भारत सरकार हर चीज़ में अमेरिका की नकल मारती है । जैसे अमेरिका की 51% जनसंख्या फ़ूड कूपन पर निर्भर है ,भारत सरकार भी वर्तमान राशन व्यवस्था के स्थान पर ऐसे ही फ़ूड कूपन लाने  की योजना बना रही है । यह फ़ूड कूपन केवल बड़ी बड़ी कंपनियों के उत्पाद खरीदने के लिये ही चलेंगे । जैसे अगर आप किसी किसान से ताज़ा दूध खरीदते हो तो यह food coupan नहीं चलेंगे लेकिन इनसे पांच दिन पुराना दूध जिसपर लिखा होता है ताज़ा वह खरीद सकतें हैं । 


लेकिन उसी अमेरिका में अगर कोई अच्छी चीज होती है तो उसे लागू नहीं किया जाता । जैसे अमेरिका में जज के साथ jury भी बैठती है जिसमे स्थानीय समाज के लोग सम्मलित होतें हैं जो बहुमत से फैसला करतें हैं । इससे कई लाभ होते हैं । 

1. एक तो jury से मियां लार्ड की मनमानी तानशाही रुकती है । अब तो एक वकील और जज बैठ कर 140 करोड़ जनसंख्या पर 10 दिन में फतवा जारी कर देता है । इस तालिवाणी कोर्ट  पर jury कुछ हद तक अंकुश रखती है । 

2. Jury में क्योकि स्थानीय लोग होतें हैं जो वादी प्रतिवादी और गवाहों को जानते होतें हैं इसलिए फैसला जल्द आता है । 


जॉनी demp और amer heard में सत्य इसलिये जीत पाया क्योंकि जज के साथ jury बैठी थी नहीं तो जज के तालिवाणी फतवे से न्याय की उम्मीद कम ही होती है । 1967 से पहले तक भारत में भी jury system था । जिसको रिश्वत खोरी को बढ़ावा देने के लिये समाप्त कर दिया गया ।

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