुत ही उपयुक्त लगता है । क्योंकि चीन की तानाशाही सरकार अपने लोगों की जमीन छीन कर मुफ्त बड़े बड़े कॉरपोरेट को दे देती है। चीन में मजदूरों को चीनी कम्युनिस्ट बहुत सस्ते में बड़े बड़े पूंजीपतियों को उपलब्ध करवा देते है । इसलिये चीन में उत्पादन लागत बहुत कम आती है इसलिये चाहे वह अमेरिकन कंपनी apple हो ,कोरियन कंपनी samsung हो ,या फिर जापानी कंपनी sony हो सब चीन में उत्पादन करना चाहते हैं क्योंकि चीन में इनके अपने देश की तुलना में उत्पादन लागत बहुत कम आती है । औऱ पूंजीपति कंपनियों का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना है । तीसरा चीन में कितना भी प्रदूषण करो कोई चक्कर नहीं । चीनी कम्युनिस्टों को कुछ रिश्वत दो और चीन के पर्यावरण का चाह
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समाज के निर्माण के लिये दो चीज़ें होना अत्यंत आवश्यक है ।पहला है किसी गाँव या शहर की जनसंख्या 10000 से कम होना ।दूसरा है लोगों का स्थायी रूप से पीढ़ियों तक एक स्थान पर निवास करना । अगर यह दो कारण पूरे हो तभी समाज का निर्माण होता है । हर व्यक्ति पर सरकार का नियंत्रण यह पूंजीवादी व्यवस्था है । व्यक्ति पर समाज का नियंत्रण यह सनातन व्यवस्था है । सनातन व्यवस्था में सबसे पहले व्यक्ति होता है व्यक्ति के ऊपर फिर परिवार होता है ,परिवार के ऊपर समाज और समाज के ऊपर राष्ट्र होता है जो एक सांस्कृतिक अवधारणा है । जबकि पछमी पूंजीवादी व्यवस्था में परिवार और समाज नाम की इकाई ना होने के कारण व्यक्ति को सीधा सरकार नियंत्रित करता है। इसलिये पछमी पूंजीवादी व्यवस्था में परिवार और समाज का कोई स्थान नहीं है । और सरकार सीधा व्यक्ति को नियंत्रित करती है । क्योंकि सरकार और व्यक्ति का सीधा कोई सम्पर्क नहीं होता और दोनों एक दूसरे को नहीं जानते तो व्यक्ति को नियंत्रित करने के लिये सरकार को विभिन्न नियम और कानून बनाने पड़ते है । क्योंकि सरकार और व्यक्ति एक दूसरे से बहुत दूर होते हैं इसलिये व्यक्ति पर नियंत्रण करने क
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पाकिस्तान और चीन की तरह भारत में अभी तक 5th generation warfare की यूनिट अभी तक शुरू नहीं हुई है । पाकिस्तान और चीन 5th generation warfare में बहुत आगे निकल चुके हैं और भारतीय सेना को 5th generation ware fare की कोई मदद नहीं मिलती । चाणक्य की मगध विजय 5th generation warfare का क्लासिक उदहारण हैं । जिसमे मगध में चाणक्य द्वारा पहले फुट डाली जाती है और मगध की सीमा पर चन्द्रगुप्त की फौज तैनात रहती है । और चाणक्य मगध में फुट डलवा कर आसानी से बिना अपना एक सैनिक गवांए मगध को जीत लेते हैं । इस दुष्पचार तंत्र को कहते हैं fifth generation war fare । जिसमे social media द्वारा ,paid पत्रकारों , फिल्मी द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में लाडवाया जाता है और आपके धर्म संस्कृति पर अविश्वास create करवाया जाता है । आजकल पाकिस्तान आर्मी का एक यूनिट केवल fifth generation war fare को समर्पित है । जिसमें लाखों फ़र्ज़ी social media accounts ,ट्विटर हैंडल्स ,फेक प्रोपगंडा वीडियो द्वारा हिन्दू समाज के अलग अलग घटकों को आपस मे लड़वाया जाता । बाकायदा इसके लिये paid staff रखा जाता है जिसको भारत की भाषाओं का ज्ञ
