इस वर्ष संघ की प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पास किया है जिसमें संघ ने सनातन आर्थिक मॉडल (भारतीय आर्थिक प्रतिमान ) को लागू करने के लिये सरकार से मांग की है जिसमें आरएसएस ने 1434 उत्पाद कुटीर उद्योगों के आरक्षित करने की मांग की है ।
इस विषय पर चर्चा के दौरान हमने प्रथम चरण में केवल रसोई में उपयोग होने वाले आटे ,बेसन ,मक्की का आटा , हल्दी नमक मिर्च मसाले ,सरसों के तेल , देशी घी ,मक्खन पनीर ,दही आदि केवल कुटीर उद्योगों के लिये आरक्षित करने की मांग की थी ।
सरकार ने कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये केवल पैकेटबंद रेडीमेड food products पर gst लगाया है । जिससे कंपनियों के उत्पाद महंगे हो जाएंगे । जिससे कुटीर उद्योगों को लाभ होगा ।
उदहारण के लिए
1. अगर आप गेंहू लेकर अपना ताज़ा ,शुद्ध आटा पिसवाते हैं तो यह taxfree है ।लेकिन अगर दो तीन महीने पुराना मिलावटी आटा जिसको कीडो से बचाने के लिये एक हानिकारक केमिकल डाला जाता है वह खरीदते हो उस पर tax लगा दिया गया है ।
2. अगर आप अपनी सरसों लेकर शुद्ध सरसों का तेल निकाल कर खाते हो और अपने heart को attack से बचाते हो तो यह taxfree है । लेकिन अगर आप पैकेटबंद मिलावटी सरसों का तेल या hexane से निकला हुआ जहर रिफाइण्ड तेल प्रयोग करते हो तो वह taxable है ।
3. इसी तरह घर पर तैयार शुद्ध पनीर , मक्खन , दही taxfree है और बाजार का दस बीस दिन पुराना पैकेटबंद पनीर ,दही आदि लेकर आते हो वह taxable है ।
आप क्यों इस बात पर तुले हो कि आपको घटिया ही खाना है । जब सरकार घटिया उत्पाद को महंगा कर रही है तब भी आप अड़े हुए हो ।
सरकार का यह कदम localization को बढ़वा देगा । इसके निम्नलिखित लाभ होंगे ।
1. प्लास्टिक का प्रयोग कम होगा क्योकि पैकेटबंद खाद्य सामग्री महंगी होगी जो प्लाटिक की पैकिंग में ही आती है ।
2. Localization के बढ़ने से transport कम होगा । जिससे पेट्रोल diseal की बचत होगी देश सच में आत्मनिर्भर होगा ।
3. बेरोजगारी कम होगी क्योंकि कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा ।
सरकार को एक काम और करना चाहिये कुछ basic जमीन छोड़कर बाकी पर land revenue यानि लगान वापिस लगा देना चाहिये। इससे भूमि की कीमतें कम हो जाएंगी और आम आदमी की जिंदगी बहुत आसान हो जाएगी ,कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा । ल
क्योकि जमीन बहुत महंगी है इसलिये छोटे उद्योग नहीं लग रहे ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें