जहां चाह वहां राह , बहुत दिन से मन में यह बात उठ रही थी ,कि जब तक गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था की वापसी नहीं होती ,हिंदुओं के बच्चे नैतिक रूप से बच नहीं सकते । पंजाब में रहते है, जहां गुरुकुल व्यवस्था का नामो निशान तक नहीं । इस समस्या का समाधान निकाला गया कि क्यों ना ट्यूशन से हटाकर बच्चे को संस्कृत सीखने के लिए किसी संस्कृत के अध्यापक के पास डाल दिया जाए l वैसे भी ट्यूशन से लाभ कम और हानि अधिक हो रही है। जो भी बच्चा स्कूल में पढ़ता है वही जाकर ट्यूशन में फिर से पड़ता है ,इससे बच्चे बोर भी हो रहे हैं और वह पढ़ने से कतराने लगे हैं । हमारे नगर में एक शास्त्री जी हैं जोकि स्वयं गुरुकुल से पढ़े हुए हैं । उनके पास अब मेरा बेटा 5:00 से 6:00 तक संस्कृत, धर्म और संस्कृति की शिक्षा लेने जाता है । जहां एक तरफ वह ट्यूशन जाने के लिए आनाकानी करता था अब शास्त्री जी के पास भाग कर जाता है । हर रोज ने मंत्र और संस्कृत सीखकर आता है ।स्कूल में तथाकथित आधुनिक शिक्षा प्राप्त करता है और शाम को 1 घंटा वेद उपनिषद आदि की शिक्षा ग्रहण करता है। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मारना है कि आने वाले समय में हिंदुओं के बच्चों का बहुत बुरा हश्र होने वाला है। क्योंकि हिंदुओं की परिवार व्यवस्था को कॉरपोरेट्स सरकार और कामरेड तीनों का ग्रहण लग चुका है अधिकतर हिंदुओं के बच्चे बड़े होकर अकेले अकेले रहेंगे और इस परिस्थिति में उनकी रक्षा केवल धर्म ही कर सकता है क्योंकि धर्मो रक्षित: रक्षित: । क्योंकि अगर हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा । शाम को शास्त्री जी की कक्षा के बाद एक घंटा डॉ हेडगेवार के चलाए हुए गु गुरुकुल शाखा में जाता है यहां पर जाकर वह सारी प्रार्थना करवा लेता है । पहले वह दूसरे व्यक्ति से झिझकता था । शाखा में वह गीत भी करवा लेता है वह भी 20- 50 संख्या के सामने । मेरा मानना है की अगर हम अपने बच्चों को संस्कृत और धर्म सीखने के लिए एक घंटा और शाखा के लिए एक घंटा दे सकें ,तो हम अपने बच्चों को बचा सकते हैं। जब तक भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित आधुनिक और वेद की शिक्षा देने वाले स्कूल नहीं खुल जाते । तो यह व्यवस्था कि स्कूल में वह तथाकथित आधुनिक शिक्षा ग्रहण करें और स्कूल के बाद ट्यूशन की जगह संस्कृत और वेद उपनिषदों का अध्ययन करें और अपने शरीर को शाखा में जाकर तंदुरुस्ती प्रदान करें यह व्यवस्था सर्वोत्तम रहेगी।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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