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कर्ज़े की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था 1.इससे लोगों पर कर्ज चढ़ेगा । 2. उपभोग की बृद्धि होगी जिससे पर्यावरण का नुकसान होगा 3.औऱ तीसरा महंगाई बढ़ेगी जिससे सनातन परिवार व्यवस्था छिन भिन्न हो जाएगी । विकल्प सनातन सेविंग की अर्थव्यवस्था का मॉडल 1. कर्ज़े के स्थान पर लोगों के पास सेविंग होगी। 2.गैर जरूरी उपभोग में कमी होगी जिससे प्रकृति की रक्षा होगी 3.महंगाई कम होने के कारण सनातन परिवार व्यवस्था पुनः मजबूत होगी । पूंजीवादी इकॉनमी मॉडल के लिये बहुत जरूरी है कि एक महंगाई बढ़े और दूसरा लोगों पर कर्ज चढ़े तभी growth होगी और जीडीपी बढ़ेगी । यह पूंजीवादी inflationory model of economy है जिससे सबसे अधिक परिवार टूटता है । high cost of living के कारण परिवार को maintain करना कठिन होता जाता है । जिससे परिवार व्यवस्था टूट रही है अमेरिका की तरह । मीडिया गिरती जीडीपी आदि का शोर गुल मचा कर पब्लिक ओपिनियन तैयार कर देता है और इसकी आड़ में बड़े बड़े पूंजीपति सरकार से करोड़ों के पैकेज ले जाते है। आम लोगों को पता ही नहीं चलता कि जीडीपी के नाम पर उनके गले में कर्ज और महंगाई का फंदा कसता जा रहा है ।
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Localization means local consumption local production and small scale of production by unlimited no of units. King vikramaditya had started this sanatan model of localization .localization is not limited to localization of production but also localization of governance . For localization first of all model of agriculture should be changed to monoculture to sanatan mixed agriculture model . Because according to chankya 300 bc (india) . Agriculture is the base of economic model . If agriculture is monoculture localization will not start . Thereafter present model of economy of debt should be replaced by sanatan model of saving . By adopting sanatan model of localization , decentralization and saving economy model king vikramaditya had brought the golden period of india . Where there is not debt on anybody . Chankya 300 Bc is the architecture of globalization model .globalization kill diversity . Because for Globazation you need mass scale of production . For mass scale of production
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विश्व में api इंडस्ट्री सबसे 10 बड़ी प्रदूषण फैलाने वाला उद्योग है । अगर एक बार लग गया तो पानी जहर बन जायेगा । चीन में 1000 कम्युनिस्ट की तानाशाही है उनको केवल पैसे बनने चाहिए चीन की जनता चाहे प्रदूषण से मर जाये उनको कुछ लेना देना नही । इसलिये विश्व मे api (active pharmaceutical ingredients) अधिकतर चीन में बनता है । Note एलोपैथी मेडिसिन में api मुख्य आधार है ।
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Plastic के बिना कैप्टालिस्म का मॉडल एक दिन नहीं चल सकता । चाहे पूंजीवादी कंपनियों का दूध हो या कोका कोला या रिफाइंड आयल , अमेज़ॉन हो या फिल्पकार्ट दोनो एक दिन नही चल सकते बिना प्लास्टिक की पैकिंग के । दूसरी तरफ सनातन अर्थव्यवस्था में प्लास्टिक की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि वहां पर local consumption local production और small production होती है । उदहारण के लिये रिफाइंड आयल की बिक्री के लिये प्लास्टिक बहुत जरूरी है क्योंकि उत्पादक और उपभोक्ता के बीच दूरी होती है । दूसरी तरफ सनातन processing सिस्टम जैसे तेल के छोटे कोहलू में क्योकि उत्पादक और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध है इसलिये पैकिंग की कोई जरूरत नही ना ही transport की । प्लास्टिक का हल केवल सनातन मॉडल है । पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के लिये ही प्लास्टिक का अविष्कार हुआ है ।sanatan model localization और capitalist model of globalization के बारे में अधिक जानकारी के लिये यह ब्लॉग पढें ।https://sanatanbharata.blogspot.com/2019/11/blog-post_5.html?m=1
