Parle G स्वदेशी की अवधरणा पर खरा नहीं उतरता । यह इंडियन पूँजीवाद है स्वदेशी नही । स्वदेशी तो भारतीय नान खताई (देशी बिस्किट} हैं जो कि स्वदेशी की अवधारणा पर खरा उतरते हैं । ऐसी गलत स्वदेशी की परिभाषा के चलते स्वदेशी का आंदोलन सफल नही हो रहा ।स्वदेशी की अवधारणा के दो पहलू हैं पहला है localization यानि के local consumption local producation और दूसरा है small production by unlimited no of units । यह दोनों अवधारणाएं केवल नान खा खाताई यानि कि देशी बिस्कुट बनाने वाली छोटी भाटियां पूर्ण करती है । पारले g इंडियन पूँजीवाद है । पारले g mass production और globalization की अवधारणा पर आधारित है । कोका कोला और पारले g में कोई स्वदेशी नही है । दोनों विदेशी तंत्र पर आधारित हैं । और अधिक जानकारी के लिए हमारा ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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