अगर किसी प्रदेश में संस्कृत की शिक्षा लागू करवानी है तो 5 करोड़ उस प्रदेश के शिक्षा मंत्री को रिश्वत दो और संस्कृत लागू करवा लो । यह modus operandi जिसमें पूरी बस खरीदने के स्थान पर केवल बस का ड्राइवर खरीदा जाता है और पूरी बस आपके नियंत्रण में आ जाती है यह रणनीति हिंदुओं को छोड़कर सारे मत पन्थों द्वारा अपनाई जाती है । उदहारण के लिए जब हिन्दू राजस्थान में bjp नामक बस वोटों द्वारा तैयार कर रहे थे । उसी समय मियां लोग बस की ड्राइवर वसुंधरा राजे को पैसों की खनक से नियंत्रण में कर रहे थे । बस आपकी ड्राइवर उनका । नतीजा पांच सालों में हज हाउस , शम्भू नाथ रैगर पर हर प्रकार के जुल्म , सारी सरकार एक मुस्लिम मंत्री के हाथ में । हिंदुओं में यह रणनीति केवल बिड़ला द्वारा खेली जाती थी । हिंदुओं ने वोट देकर तो देख लिया अब नोट की ताकत को आजमा कर भी देख लो । मोरारी डाकू ऐसे ही नहीं अली मोहल्ला करता ,अरब के पैसों का ट्रक जब आश्रम में घुसता है तो राम को धोखा देने में एक मिनट भी नहीं लगता ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें