भारत से अधिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अमेरिका के लिये खतरा है । क्योंकि चीन में सरकार के लिये कम्युनिस्टों की तानाशाही वाला मॉडल है और उत्पादन और व्यापार के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का मॉडल चलता है । यह एक घातक combination है दो साँपो का । जबकि अमेरिका में शासन के लिये लोकतंत्र है और उत्पादन के लिये लिये पूंजीवादी व्यवस्था । चीन का मॉडल पूंजीवादी बड़ी बड़ी कंपनियों को बहुत ही उपयुक्त लगता है । क्योंकि चीन की तानाशाही सरकार अपने लोगों की जमीन छीन कर मुफ्त बड़े बड़े कॉरपोरेट को दे देती है। चीन में मजदूरों को चीनी कम्युनिस्ट बहुत सस्ते में बड़े बड़े पूंजीपतियों को उपलब्ध करवा देते है । इसलिये चीन में उत्पादन लागत बहुत कम आती है इसलिये चाहे वह अमेरिकन कंपनी apple हो ,कोरियन कंपनी samsung हो ,या फिर जापानी कंपनी sony हो सब चीन में उत्पादन करना चाहते हैं क्योंकि चीन में इनके अपने देश की तुलना में उत्पादन लागत बहुत कम आती है । औऱ पूंजीपति कंपनियों का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना है । तीसरा चीन में कितना भी प्रदूषण करो कोई चक्कर नहीं । चीनी कम्युनिस्टों को कुछ रिश्वत दो और चीन के पर्यावरण का चाहे बलात्कार कर दो । उल्लूपैथी की दवायों में प्रयोग होने वाले API (active pharmaceutical ingredients) सब चीन में बनाते है । एक बार किसी देश मे यह api उद्योग लग गया तो समझो वहां के जल औऱ वायु में जहर घुल गया । अगर अमेरिका और भारत जैसे किसी देश मे यह api उद्योग लगता है तो यहाँ पर लोकतंत्र होने के कारण तुरन्त शोर मच जाता है । दूसरी तरफ चीन में कम्युनिस्टों की गुंडागर्दी होने के कारण कोई चूं भी नहीं करता । इसलिये सारी उल्लू पैथी api industry चीन में गन्द डलती हैं । चीन का हवा पानी जहर बन गया है । चीन में पूँजीवाद और कम्युनिस्टों ने मिलकर इतना विकास कर दिया है कि वहाँ पर स्वच्छ हवा भी cans में बिकती है कोका कोला की तरह ।
1992 में सोवियत रूस के अवसान के बाद अमेरिका के सामने कोई चुनौती ना होने के कारण wto अस्तित्व में आया । जिसके तहत सभी देशों के बीच मुक्त व्यापार का अनुबंध हुआ । अमेरिका की wto के पीछे सोच थी कि वह अमेरिकन माल से सारी दुनिया के बाजारों को पाट देगा । इसलिये सारे देशों पर दबाब डालकर wto समझौते पर हस्ताक्षर करवाये गए । सारे विश्व के देशों में डंडे के जोर से और मीडिया के दुष्पचार के माध्यम से globalization और liberlization के नाम पर व्यापार को खोला गया । भारत में भी सोना गिरवीं रखने का हो हल्ला मचा कर देश मे globalization और liberlization का मंत्र फूंका गया । एक कठपुतली मनमोहन को देश का वित्तमंत्री बनाकर सारा credit उसकी झोली में डाल दिया गया । तांकि कोई विरोध ना हो सके । जबकि सच यह है कि सारे विश्व नें अमेरिका के दवाब में अपने देश को अमेरिका के लिये खोला था । सब विदेशी षड्यंत्र था । कोई मनमोहन सिंह का जादू नहीं।
अमेरिका को इस बात का विश्वास था कि उसकी कंपनियां सब देशों को लूट लेंगी । लेकिन wto का सबसे अधिक लाभ चीनी कम्युनिस्टों ने उठाया । चीनी कम्युनिस्टों ने अमेरिकी और अन्य देशों की पूंजीपति कंपनियों को मुफ्त में जमीन , डंडे के जोर से चीनी मजदूर उपलब्ध कोड़ियों के दाम पर करवाए और पर्यावरण की ऐसी तैसी फेरने की खुली छूट दी । बदले में चीनी कम्युनिस्टों को कुछ रिश्वत और चीनी कम्युनिस्टों के बच्चों की कंपनियों को कामयाब करने की गारंटी मिलती थी ।
