इन्वेस्टमेंट में सबसे बड़ी बात होती है redemption और आसानी से ट्रांसफर होने की योग्यता । निवेशकों की यह सबसे पहली वरीयता होनी चाहिये कि
1. आपका किया गया निवेश आपको आसानी से वापस मिल जाये
2. आपके बाद आपके परिवार को आसानी से बिना सरकारी झंझट के ट्रांसफर हो जाये
केवल शुद्ध सवर्ण इस पैमाने पर खरा उतरता है । शेयर्स और म्यूच्यूअल फण्ड इसमें बिल्कुल खरे नहीं उतरते । उदहारण के लिये 1995 में मेरे एक मित्र ने एक कंपनी का शेयर लिये । उससे वह सर्टिफिकेट गुम हो गया । अब पहले उसको पुलिस में complaint करनी पड़ेगी फिर अखबार में देना पड़ेगा , फिर डुप्लीकेट शेयर के लिये अप्लाई करना पड़ेगा । यह कंपनी की दरियादी है कि वह शेयर सर्टिफिकेट वापिस इशू कर दे ।फिर demat account खुलवा कर उसे dematerialize form में कन्वर्ट करना पड़ेगा । फिर उसको पैसा मिलेगा ।
सरकार हर चार पांच साल बाद कोई ना कोई सांप निकाल कर निवेशकों का पैसा मार ही डालती है । कभी demat करवा लो कभी kyc करवा लो ।
पिछले दशक में सरकार ने kyc का साप बाहर निकाला और करोड़ों छोटे निवेशकों के dividend के और मूल धन म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों ने अंदर कर लिया । छोटा निवेशक जिसका दस बीस हज़ार लगा है वह अक्सर इन चक्करों में पड़ना नहीं चाहता । लेकिन यह राशि मिलाकर करोड़ों में पहुँच जाती है ।
सरकार ऐसे सांप निकालती ही रहती है ।
स्वर्ण तो ट्रांसफर करना और इसको बेचना बिलकुल आसान है ।
डिस्क्लेमर:- हमारा या हमारे रिश्तेदार का स्वर्ण के व्यापार से दूर दूर तक कोई सम्बंध नहीं है ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें