भारत मे सेविंग और FD पर ब्याज इसलिये दिया जाता है तांकि लोगों को सोने में निवेश से रोका जा सके । अगर सोने में निवेश होता रहेगा तो भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जायेगा । सोने में निवेश होने से डॉलर की कीमत सोने के विरुद्ध गिरती जाती है । जैसे जैसे सोने की मांग बढ़ती जाएगी डॉलर का अवमूल्यन होता जाएगा । हो सकता है कि एक समय डॉलर के स्थान पर सोना अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मुद्रा बन जाये ।
इसलिये स्वर्ण में निवेश रोकने के लिये सरकार सेविंग और FDR पर ब्याज देती है । अगर सरकार FDR और सेविंग पर ब्याज ना भी दे तो भी बैंक्स के पास उतना ही रुपया रहेगा जितना बैंक्स के पास 8-10% interest देने पर रहेगा । इसको हम एक उदाहरण लेकर समझते हैं । मान लो आपकी बैंक में 10 लाख रुपये सरकार ने fdr पर interest शून्य कर दिया तो आप बैंक से पैसा निकाल कर सोने निवेश कर दोगे और 10 लाख का cheque किसी स्वर्णकार (जेवेलर) को देकर 10 लाख का स्वर्ण खरीद लोगे अब वह 10 लाख का cheque अपने बैंक में जमा करवा देगा । आपके खाते से निकल कर entry स्वर्णकार के खाते में चली जायेगी । इस तरह बैंकिंग system में उतना ही धन रहेग जितना पहले था । जब बैंक आपको 8% ब्याज देता था बैंक को 10 लाख की fd पर साल में 80000 रुपये देना पड़ता था । जब बैंक ने ब्याज 0 कर दिया तो बैंक को कोई खर्च नहीं करना पड़ता लेकिन बैंक के पास धन उतना ही रहेगा । इस सारी प्रक्रिया में आपके सोना खरीदने से भारत में सोना आ जायेगा जिसके कारण डॉलर पर stress पड़ता है । इसलिये भारत लोगों के सोने में निवेश की सनातन व्यवस्था होने के कारण बैंक आपको ब्याज देने पर मजबूर है । अमेरिका,यूरोप  आदि third world country की जनता की एक तो सोने में निवेश करने की कोई आदत नहीं दूसरा इन देशों में हर एक व्यक्ति loan पर होने के कारण निवेश की सोच भी नहीं सकता इसलिये बैंक्स इन देशों में saving और fdr आदि पर कोई ब्याज नहीं देते उल्टा बैंक्स पैसे रखने के बदले charges लेतें हैं । आम भारतीयों को उन सनातन भारतीयों का धन्यवाद करना चाहिये जो स्वर्ण में निवेश करते हैं जिस कारण बैंक्स को आपको ब्याज देने पर मजबूर होना पड़ता है । इसलिये जैसे जैसे बैंक्स में interest कम हो रहा है सोने की कीमत बढ़ती जा रही है ।

कैसे पूंजीवादी consumption based economy के लिये interest rate क्यों कम होना बहुत जरूरी है ।
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पूंजीवादी consumption based economy में कर्ज़े पर rate of interest जितना कम होगा उपभोग उतना अधिक होगा । मान आज car loan पर interest rate आज बढकर 18% हो जाये तो आपकी क़िस्त कई गुणा बढ़ जाएगी और आप car loan लेने के लिये दस बार सोचोगे । car loan पर interest rate 18% होंने पर car की consumption कम हो जाएगी जिससे कार कंपनियों का profit गिर जाएगा । इससे petrol और diseal का उपभोग भी कम हो जाएगा और भारत को islamic देशों से तेल कम आयात करना पड़ेगा । 
इसके विपरीत अगर car loan पर interest rate कम होकर अमेरिका और यूरोप आदि जैसे third world country की तरह कम करके 2-3% कर दिएं जाये तो वह व्यक्ति भी car ले लेगा जो आजतक cycle पर चलता है । इससे कार और तेल दोनों का उपभोग बढ़ेगा । जिससे सरकार को तेल अधिक मात्रा में import करना पड़ेगा । क्योंकि तेल डॉलर में मिलता है इसलिये तेल की demad अधिक होने पर डॉलर के विरुद्ध रुपये कीमत गिर जाएगी ।
इस तरह हमने देखा कि क्यों कम rate of interest होना पूंजीवादी consumption की economy के लिये नितांत आवश्यक है ।
कैसे स्वर्ण में निवेश की सनातन व्यवस्था ,पूंजीवादी consumption based economy के रास्ते में रूकावट है ?
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जैसे की हमने ऊपर पढ़ा कि अगर स्वर्ण में निवेश की सनातन व्यवस्था भारत में प्रचलित रहेगी तो बैंक्स एक सीमा से नीचे interest rate कम नहीं कर सकते  और पूंजीवादी consumption based economy के लिये यह बहुत आवश्यक है कि interest rate कम रहें तांकि लोग अधिक से अधिक loan लेकर पूंजीवादी कंपनियों के उत्पाद खरीद सकें । लेकिन स्वर्ण में निवेश पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के रास्ते की रुकावट है । इसलिए जब तक भारत मे स्वर्ण में निवेश की सनातन व्यवस्था विद्यमान रहेगी
1. भारत के लोगों पर कर्ज कम रहेगा ।
2. भारत में स्वर्ण बाहर से आता रहेगा जिससे भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जाएगी ।
3.भारत में कर्ज़े की और उपभोग की पूंजीवादी व्यवस्था पूरी तरह सफल नहीं हो पाएगी और देश का पर्यावरण  और निरह जीव जंतुओं की कुछ रक्षा हो सकेगी ।
भारत सरकार का पूरा प्रयास इस तरफ लगा रहता है कि भारत की सनातन सेविंग और त्याग की अर्थव्यवस्था को समाप्त करके पूंजीवादी कर्ज़े और उपभोग की अर्थव्यवस्था को लागू किया जाए ।और इसमें भारत सरकार सफल भी हो रही है । भारत सरकार को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के स्थान पर सनातन अर्थव्यवस्था का मॉडल अपनाना चाहिये तांकि देश के आम लोगों ,जीव जंतुओं ,नदियों पहाड़ों ,समुद्रों ,परिवार व्यवस्था और धर्म की रक्षा हो सके । और भारत सही अर्थों में आत्मनिर्भर बन सके । और अधिक जानकारी के लिये हमारा ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com



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