देखते ही देखते चीन दुनिया की फैक्ट्री बन गया । सारी production यूरोप अमेरिका से शिफ्ट हो कर कम लागत के कारण चीन में shift हो गई । Trump चाचा के आने से पहले सब कुछ ठीक चलता रहा । चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी सारे अमेरिकी लीडरों को खरीद चुकी थी । अमेरिका में बेरोजगारी और गरीबी की दर 25% हो चुकी थी । बाबजूद इसके बराक ओबामा one china policy के गीत गा रहा था । लेकिन ट्रम्प ने चीनी कम्युनिस्टों और अमेरिकन पूंजीपतियों के आगे बिकने से इनकार कर दिया । और चीन के साथ trump ने ट्रेड war की घोषणा कर दी । trump को पता है कि अगर चीनी कम्युनिस्ट इसी तरह पैसा और सैन्य ताकत अगले पांच छह सालों तक एकत्र करते रहे तो इन चीनी कम्युनिस्टों की पैसे की भूख के आगे सारी धरती भी छोटी पड़ जाएगी । चीनी वायरस कोरोना ने ट्रम्प को यह मौका दे दिया कि चीनी कम्युनिस्टों को मसल कर रख दे । चीन ने WHO को भी खरीद रखा था । TRUMP ने इसलिये WHO की FUNDING बन्द कर दी । TRUMP को पता चल चुका है कि GLOBALIZATION ,WTO ,WHO आदि का सबसे अधिक लाभ चीनी कम्युनिस्ट ले रहे हैं । इसलिये अब TRUMP ने GLOBALIZATION ,WTO ,WHO की वाट लगने का पूरा मन बना लिया है । चीनी कम्युनिस्टों और अमेरिकन पूंजीपतियों के आगे ट्रम्प दीवार की तरह खड़ा हुआ है । इसलिये अमेरिका में TRUMP को कमजोर करने के लिये CCP के हाथों बिके हुये अमेरिकन वामपंथीओं ने अमेरिका में BLACK LIVES MATTER के बैनर के नीचे दंगे करवा दिया ताकि ट्रम्प को कमजोर करके झुकाया जा सके । लेकिन TRUMP ने सख्ती से यह आंदोलन कुचल दिया । अब ताइवान ,तिब्बत को TRUMP आज़ाद करवाने का मन बना चुका है । यूरोपियन यूनियन से चीन का मार्किट ECONOMY का STATUS छीन लिया गया है । हॉन्गकॉन्ग के जरीये चीन अपना माल बेच रहा था उस पर भी trump ने रोक लगा दी है । जापान ,south कोरिया , फिलीपींस ,वियतनाम ,ऑस्ट्रेलिया ,भारत ,अमेरिका इंडोनेशिया ,यूरोप चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को समाप्त करने का निर्णय ले चुके हैं । रूस के आगे भी हड्डी डाली जा चुकी है । जल्द ही चीनी ख़रबूज़े की बांट होगी । अमेरिका और यूरोपीयन देश हमेशा भेड़िये की तरह शिकार करते हैं । चीनी लोमड़ी को भेड़ियों ने घेर लिया है । भारतीय शेर चीनी लोमडी को फाड़ कर रख देगा । तिब्बत ,नेपाल ,pok भारत का अंग होंगे जल्द ।
जय श्री राम
1992 में सोवियत रूस के अवसान के बाद अमेरिका के सामने कोई चुनौती ना होने के कारण wto अस्तित्व में आया । जिसके तहत सभी देशों के बीच मुक्त व्यापार का अनुबंध हुआ । अमेरिका की wto के पीछे सोच थी कि वह अमेरिकन माल से सारी दुनिया के बाजारों को पाट देगा । इसलिये सारे देशों पर दबाब डालकर wto समझौते पर हस्ताक्षर करवाये गए । सारे विश्व के देशों में डंडे के जोर से और मीडिया के दुष्पचार के माध्यम से globalization और liberlization के नाम पर व्यापार को खोला गया । भारत में भी सोना गिरवीं रखने का हो हल्ला मचा कर देश मे globalization और liberlization का मंत्र फूंका गया । एक कठपुतली मनमोहन को देश का वित्तमंत्री बनाकर सारा credit उसकी झोली में डाल दिया गया । तांकि कोई विरोध ना हो सके । जबकि सच यह है कि सारे विश्व नें अमेरिका के दवाब में अपने देश को अमेरिका के लिये खोला था । सब विदेशी षड्यंत्र था । कोई मनमोहन सिंह का जादू नहीं।