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सनातन धर्म का ह्रास क्यों हो रहा है । --------- वर्तमान पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का मॉडल उपभोग की अवधारणा पर टिका हुआ है । पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में सरकार का सारा ध्यान इस तरफ लगा रहता है कि consumption अधिक से अधिक हो । इसलिये दिन रात टेलीविजन पर प्रोडक्ट्स के भजन एडवरटाइजिंग के रूप में चलते रहते है आपको अधिक से अधिक कर्जा देने की सरकार की कोशिश रहती है तांकि आप कर्ज़े लेकर अधिक से अधिक चीज़े खरीदो तांकि आप कर्ज़े चाहे जितना मर्ज़ी चढ़ता रहे उपभोग अधिक से अधिक होना चाहिए । यह अधिक से अधिक उपभोग की अवधारणा अब्राहिमक रिलिजन (यहूदी ,ईसाई ,इस्लाम )की केवल एक जन्म की थ्योरी पर टिकी हुई । क्योंकि इन religion के अनुसार आपका केवल एक जन्म होना है इसलिये अधिक से अधिक एन्जॉय करो यानि उपभोग करो । इन मजहबों का मूल मंत्र है 'जिंदगी मिलेगी ना दोबारा' दूसरी तरफ सनातन धर्म पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है । सनातन धर्म के अनुसार आपको अगर बार बार जन्म के बंधन से मुक्त होना है तो आपको त्याग का मार्ग अपनाना पड़ेगा । जब तक आपकी कोई इच्छा शेष है आपको बार बार जन्म मिलता रहेगा । इस तरह अर्थव्यवस्था का को
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प्रश्न :-देश को आत्म निर्भर बनाने के लिये क्या करना चाहिए ? उत्तर :-सबसे पहले मिश्रित खेती का मॉडल लागू हो जिससे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम चल पड़ेगा जिससे ट्रांसपोर्ट 90% कम हो जाएगा । जिससे आपके तेल की खपत कम होगी । सड़को की जरूरत कम होगी आपका देश सही मायने में आत्म निर्भर बनेगा । दूसरा वर्तमान debt की economy के स्थान पर सनातन सेविंग की इकॉनमी मॉडल को अपनाना पड़ेगा । consumer loan जैसे कार loan ,इलेक्ट्रॉनिक गुड्स के कर्ज़े पूरी तरह बंद करने पड़ेंगे जिससे इलेक्ट्रॉनिक goods का import कम होगा । तीसरा डिफेंस के area में आत्म निर्भर होना पड़ेगा । इन तीन चीज़ों के लिये ही हम विदेश पर निर्भर है । जब हम यह कर लेंगे तो विदेशी मुद्रा की जरूरत बहुत कम पड़ेगी । इतने समय में 2- 3 साल की जरुरत का विदेशी मुद्रा को छोड़कर बाकि से विदेशी loan चुकता कर देना चाहिये जिससे interest कम भरना पड़ेगा और रुपये की कीमत एकदम बढ़ जाएगी
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Parle G स्वदेशी की अवधरणा पर खरा नहीं उतरता । यह इंडियन पूँजीवाद है स्वदेशी नही । स्वदेशी तो भारतीय नान खताई (देशी बिस्किट} हैं जो कि स्वदेशी की अवधारणा पर खरा उतरते हैं । ऐसी गलत स्वदेशी की परिभाषा के चलते स्वदेशी का आंदोलन सफल नही हो रहा ।स्वदेशी की अवधारणा के दो पहलू हैं पहला है localization यानि के local consumption local producation और दूसरा है small production by unlimited no of units । यह दोनों अवधारणाएं केवल नान खा खाताई यानि कि देशी बिस्कुट बनाने वाली छोटी भाटियां पूर्ण करती है । पारले g इंडियन पूँजीवाद है । पारले g mass production और globalization की अवधारणा पर आधारित है । कोका कोला और पारले g में कोई स्वदेशी नही है । दोनों विदेशी तंत्र पर आधारित हैं । और अधिक जानकारी के लिए हमारा ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com