कैसे दहेज प्रथा के बारे में सरकारी दुष्प्रचार ने सनातनी परिवार व्यवस्था को तहस नहस कर दिया इसके बारे में हिन्दुओ को विस्तार में समझना चाहिए।
दहेज ,वह उपहार हैं या वह बेटियों का पिता के सम्पति में हिस्सा है ,जो पिता ,भाई और परिवार अपनी मर्ज़ी से ,खुशी से बेटियों को उपहार स्वरूप दे देता था । लेकिन इस प्रथा को पहले सरकारी भोंपू दूरदर्शन ने यह कहकर बदनाम करना शुरू किया कि इससे पिता पर गैर जरूरी बोझ पड़ता है । इस पर फिल्में बनाई जाने लगी कि कैसे दहेज के कारण हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार होता है । जबकि दूसरी तरफ यही सरकारी दुष्प्रचार हलाला , tripal तलाक , बुरका , बहु निकाह प्रथा , मेहरम आदि के बारे में बिल्कुल मौन रहता है ।
सरकार फिर इसी दुष्प्रचार का सहारा लेकर हिन्दू परिवार व्यवस्था को तोड़ने के लिये दहेज विरोधी कानून लेकर आती है । लेकिन सरकार को अपना हितेषी मानने वाला बेवकूफ हिन्दू चुप रहता है । इस दहेज विरोधी कानून का सरकार द्वारा जमकर दुरूपयोग किया जाता है । पति के सारे परिवार ,बूढ़े माता पिता ,भाई बहन , यहां तक कि दूध मुंहे बच्चों को भी जेल में ठूंस दिया जाता है । इससे हिन्दू युवक विवाह से घबराने लगतें हैं । जिन लोगों पर एक बार यह जुल्म हो गया वह कभी फिर से दोबारा विवाह नहीं करवाता ।
मैने अपने जीवन में अपने आस पड़ोस , शहर में कभी दहेज के लिये हत्या होते सुनी नहीं ना कभी देखी है ।
सरकार के अनुसार लड़की को अगर पिता अपनी मनमर्जी से दहेज दे तो वह गलत है लेकिन वोहि लड़की अदालतो के धक्के खाकर पिता की सम्पत्ति में हिस्सा ले सकती है ।
यह सब कानून इसलिए बनाये गए तांकि हिंदुओं की परिवार व्यवस्था को जड़ से समाप्त किया जा सके । आज इन्हीं सरकारी षड्यंत्र के कारण हिन्दू महिलाओं की इतनी दुर्दशा हो रही है । जबकि महिलाओं को लगता है कि सरकार उनके साथ है । हिन्दू महिलाओं का नैतिक पतन हो इसलिये बॉलीवुड हिन्दू महिलाओं के हाथ में पूजा की थाली के स्थान पर शराब की बोतल पकड़ा रहा है । स्कूल हिन्दू कन्याओं को sex doll बनाने के लिये कुछ ढंग का सीखाने के स्थान पर अश्लील डांस सीखा रहा है । और सरकार हिन्दू महिलाओं को परिवार से निकाल कर उमराव जान बनाने के लिये पुरी तरह कमर कस चुकी है ।
कई लोग इक्का दुक्का केस का उदहारण देंगे तो इस हिसाब से न्याय व्यवस्था को कब का दफा कर देना चाहिये जिसमें 1%लोग भी इंसाफ तो दूर की बात इंसाफ की उम्मीद भी नही रखते ।
यह हिन्दू महिलाओं की लड़ाई है यह उनको सोचना है कि उनको पति ,बच्चों के साथ परिवार में इज्जत के साथ रहना है या boss की प्राइवेट सेक्टरी बनकर live in relation में रहना है । अत्याचार सरकार महिलाओं पर कर रही है सनातन संस्कृति तो हमेशा नारी first की अवधारणा पर चलने वाली है ।।
शस्त्रों का उद्घोष है 'सुखस्य मूल: धर्म ' अर्थात सुख का मूल धर्म है और धर्म परिवार में रहने में है live in relation रहने में नहीं ।
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