1.संविधान में मुस्लिम personal law शरीया कानून ही है । 


2.संविधान केवल हिन्दू धर्म के कानूनों को मानने से इंकार करता है । ऐसा इसलिये किया गया है तांकि हिन्दू परिवार व्यवस्था का समूल नाश किया जा सके । 


3.संविधान मुस्लिम समाज ,मदरसों और मुस्लिम पुरषों का कोई अधिकार नहीं छिनता । जबकि संविधान हिन्दू समाज ,गुरुकुलों और हिन्दू पुरूषों के पास कोई अधिकार तक नहीं छोड़ता । यहाँ तक कि हिन्दू विवाह पद्धित से किये गए विवाह 2014 के बाद पूर्णतयः illegal हैं । हिंदुओं को  sdm के सामने खड़ा होकर विवाह करवाना पड़ेगा । 


4. संविधान मदरसों को मान्यता देता है जबकि गुरुकुलों को नहीं । right to education act के तहत हिन्दू शिक्षा संस्थान में अल्पसंख्यक होने जरूरी हैं । जबकि मुस्लिम समाज अपनी शिक्षा संस्थान चला सकता है । 


5. हिन्दू महिलाओं की शादी की आयु 21 वर्ष कर दी गई है तांकि हिन्दुओ की जनसंख्या कम हो सके । जबकि यह शर्त मुस्लिम निकाह व्यवस्था पर लागू नहीं होती । अगर निकाह हो रहा है तो कन्या चाहे मुस्लिम हो या हिन्दू ,21 वर्ष का कानून लागु नहीं होता । जब कन्या के private part पर बाल आ जाएं वह शरिया कानून के तहत बालिग मानी जाती है । संविधान भी इस शरिया कानून को मानता है ।


6. मुस्लिम महिला तलाक नहीं दे सकती जबकि हिन्दुओ के केस में हिन्दू पुरुष को तलाक नहीं मिलता चाहे उसकी wife जितनी मर्ज़ी बदचलन हो । 


7. मुस्लिम महिला गुजरा भत्ता नहीं ले सकती जबकि हिन्दू महिला चाहे जितनी मर्ज़ी अमीर हो इसकी जन्मजात अधिकारी है । 


8. मुस्लिम महिला के तलाक के केस में बच्चों का हक मुस्लिम महिला को नहीं मिलता जबकि हिन्दू तलाक में पुरुष को बच्चों पर कोई हक नहीं ।


9. संविधान ,सरकार और कोर्ट बुरका , हलाला ,तीन तलाक जैसे शरीया कानूनों को पूरी तरह सिर झुका कर नमन करता है । जबकि हिन्दू महिलाओं के सिर ढकने , आदि की पूरी तरह खिल्ली उड़ाई जाती है । 



10. हिन्दू पुरुष दूसरी शादी नहीं करवा सकता जबकि शरीया कानून के तहत मुस्लिम मर्द पर कोई बंदिश नहीं 


यह सब इसलिये किया गया है तांकि हिन्दू गुरुकुलों , हिन्दू समाज व्यवस्था और परिवार व्यवस्था को जड़ से समाप्त कर हिन्दूओ को पूरी तरह एकाकी बना दिया जाए । हिन्दू सरकार के सामने सिर ना उठा सकें और सरकार हिन्दू individual पर पूरी तरह नियंत्रण कर सके ।


हिन्दू समाज का पागलपन इसी में झलकता है कि हिन्दू अपने लिये अधिकार लेनें के स्थान पर दूसरों की गलतियां निकलाते रहतें है । हिन्दुओ को चाहिये कि पहले गुरुकुलों  ,,हिन्दू समाज और परिवार व्यवस्था को सरकारी चंगुल जिसे संविधान कहतें है उससे मुक्त करवाये । दूसरों से लड़ने का स्वप्न लेना भुल जाए । हिंदुओ के लिये modus operandi ।


1गुरुकुलों को पुर्नजीवित करना ।

2हिन्दू समाज को पुनः सशक्त करना जिसके लिये छोटे मोटे झगड़े पंयायत के पास जाएं ।

3. हिन्दू परिवार तोड़ने वाले फेमिनिस्ट कानूनों का समापन

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