अधिकतर तलाकशुदा महिलाओं का जीवन बेहद नर्कमय होता है । घटिया लोग उनका जमकर दुरुपयोग करतें हैं । तलाक महिलाओं के जीवन में बहुत destructive बदलाव लेकर आता है इसलिये महिलाओं को अपने परिवार को नष्ट करने से पहले बहुत अधिक विचार करना चाहिये । तलाक शुदा पुरुष भी बहुत अधिक अवसाद का शिकार होते हैं । लेकिन पुरुषों के पास धर्म ,समाज और देश के लिये काम करने अधिक अवसर होतें हैं । इसलिये वह अवसाद का शिकार होने से बच जातें हैं । जो लोग इस समय परिवार व्यवस्था में विघटन के चलते मानसिक अवसाद का शिकार हो रहें हैं उन्हें धर्म की शरण में जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों के अनुसार धर्मों रक्षितः रक्षितः । जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है । बच्चों और स्वयं को मानसिक अवसाद से बचाने के लिये एक दिन में कम से कम दो घण्टे देश ,समाज धर्म के काम में लगाएं इससे ही आपका प्रारब्ध में कुछ credit add हो सकता है । iskon ,नित्य संघ शाखा , गौसेवा , भजन , वृक्षारोपण ,स्वदेशी ,सँस्कृत समाज को सही दिशा देने वाले लेख आदि कुछ काम हैं जो आप कर सकतें हैं ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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