जो थोड़े बहुत गुरुकुल है उनमें छात्र जाते क्यों नहीं ।
1. गुरुकुलों में डिग्री नहीं मिलती ।
2.गुरुकुलों में केवल ब्राह्मण कार्य ही सिखाये जातें हैं जिससे non ब्राह्मण हिन्दू समाज जाने से कतराता है ।
3.गुरुकुलों डिग्री भी मिलनी चाहिये । और इंग्लिश math science ,सामाजिक ,स्थानीय भाषा की शिक्षा भी मिलनी चाहिये ।
4.कई राज्यों गुरुकुल बिल्कुल नहीं हैं जैसे पंजाब में गुरुकुल शायद ही हो ।
5. बड़े मन्दिरों की सरकारी लूट से सारा माल अल्पसंख्यक तुस्टीकरण के लिये चूस लिया जाता है जिससे गुरुकुलों में funding की कमी के कारण कई गुरुकल हर वर्ष बन्द हो रहें हैं या विद्यार्थी इनमे जातें नहीं ।
6.अधिकतर हिन्दू समाज मे इस प्रणाली का प्रचार नहीं है । हिन्दू समाज का धयान केवल राजनीति के छोटे छोटे मुदों पर रहता है । सोशल मीडिया पर भी राहुल गांधी , केजरीवाल और नरेंद्र मोदी 95% कवरेज बटोरते रहतें हैं बकि 4.99 लोग शशि थरूर की महिलाओं के साथ फोटो शेयर करते रहतें हैं । इससे पता चलता है कि हिंदुओं का मानसिक स्तर बहुत निम्न स्तर पर गिर चुका है ।
7.हिंदुओं के सबसे बड़े संघटन आरएसएस का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है क्योंकि समस्याओं का अंबार लगा हुआ है । अगर आरएसएस इस काम को अपने हाथ में ले तो दस साल में स्थिति बदल सकती है । इसको top priority मिलनी चाहिए ।
8. बकि अर्थव्यवस्था और गवर्नेंस का मॉडल विदेशी है । जैसे सरकार 98% health बजट अलोपथी पर खर्च करती है केवल 2% बजट आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धित पर खर्च होता है । अगर सरकार आयुर्वेद पर 30% बजट खर्च करे तो लोग फटाफट अपने बच्चों की एड्मिशन गुरुकुलों में करवाने लगेंगे । अच्छे आयुर्वेद के वैद्यों की इतनी मांग है लेकिन supply नहीं ही रही । बकि अगर न्याय अगर न्याय दर्शन के सिद्धांतों पर मिलने लगे तो लोग न्याय दर्शन भी पढ़ने लगे । इससे गुरुकुलों का विकास होगा ।
9. अगर अर्थव्यवस्था का मॉडल locallization औऱ small production पर आधारित हो तो स्वैघोषित आधुनिक शिक्षा बिल्कुल irrelevant हो जायेगी जैसे अगर रसोई के नवरत्न आटा ,नमक मिर्च मसाला हल्दी ,तेल घी ,दूध के उत्पाद ,अचार आदि कुटीर उद्योगों के लिये reserve कर दिए जाएं तो food processing की डिग्री बिल्कुल irrelevent हो जाये और साथ में स्वैघोषित आधुनिक शिक्षा की कई और डिग्रियों की मांग भी घट जाएगी। स्वैरोजगर बढ़ेगा और कंपनियों की गुलामी कम होगी ।
सरकार ने पहले 4 मुद्दे काफी हद तक सुलझाने का प्रयास किया है । भारतीय शिक्षा बोर्ड और महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद शिक्षा बोर्ड का गठन कर इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है । बकि मुद्दों पर अभी बहुत तेजी से काम करने की जरूरत । सभी से अनुरोध है कि social मीडिया का उपयोग नेताओं के स्थान पर सनातन व्यवस्थाओं को मजबूत करने में करें ।
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