अमेरिका को इस बात का विश्वास था कि उसकी कंपनियां सब देशों को लूट लेंगी । लेकिन wto का सबसे अधिक लाभ चीनी कम्युनिस्टों ने उठाया । चीनी कम्युनिस्टों ने अमेरिकी और अन्य देशों की पूंजीपति कंपनियों को मुफ्त में जमीन , डंडे के जोर से चीनी मजदूर उपलब्ध कोड़ियों के दाम पर करवाए और पर्यावरण की ऐसी तैसी फेरने की खुली छूट दी । बदले में चीनी कम्युनिस्टों को कुछ रिश्वत और चीनी कम्युनिस्टों के बच्चों की कंपनियों को कामयाब करने की गारंटी मिलती थी ।
देखते ही देखते चीन दुनिया की फैक्ट्री बन गया । सारी production यूरोप अमेरिका से शिफ्ट हो कर कम लागत के कारण चीन में shift हो गई । Trump चाचा के आने से पहले सब कुछ ठीक चलता रहा । चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी सारे अमेरिकी लीडरों को खरीद चुकी थी । अमेरिका में बेरोजगारी और गरीबी की दर 25% हो चुकी थी । बाबजूद इसके बराक ओबामा one china policy के गीत गा रहा था । लेकिन ट्रम्प ने चीनी कम्युनिस्टों और अमेरिकन पूंजीपतियों के आगे बिकने से इनकार कर दिया । और चीन के साथ trump ने ट्रेड war की घोषणा कर दी । trump को पता है कि अगर चीनी कम्युनिस्ट इसी तरह पैसा और सैन्य ताकत अगले पांच छह सालों तक एकत्र करते रहे तो इन चीनी कम्युनिस्टों की पैसे की भूख के आगे सारी धरती भी छोटी पड़ जाएगी । चीनी वायरस कोरोना ने ट्रम्प को यह मौका दे दिया कि चीनी कम्युनिस्टों को मसल कर रख दे । चीन ने WHO को भी खरीद रखा था । TRUMP ने इसलिये WHO की FUNDING बन्द कर दी । TRUMP को पता चल चुका है कि GLOBALIZATION ,WTO ,WHO आदि का सबसे अधिक लाभ चीनी कम्युनिस्ट ले रहे हैं । इसलिये अब TRUMP ने GLOBALIZATION ,WTO ,WHO की वाट लगने का पूरा मन बना लिया है । चीनी कम्युनिस्टों और अमेरिकन पूंजीपतियों के आगे ट्रम्प दीवार की तरह खड़ा हुआ है । इसलिये अमेरिका में TRUMP को कमजोर करने के लिये CCP के हाथों बिके हुये अमेरिकन वामपंथीओं ने अमेरिका में BLACK LIVES MATTER के बैनर के नीचे दंगे करवा दिया ताकि ट्रम्प को कमजोर करके झुकाया जा सके । लेकिन TRUMP ने सख्ती से यह आंदोलन कुचल दिया । अब ताइवान ,तिब्बत को TRUMP आज़ाद करवाने का मन बना चुका है । यूरोपियन यूनियन से चीन का मार्किट ECONOMY का STATUS छीन लिया गया है । हॉन्गकॉन्ग के जरीये चीन अपना माल बेच रहा था उस पर भी trump ने रोक लगा दी है । जापान ,south कोरिया , फिलीपींस ,वियतनाम ,ऑस्ट्रेलिया ,भारत ,अमेरिका इंडोनेशिया ,यूरोप चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को समाप्त करने का निर्णय ले चुके हैं । रूस के आगे भी हड्डी डाली जा चुकी है । जल्द ही चीनी ख़रबूज़े की बांट होगी । अमेरिका और यूरोपीयन देश हमेशा भेड़िये की तरह शिकार करते हैं । चीनी लोमड़ी को भेड़ियों ने घेर लिया है । भारतीय शेर चीनी लोमडी को फाड़ कर रख देगा । तिब्बत ,नेपाल ,pok भारत का अंग होंगे जल्द ।
जय श्री राम
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