आधुनिक शादियां केवल मूवी बनाने के लिये की जाती हैं जिसमें अश्लीलता ,फुहड़ता ,सनातन का मजाक ,शराब , अंग प्रदर्शन , लचरता का तड़का लगाकर परोसा जाता है । इसीलिए यह  temporary किस्म का अजीब सा गठजोड़ है जिसमें पार्टियां कुछ समय का मौज मेला कर किसी और के साथ चल देतीं हैं ।बच्चे बुजुर्ग ,रसोई , जिम्मेदारी इनको बोझ लगती हैं । पहले विवाह का उद्देश्य परिवार बसाना ,बंश बढ़ाना ,माता पिता की सेवा करना था । अब यह केवल sex , शराब ,अश्लीलता और धोखाधड़ी का उपक्रम मात्र बन कर रह गया है । बड़े शहरों में तलाक की दर 80% से ऊपर है छोटे शहरों में यह दर 60% है । और मजे की बात यह है इस लचरता को आज़ादी , नारी मुक्ति , feminisim नामक शब्दों से नवाजा जा रहा है । अब इस मार्केट से तैयार औरतों और पुरुषों को धीरे धीरे कोठों तक पहुँचा दिया जाएगा । इस दिशा में सुप्रीम कोठे ने सरकार के साथ मिलकर वेश्यावृत्ति को कानूनी और विवाह को गैर कानूनी करार दे दिया है  । श्रीमती दवेंद्र फडणवीस ने औरतों को सेक्स बाजार की तरफ धकेलने के लिये मुहिम शुरू कर दी है । जल्द ही वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं को पवित्रता की मूर्ति घोषित कर दिया जाएगा ।सरकार इनको इनाम और सन्मान से नवाजेगी । एक तरफ अमेरिका में भूर्ण हत्या आदि पर रोक लगाकर society के नैतिक पतन पर रोक लगाई जा रही है दूसरी तरह राष्ट्रवादी अंतरराष्ट्रीय लीडर सनातन संस्कृति की जड़ें खोदने में हर सम्भव प्रयास कर रहें हैं । संसद से कानून बनाने के स्थान पर बिकी हुई अन्याय व्यवस्था का सहारा लिया जाता है ।

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