Parle  G स्वदेशी की अवधरणा पर खरा नहीं उतरता । यह इंडियन पूँजीवाद है स्वदेशी नही । स्वदेशी तो भारतीय नान खताई (देशी बिस्किट} हैं जो कि स्वदेशी की अवधारणा पर खरा उतरते हैं । ऐसी गलत स्वदेशी की परिभाषा के चलते स्वदेशी का आंदोलन सफल नही हो रहा ।स्वदेशी की अवधारणा के दो पहलू हैं   पहला है localization यानि के local consumption local producation और दूसरा है small production by unlimited no of units । यह दोनों अवधारणाएं केवल नान खा खाताई यानि कि देशी बिस्कुट बनाने वाली छोटी भाटियां पूर्ण करती है । पारले g इंडियन पूँजीवाद है । पारले g mass production और globalization की अवधारणा पर आधारित है । कोका कोला और पारले g में कोई स्वदेशी नही है । दोनों विदेशी तंत्र पर आधारित हैं । और अधिक जानकारी के लिए हमारा ब्लॉग पढें sanatanbharata.blogspot.com

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